विशेष सूचना: साथियों पांच वर्ष पहले दिनांक शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011 को "ज्योतिष का सूर्य " राष्ट्रीय मासिक पत्रिका में प्रकाशित एवं वेब पोर्टल के इस लिंक पर संग्रहित किया गया है।
http://panditvinodchoubey.blogspot.in/2011/10/blog-post_21.html?m=1
मुझे लगा कि एक बार नये एवं पुराने साथियों के अवलोकनार्थ आपके समक्ष रखूँ ताकि इस परा विद्या से आपको मदद मिल सके.
मुझे लगा कि एक बार नये एवं पुराने साथियों के अवलोकनार्थ आपके समक्ष रखूँ ताकि इस परा विद्या से आपको मदद मिल सके.
जन्मकुंडली के मुख्य कारक ग्रह ही कुंडली के प्रेसिडेंट होते हैं।
आपका करियर और आपकी कुंडली
--ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे-09827198828
किसी शायर ने कहा है कि तरक्कीयों के दौर में उसी का तरीका चल गया, बनाके अपना रास्ता जो भीड़ से आगे निकल गया। यानी सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में अपनी मेहनत के बल पर पहचान बनाना आसान काम नहीं है। किंतु कर्म और भाग्य का सही तालमेल बैठ जाये तो सब कुछ संभव है। जीवन की यात्रा में मार्ग वही चुनें जो आपके स्वभाव के अनुसार हो। जहां आपको लगे कि यह काम मैं इस क्षेत्र में बेहतर कर सकता हूं, उसी कार्य को करें। अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि हमें कैसे पता कि किस क्षेत्र में हमें कामयाबी मिलेगी और क्या काम हमारे लिये बेहतर रहेगा। आपको जानकर खुशी होगी कि इसका सीधा जवाब ज्योतिष विज्ञान के पास है। आप स्वयं ही अपनी कुंडली के ग्रहों के आधार पर अपने करियर का चुनाव कर सकते हैं, अथवा किसी ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाकर उनसे सलाह ले सकते हैं। ऐसे ही अंतर्मन में उठ रहे कुछ सवालों के जवाब इस आलेख
http://ptvinodchoubey.blogspot.com/ में देने का प्रयास कर रहा हूं।
--ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे-09827198828
किसी शायर ने कहा है कि तरक्कीयों के दौर में उसी का तरीका चल गया, बनाके अपना रास्ता जो भीड़ से आगे निकल गया। यानी सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में अपनी मेहनत के बल पर पहचान बनाना आसान काम नहीं है। किंतु कर्म और भाग्य का सही तालमेल बैठ जाये तो सब कुछ संभव है। जीवन की यात्रा में मार्ग वही चुनें जो आपके स्वभाव के अनुसार हो। जहां आपको लगे कि यह काम मैं इस क्षेत्र में बेहतर कर सकता हूं, उसी कार्य को करें। अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि हमें कैसे पता कि किस क्षेत्र में हमें कामयाबी मिलेगी और क्या काम हमारे लिये बेहतर रहेगा। आपको जानकर खुशी होगी कि इसका सीधा जवाब ज्योतिष विज्ञान के पास है। आप स्वयं ही अपनी कुंडली के ग्रहों के आधार पर अपने करियर का चुनाव कर सकते हैं, अथवा किसी ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाकर उनसे सलाह ले सकते हैं। ऐसे ही अंतर्मन में उठ रहे कुछ सवालों के जवाब इस आलेख
http://ptvinodchoubey.blogspot.com/ में देने का प्रयास कर रहा हूं।
सामान्यत: वैदिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू और शनि इन सात ग्रहों का अपना अलग-अलग क्षेत्र और प्रभाव है। लेकिन, जब इन ग्रहों का आपसी योग बनता है तो क्षेत्र और प्रभाव बदल जाते हैं। इन ग्रहों के साथ राहु और केतु मिल जाये, तो कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। व्यवहारिक भाशा में कहें तो टांग अड़ाते हैं। जन्मकुंडली के मुख्य कारक ग्रह ही कुंडली के प्रेसिडेंट होते हैं। यानी जो भी कुछ होगा वह उन ग्रहों की देखरेख में होगा, अत: यह ध्यान में जरूर रखें कि इस