ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 12 नवंबर 2011

ज्योतिष और कम्प्यूटर के घन चक्कर में

ज्योतिष और कम्प्यूटर के घन चक्कर में

कंप्यूटर की ज्योतिषीय गणना महज़ बकवास है, तो सच्चाई क्या है..?


मित्रों कल मुझसे फेसबुक पर एक सज्जन ने प्रश्न किया की क्या कम्प्यूटर की ज्योतिषीय गणना मानना चाहिए  या नहीं और यदि नहीं माना जाय तो उस कम्प्यूटर की गणना और आप लोगों की गणना में अंतर क्या है । मैं बहुत खुश हुआ । मैने उनसे कहा कि आपका प्रश्न बहुत सुंदर है .उनके माध्यम से आप सभी मित्रों को बताना चाहूंगा कि .कम्प्यूटर पर विश्वास अंशमात्र गणित पर किया जा सकता है लेकिन फलादेश पर तो बिल्कुल नहीं..मैने अपना स्वयं का कुंडली साफ्टवेयर बनवाया है तो मुझे कोडिंग के बारे में पता है जैसा मैने इंजीनियर को बताया तदनुसार उन्होंने उस साफ्ट...वेयर में कोडिंग की...लेकिन फलित ज्योतिष में इतना भ्रंतियां हैं कि पंचांग आज 24 दिन पिछे चल रहा है परीणाम तिथियों में भिन्नता कारण त्योहारों का अलग अलग तिथियों में मनाया जाना उसी तरह फलादेश करना बहुत मुश्किल है और उससे भी मुश्किल है फलादेश संबंधित कोडिंग कराना अतएव यदि कोई लाख दावे करे की इस साफ्टवेयर का गणना या फलादेश 100 प्रतिशत सही है तो बेमानी होगा...कोई भी अपनी दही को खट्टा नहीं कहता मैं आपको सरांश में बताना चाहूंगा कि कम्प्यूटर दोषी नहीं बल्कि विधाओं में ही अंतर है अतः कम्प्यूटर आधारीत फलकथन केवल मात्र छलावा है मेरे विचार से कंप्यूटर को नहीं माने तो बेहतर  होगा।
क्योंकि कंप्यूटर व तकनीक ने भले ही ज्योतिष की गणनाओं को आसान बना दिया हो लेकिन बाजार व इंटरनेट पर उपलब्ध ज्योतिष के तमाम खरे-खोटे सॉफ्टवेयर, प्रोग्राम और वेबसाइट वगैरह ने नीम हकीमों की तरह ऐसे झोला छाप 'ज्योतिषियों' को पैदा कर दिया है जिन्हें पंचांग पढ़ने तक की समझ नहीं है।
अपने अधकचरे ज्ञान के सहारे ज्योतिष की 'दुकान' चलाने वालों ने हमारी इस प्राचीन विद्या को बदनामी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसे लोगों की अज्ञानता व लालच में फँसकर अपनी मेहनत की कमाई लुटाने वालों को जब ज्योतिष के बदले धोखा मिलता है, तो उनकी नजरों में यह पूरी विद्या ही संदेह के घेरे में आ जाती है।
ऐसे में सच्चे ज्योतिषियों को भी शक की नजरों से देखा जाने लगता है। अनाड़ियों के हाथों में पड़कर ज्योतिष मजाक बनकर रह गया है। आज के इस चलन ने ज्योतिष को बहुत बदनाम कर दिया है। ये लोग अपना 'अर्थ' तो देखते हैं, पर ज्योतिष का 'अनर्थ' नहीं देखते।
ज्योतिष में दिन, समय, लग्न, मुहूर्त, स्थान, अक्षांश, देशांतर आदि का ध्यान रखना पड़ता है। यदि इनमें या इनकी गणना में जरा भी कमी रह जाए, तो इसका परिणाम भी गलत ही होगा। इस क्षेत्र से जुड़े लोग खुद बताते हैं कि कंप्यूटर से ज्योतिष का काम बहुत आसान हो जाता है। इससे सही गणना हो जाती है और बहुत लाभ मिलता है लेकिन इस पर पूरी तरह से यकीन नहीं किया जा सकता है।
इसमें सॉफ्टवेयर तो बहुत से हैं, पर उनमें कहीं न कहीं कमी है जिससे कई बार कंप्यूटर के परिणामों में भयंकर गलती हो जाती है।
इसके अलावा, जितने भी सॉफ्टवेयर बाजार में हैं उनमें से 'फलित' में कोई भी ठीक नहीं है। फलित के लिए ऐसा कोई भी सॉफ्टवेयर नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके।
आम लोगों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती इसलिए वे इस बात पर ध्यान नहीं देते कि कुंडली वगैरह में कहाँ क्या गलती हो रही है। पता तो तब चलता है जब भविष्यवाणियाँ बेकार सिद्ध होती हैं। फिर भले ही इससे ज्योतिष के प्रति लोगों के भरोसे की धज्जियाँ उड़ती हों।
वास्तवीकता तो यह है कि ज्योतिष के प्रारंभिक ग्रंथों का अध्ययन किए बिना ये कंप्यूटर ज्योतिषी अपने ज्ञान से समाज को गुमराह कर रहे हैं। ज्योतिष गणित का विषय है इसका ज्ञान किए बिना ज्योतिष का फलित भी नहीं हो सकता।
ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे मोबा. 09827198828

3 टिप्‍पणियां:

Manu Tripathi ने कहा…

I hate o see spelling mistakes in a Hindi article.
Please correct.
regards.
manu

BULL ने कहा…

सीखने से ज्यादा जरूरी है विद्या की लगातार कोशिश करना ,,,,,क्योकि गुरु तो कोई नहीं ,,,जिंदगी भर सीखना है ,,,,,,गलत और सही परिणाम का आकलन ,,,,,,और उनका सुधारण ........

ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे ने कहा…

इस आलेख में क्या गलत है कृपया आप बताने का कष्ट करें उस पर विचार जरूर करूंगा...धन्यवाद