नशे़ के आगोस में छत्तीसगढ़ का बचपन
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे
छत्तीसगढ़ संस्कार और सर्वोतकृष्ट संस्कृति का प्रदेश माना जाता है इतिहास गवाह है कि ऋषी वाल्मिक की यह पवित्र धरा छत्तीसगढ़ लव कुश जैसे छात्रों को सीख देती है और वह लव कुश एक आदर्श के प्रतीक के रूप में वे विद्यार्थी धर्म का बखुबी निर्वाह करते हुए अपने गुरू के आश्रम में आये राम के घोड़े पर लिखा शब्द संदेश ऋषी मर्याद के न पालन की बात कर लव कुश ने राम से युद्ध करने की चुनौती दे डाली और आगे चलकर युद्ध हुआ भी और युद्ध कुशलता मर्यादा की बदौलत ये नन्हें से बालमन लव कुश ने अपनी पहचान बना दी आज उसी धरा पर यह वाकया देख अंतर्मन रो पड़ा की राजधानी रायपुर में ऐसे व्यावसायी होटल खोले बैठे हैं जो छत्तीसगढ़ के इन बालमन को नशे का आदि बनाकर यहां की सु-संस्कृती को नष्ट करना चाहते हैं मै तो कहता हुं कि इन होटल व बार संचालकों को चौराहे पर खड़ा कर लोगों से जूते मरवाना चाहिए..किन्तु ऐसा होना मुश्किल है क्योंकि इन्हीं के चंदे से कांग्रेस बीजेपी चुनाव लड़ती है। बच्चे भी कम नहीं आज दैनिक भास्कर में प्रकाशित समाचार के मुताबिक राजधानी के स्कूली बच्चे बस्ता उठाकर सुबह-सुबह हुक्का बार पहुंच रहे हैं। स्टिंग के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई में 18 बच्चे हुक्का बार से पकड़े गए। इनमें से छह तो स्कूल ड्रेस में ही थे। ज्यादातर बार नियमों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे हैं।मिडिया की निशानदेही पर पुलिस ने राजेंद्र नगर स्थित स्मूथ पफ हुक्का बार, हैवन प्वॉइजन हुक्का बार, नॉनसेंस हुक्का बार और आमापारा स्थित क्लास रूम हुक्का बार में बुधवार को दबिश दी। और तो और लड़कियां भी कश लगा रहीं थीं पुलिस ने सभी बच्चों के परिजनों को थाने बुलाकर लिखित चेतावनी के साथ फिलहाल छोड़ दिया। पकड़े गए संचालकों के लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जा रही है। पूछताछ में बार संचालकों ने बताया कि उनके यहां रोजाना के ग्राहक फिक्स हैं। इनमें स्कूली छात्र प्रमुख हैं। कुछ जगह तो इनका खाता भी चलता है और पैसा महीने के आखिरी में दिया जाता है। राजधानी के हुक्का बार में 40 से 50 फ्लेवर उपलब्ध करवाए जाते हैं
टीम ने संचालकों से बात कर कमरा बुक कराया। इस दौरान संचालकों ने बताया कि ग्राहकों को हर किस्म की सुविधा दी जाती है। इन गतिविधियों की जानकारी एसएसपी दिपांशु काबरा को दी गई। उनके निर्देश पर डीबी स्टार टीम के साथ सिविल लाइन सीएसपी मनीषा ठाकुर और आजाद चौक सीएसपी नीथू कमल के साथ राजेंद्र नगर, आजाद चौक और सरस्वती नगर पुलिस की टीम ने बुधवार को छापा मारा। छत्तीसगढ़ में युवाओं के साथ-साथ बच्चों में भी नशीली दवाओं की लत बढ़ रही है। यहां हर माह ऐसी दवाओं का करोड़ों का कारोबार है, जिनका उपयोग कुछ नशे के लिए किया जाता है। दवा व्यवसायी डाक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन के ऐसी दवा किसी के भी हाथ में थमा देते हैं, जिससे दवा बेचने वालों के वारे-न्यारे तो होते ही हैं, बच्चे और युवा नशे की गिरफ्त में फंसकर अपनी जिंदगी तबाह करने की राह में चल पड़ते हैं। नशीली दवा बेचने वाले हर महीने लाखों का वारे-न्यारे कर रहे हैं। दवाओं के सौदागर युवा वर्ग को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी तबाह कर रहे हैं। शहर की कई दुकानों में ये दवाएं डाक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन के बेची जा रही हैं। नशीले इंजेक्शन का एक एंपुल ब्लैक में एक सौ से एक सौ पचास रुपए के बीच बिकता है, जबकि दवा मार्केट में इसकी कीमत सिर्फ १२ रुपए है। गली-मोहल्लों के पान ठेलों पर यह आसानी से मिल जाता है। शहर के कई इलाकों में ठेलों और घरों में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। उत्तेजक गोलियों के प्रभाव में मदहोशी छाने के बाद लूट, चाकूबाजी अथवा हत्या तक कर डालते हैं। ताज्जुब है कि नशीली दवाओं का कारोबार तेजी से फैल रहा, लेकिन इनके सौदागरों पर पुलिस अथवा प्रशासन काबू पाने में नाकाम रहा है। नशीली दवाओं की आसान और सस्ती उपलब्धता ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे
