--ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, रावण संहिता विशेषज्ञ एवं संपादक -"ज्योतिष का सूर्य" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांतिनगर, भिलाई, दुर्ग (छ.ग.)
बहनों नमस्कार, करवा चौथ के पावन पुनीत अवसर पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ। एवं आपके अखण्ड सौभाग्य की कामना करते हुये..दक्षिणेश्वर हनुमान जी एवं मां बगलामुखी से प्रार्थना करता हुँ कि आप सभी भारतीय नारियों/बहनों/मातृवत्सलाओं आपका आँचल हमेशा किलकारियों भरा सुहाग से रंग से निरंतर रंगीन बना रहे......तो आईये सर्व प्रथम शुभ मुहूर्त के बारे में बताउंगा, जो बतौर ऑफिसीयल "ज्योतिष का सूर्य" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के संपादक आदरणीय ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे जी द्वारा ग्रह-गणना कर परिशोधन व सिद्ध मुहूर्त निकाला गया है । साथ ही आगे करवा चौथ व्रत विधान, करवा चौथ पौराणिक महत्त्व आदि के बारे में आदरणीय पण्डित विनोद चौबे जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है.....
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १७:३३ से १८:४८
अवधि = १ घण्टा १५ मिनट
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय = ८:४५
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = १८/अक्टूबर/२०१६ को १०:४७ बजे रात्रि से आरमभ होकर अगले दिन १९ को चतुर्थी तिथि समाप्त = १९/अक्टूबर/२०१६ को ०७:३२ बजे सायंकाल तक रहेगा।
टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी Bhilai के स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।
करवा चौथ व्रत का अन्य प्रांतों में निर्धारण:
करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिन्दु माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दौरान किया जाता है। अमांत पञ्चाङ्ग जिसका अनुसरण गुजरात, महाराष्ट्र, और दक्षिणी भारत में किया जाता है, के अनुसार करवा चौथ अश्विन माह में पड़ता है। हालाँकि यह केवल माह का नाम है जो इसे अलग-अलग करता है और सभी राज्यों में करवा चौथ एक ही दिन मनाया जाता है।
यदि आपकोलकोई संदेह हो तो व्रत से संबंधित कोई भी सवाल mo. No. 9827198828 (Astro guru, Pandit Vinod Choubey) इस नंबर पर संपर्क करें।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो किभगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।
करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
करवा चौथ दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। करवा चौथ के चार दिन बाद पुत्रों की दीर्घ आयु और समृद्धि के लिएअहोई अष्टमी व्रत किया जाता है।
--(लेखक ज्योतिष एवं वास्तु पर आधारीत राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ''ज्योतिष का सूर्य'' के संपादक एवं धर्म-संस्कृति हेतु समर्पित धर्म-सचेतक हैं)
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