......ये कवि, साहित्यकार या चाटुकार हैं...?
मुझे बड़ा दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज कुछ ऐसे कवि, व्यंगकार, पत्रकार, एवं साहित्यकार हैं जो केवल मात्र राजनेताओं को खुश करने कसिदें पढ़ कर इस प्रतिषठित ओहदे को हांसिये पर ढ़केलने का पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं अभी हाल में ही छत्तीसगढ़ के कुछ कियों नें पिछले दिनों नंदकुमार पटेल के जन्मदिन पर विज्ञापन के माध्यम से किसी कवि ने अपनी रचना छ.ग.के दुःख दर्द को अपने शब्दों में उक्त कवि ने प्रस्तुत किया था। वहां तक तो ठिक था क्योंकि कवि एवं साहित्यकार का यह धर्म है कि वह समाज के लोगों एवं सरकार को आगाह करे ता कि सरकार अपने नीतियों में अधिक से अधिक पारदर्शिता बरतें, वैसे तो कवि की रचनाएं प्रायः उनकी डायरीयों में ही शोभायमान रहती हैं कुछ प्रभावशाली कवि हैं जिनका समाचार पत्र पत्रिकाएं ईक्का दुक्का प्रकाशित कर देतें हैं कांग्रेस पार्टी या श्री पटेल जी के खर्चे से इसको प्रदेश के छोटे बड़े सभी समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित कराया गया। वहीं दूसरे दिन राज्य सरकार ने पटेल जी को करारा जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ संवाद द्वारा जारी विज्ञापन सरकारी खर्चे से प्रकाशित हुआ था। ऐसे में इस प्रकरण को देखा जाय तो प्रथम दृष्टया नेतागिरी तंत्र ही दोषी नहीं बल्कि चाटूकार कवि एवं लेखक भी हैं। मित्रों यदि इसी प्रकार कवि, लेखक, पत्रकार, व्यंगकार, एवं साहित्यकारों को आप क्या कहेंगे..क्या ये कवि या साहित्य अथवा चाटूकार कहेंगे अब इसका जवाब आप ही चुन लें । ज्योतिषाचार्य,पं.विनोद चौबे , भि,०९८२७१९८८२८
मुझे बड़ा दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज कुछ ऐसे कवि, व्यंगकार, पत्रकार, एवं साहित्यकार हैं जो केवल मात्र राजनेताओं को खुश करने कसिदें पढ़ कर इस प्रतिषठित ओहदे को हांसिये पर ढ़केलने का पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं अभी हाल में ही छत्तीसगढ़ के कुछ कियों नें पिछले दिनों नंदकुमार पटेल के जन्मदिन पर विज्ञापन के माध्यम से किसी कवि ने अपनी रचना छ.ग.के दुःख दर्द को अपने शब्दों में उक्त कवि ने प्रस्तुत किया था। वहां तक तो ठिक था क्योंकि कवि एवं साहित्यकार का यह धर्म है कि वह समाज के लोगों एवं सरकार को आगाह करे ता कि सरकार अपने नीतियों में अधिक से अधिक पारदर्शिता बरतें, वैसे तो कवि की रचनाएं प्रायः उनकी डायरीयों में ही शोभायमान रहती हैं कुछ प्रभावशाली कवि हैं जिनका समाचार पत्र पत्रिकाएं ईक्का दुक्का प्रकाशित कर देतें हैं कांग्रेस पार्टी या श्री पटेल जी के खर्चे से इसको प्रदेश के छोटे बड़े सभी समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित कराया गया। वहीं दूसरे दिन राज्य सरकार ने पटेल जी को करारा जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ संवाद द्वारा जारी विज्ञापन सरकारी खर्चे से प्रकाशित हुआ था। ऐसे में इस प्रकरण को देखा जाय तो प्रथम दृष्टया नेतागिरी तंत्र ही दोषी नहीं बल्कि चाटूकार कवि एवं लेखक भी हैं। मित्रों यदि इसी प्रकार कवि, लेखक, पत्रकार, व्यंगकार, एवं साहित्यकारों को आप क्या कहेंगे..क्या ये कवि या साहित्य अथवा चाटूकार कहेंगे अब इसका जवाब आप ही चुन लें । ज्योतिषाचार्य,पं.विनोद चौबे , भि,०९८२७१९८८२८
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