कुंडली में कारक ग्रह कौन से हैं। अगर कारक ग्रह कमजोर हैं या अस्त है, वृद्धावस्था में हैं तो उसके बाद वाले ग्रहों का असर आरंभ हो जायेगा। मंगल, शुक्र और सूर्य, शनि करियर की दशा तय करते हैं। बुध और गुरु उस क्षेत्र की बुद्धि और शिक्षा प्रदान करते हैं। यद्यपि क्षेत्र इनका भी निश्चित है, लेकिन इन पर जिम्मेदारियां ज्यादा रहती हैं। इसलिये कुंडली में इनकी शक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज हम किसी एक या दो ग्रहों के करियर पर प्रभाव की चर्चा करेंगे। जन्मकुंडली में वैसे तो सभी बारह भाव एक दूसरे को पूरक हैं, किंतु पराक्रम, ज्ञान, कर्म और लाभ इनमें महत्?वपूर्ण है। इसके साथ ही इन सभी भावों का प्रभाव नवम भाग्य भाव से तय होता है। अत: यह परम भाव है।
सूर्य और मंगल यानी सोच और साहस के परम शुभ ग्रह माने गये हैं। सूर्य को कुंडली की आत्मा कहा गया है। और शोधपरक, आविष्कारक, रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित कार्यों में इनका खास दखल रहता है। मशीनरी अथवा वैज्ञानिक कार्यों की सफलता सूर्यदेव के बगैर संभव ही नहीं है। जब यही सूक्ष्म कार्य मानव शरीर से जुड़ जाता है तो शुक्र का रोल आरंभ हो जाता है, क्योंकि मेंडिकल एस्ट्रोजॉली में शुक्र तंत्रिका तंत्र विज्ञान के कारक हैं। यानी शुक्र को न्यूरोलॉजी और गुप्त रोग का ज्ञान देने वाला माना गया है। सजीव में शुक्र का रोल अधिक रहता है और निर्जीव में सूर्य का रोल अधिक रहता है। यदि आपकी कुंडली में ये दोनों ग्रह एक साथ हैं और दक्ष अंश की दूरी पर हैं तो ह मानकर चलें कि इनका फल आपके ऊपर अधिक घटित होगा। तीसरे भाव, पांचवें भाव, दशम भाव और एकादश भाव में इनकी स्थिति आपके कुशल वैज्ञानिक, आविश्कारक, डॉक्टर, संगीतज्ञ, फैशन डिजाइनर, हार्ट अथवा न्यूरो सर्जन बना सकती है। इन दोनों की युति में शुक्र बलवान हों, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ बना सकते हैं। साथ ही ललित कला और फिल्म उद्योग में संगीतकार आदि बन सकते हैं। लेकिन, जब इन्हीं सूर्य के साथ मंगल मिले हैं, तो पुलिस, सेना, इंजीनियर, अग्निशमन विभाग, कृषि कार्य, जमीन-जायदाद, ठेकेदारी, सर्जरी, खेल, राजनीति तथा अन्य प्रबंधन कार्य के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा सकते हैं। यदि इनकी युति पराक्रम भाव में दशम अथवा एकादश भाव में हो इंजीनियरिंग, आईआईटी वैज्ञानिक बनने के साथ-साथ अच्छे खिलाड़ी और प्रशासक बनना लगभग सुनिश्चित कर देती है। अधिकतर वैज्ञानिक, खिलाडिय़ों और प्रभावशाली व्यक्तियों की कुंडली में यह युति और योग देखे जा सकते हैं। आज के प्रोफेशनल युग में इनका प्रभाव और फल चरम पर रहता है। इसलिये यह मानकर चलें कि यदि कुंडली में मंगल, सूर्य तीसरे दसवे या ग्याहरवें भाव में हो तो अन्य ग्रहों के द्वारा बने हयु योगों को ध्यान में रखकर उपरोक्त कहे गये क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाना चाहिये। यदि इनके साथ बुध भी जुड़ जायें तो एजुकेशन, बैंक और बीमा क्षेत्र में किस्मत आजमा सकते हैं। लेकिन, इसके लिये कुंडली में बुध ओर गुरु की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है। वास्तुकला तथा अन्य नक्काशी वाले क्षेत्रों के दरवाजे भी आपके लिये खुल जायेंगे, इसलिये कुंडली में अगर सूर्य, मंगल की प्रधानता हो तो इनके कारक अथवा संबंधित क्षेत्र अति लाभदायक और कामयाबी दिलाने वाले रहेंगे, इसलिये जो बेहतर और आपकी प्रकृति को सूट करे वही क्षेत्र चुनें।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें..09827198828 (प्रति प्रश्न मात्र 1100 रू )
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