छत्तीसगढ़ संस्कार और सर्वोतकृष्ट संस्कृति का प्रदेश माना जाता है इतिहास गवाह है कि ऋषी वाल्मिक की यह पवित्र धरा छत्तीसगढ़ लव कुश जैसे छात्रों को सीख देती है और वह लव कुश एक आदर्श के प्रतीक के रूप में वे विद्यार्थी धर्म का बखुबी निर्वाह करते हुए अपने गुरू के आश्रम में आये राम के घोड़े पर लिखा शब्द संदेश ऋषी मर्याद के न पालन की बात कर लव कुश ने राम से युद्ध करने की चुनौती दे डाली और आगे चलकर युद्ध हुआ भी और युद्ध कुशलता मर्यादा की बदौलत ये नन्हें से बालमन लव कुश ने अपनी पहचान बना दी आज उसी धरा पर यह वाकया देख अंतर्मन रो पड़ा की राजधानी रायपुर में ऐसे व्यावसायी होटल खोले बैठे हैं जो छत्तीसगढ़ के इन बालमन को नशे का आदि बनाकर यहां की सु-संस्कृती को नष्ट करना चाहते हैं मै तो कहता हुं कि इन होटल व बार संचालकों को चौराहे पर खड़ा कर लोगों से जूते मरवाना चाहिए..किन्तु ऐसा होना मुश्किल है क्योंकि इन्हीं के चंदे से कांग्रेस बीजेपी चुनाव लड़ती है। बच्चे भी कम नहीं आज दैनिक भास्कर में प्रकाशित समाचार के मुताबिक राजधानी के स्कूली बच्चे बस्ता उठाकर सुबह-सुबह हुक्का बार पहुंच रहे हैं। स्टिंग के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई में 18 बच्चे हुक्का बार से पकड़े गए। इनमें से छह तो स्कूल ड्रेस में ही थे। ज्यादातर बार नियमों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे हैं।मिडिया की निशानदेही पर पुलिस ने राजेंद्र नगर स्थित स्मूथ पफ हुक्का बार, हैवन प्वॉइजन हुक्का बार, नॉनसेंस हुक्का बार और आमापारा स्थित क्लास रूम हुक्का बार में बुधवार को दबिश दी। और तो और लड़कियां भी कश लगा रहीं थीं पुलिस ने सभी बच्चों के परिजनों को थाने बुलाकर लिखित चेतावनी के साथ फिलहाल छोड़ दिया। पकड़े गए संचालकों के लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जा रही है। पूछताछ में बार संचालकों ने बताया कि उनके यहां रोजाना के ग्राहक फिक्स हैं। इनमें स्कूली छात्र प्रमुख हैं। कुछ जगह तो इनका खाता भी चलता है और पैसा महीने के आखिरी में दिया जाता है। राजधानी के हुक्का बार में 40 से 50 फ्लेवर उपलब्ध करवाए जाते हैं
टीम ने संचालकों से बात कर कमरा बुक कराया। इस दौरान संचालकों ने बताया कि ग्राहकों को हर किस्म की सुविधा दी जाती है। इन गतिविधियों की जानकारी एसएसपी दिपांशु काबरा को दी गई। उनके निर्देश पर डीबी स्टार टीम के साथ सिविल लाइन सीएसपी मनीषा ठाकुर और आजाद चौक सीएसपी नीथू कमल के साथ राजेंद्र नगर, आजाद चौक और सरस्वती नगर पुलिस की टीम ने बुधवार को छापा मारा। छत्तीसगढ़ में युवाओं के साथ-साथ बच्चों में भी नशीली दवाओं की लत बढ़ रही है। यहां हर माह ऐसी दवाओं का करोड़ों का कारोबार है, जिनका उपयोग कुछ नशे के लिए किया जाता है। दवा व्यवसायी डाक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन के ऐसी दवा किसी के भी हाथ में थमा देते हैं, जिससे दवा बेचने वालों के वारे-न्यारे तो होते ही हैं, बच्चे और युवा नशे की गिरफ्त में फंसकर अपनी जिंदगी तबाह करने की राह में चल पड़ते हैं। नशीली दवा बेचने वाले हर महीने लाखों का वारे-न्यारे कर रहे हैं। दवाओं के सौदागर युवा वर्ग को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी तबाह कर रहे हैं। शहर की कई दुकानों में ये दवाएं डाक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन के बेची जा रही हैं। नशीले इंजेक्शन का एक एंपुल ब्लैक में एक सौ से एक सौ पचास रुपए के बीच बिकता है, जबकि दवा मार्केट में इसकी कीमत सिर्फ १२ रुपए है। गली-मोहल्लों के पान ठेलों पर यह आसानी से मिल जाता है। शहर के कई इलाकों में ठेलों और घरों में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। उत्तेजक गोलियों के प्रभाव में मदहोशी छाने के बाद लूट, चाकूबाजी अथवा हत्या तक कर डालते हैं। ताज्जुब है कि नशीली दवाओं का कारोबार तेजी से फैल रहा, लेकिन इनके सौदागरों पर पुलिस अथवा प्रशासन काबू पाने में नाकाम रहा है। नशीली दवाओं की आसान और सस्ती उपलब्धता ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।
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