शनि अमावस्या पर पिता (सूर्य)-पुत्र (शनि)का दुर्लभ मिलन....
मित्रों, नमस्कार कल शनिचरी अमावस्या है सर्वप्रथम आप सभीको ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ.....और आईए अब चर्चा करते हैं कल के महापर्व की।1 मार्च 2014 को शनिचरी अमावस्या है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव हैं और पितृदेव विश्वेदेव अर्थात सूर्य को माना गया है, आज कुंभ राशि पर सूर्य हैं साथ ही अमावस्या को भी शतभिषा नक्षत्र यानी बनती है कुंभ राशि, जिसका स्वामी शनि जो सूर्यपुत्र है, अत: आज पिता पुत्र का दुर्लभ मिलन हो रहा है, जो मिथुन, सिंह तथा तुला राशि के लिए बेहद शुभ फल देने वाले साबित होंगे। वहीं धनु, मेष तथा कर्क राशि वाले लोगों को सूर्यपुत्र शनिदेव के शरण में जाना उचित होगा साथ ही सावधानी भी बरतें।
कैसे करें शनिचरी अमावस्या पर पूजन अर्चन:
प्रात: स्नान आदि से निवृत्त हो कर भगवान शनिदेव के मंदिर जायें और काला कपड़े में बंधा हुआ नारीयल, कुछ छुट्टे पैसे, प्रसाद, सूखा फल मेवा आदि का भोग लगाकर,अगरबत्ती (धूप), दीप से पूजन करने के बाद शनि सोतोत्र का पाठ करना चाहिए। तत्पश्चात् सरसों के तेल का दान करना चाहिए। तैलाभिषेक का महत्त्व काफी महत्त्वपूर्ण बताया गया है धर्म शास्त्रों में। इससे कुण्डली में शनि जनित दोष, साढ़ेसाती, ढ़ैय्या अथवा शनि से उत्पन्न शारीरिक विकलांगता, शिक्षा में अरुचि, भत पिशाचादि बाधा, पति-पत्नि में पारस्परीक मतभेद, व्यापारिक नुकासान तथा नशे की लत से पागलपन आदि में राहत मिलती है।
इसके अलावा हनुमानजी के मंदिर में 49 बार हनुमान चालिसा का पाठ करना भी शनि जनित दोषों से मुक्ति मिलती है। सूर्यपुत्र शनि के इस दुर्लभ मिलन और परस्पर नवपंचम योग से प्रभावित राशि वालों को एकादशमुखी हनुमत्कवच का पाठ करने के बाद हनुमानजी को गुड़, देशी से बना हुआ रोट का भोग लगाना चाहिए।
-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, शांतिनगर, भिलाई
इसके अलावा हनुमानजी के मंदिर में 49 बार हनुमान चालिसा का पाठ करना भी शनि जनित दोषों से मुक्ति मिलती है। सूर्यपुत्र शनि के इस दुर्लभ मिलन और परस्पर नवपंचम योग से प्रभावित राशि वालों को एकादशमुखी हनुमत्कवच का पाठ करने के बाद हनुमानजी को गुड़, देशी से बना हुआ रोट का भोग लगाना चाहिए।
-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, शांतिनगर, भिलाई