ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

!!विशेष सूचना!!
नोट: इस ब्लाग में प्रकाशित कोई भी तथ्य, फोटो अथवा आलेख अथवा तोड़-मरोड़ कर कोई भी अंश हमारे बगैर अनुमति के प्रकाशित करना अथवा अपने नाम अथवा बेनामी तौर पर प्रकाशित करना दण्डनीय अपराध है। ऐसा पाये जाने पर कानूनी कार्यवाही करने को हमें बाध्य होना पड़ेगा। यदि कोई समाचार एजेन्सी, पत्र, पत्रिकाएं इस ब्लाग से कोई भी आलेख अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर अनुमती लेकर ही प्रकाशित करें।-ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे, सम्पादक ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका,-भिलाई, दुर्ग (छ.ग.) मोबा.नं.09827198828
!!सदस्यता हेतु !!
.''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के 'वार्षिक' सदस्यता हेतु संपूर्ण पता एवं उपरोक्त खाते में 220 रूपये 'Jyotish ka surya' के खाते में Oriental Bank of Commerce A/c No.14351131000227 जमाकर हमें सूचित करें।

ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श हेतु संपर्क 09827198828 (निःशुल्क संपर्क न करें)

आप सभी प्रिय साथियों का स्नेह है..

शुक्रवार, 2 जून 2017

'केरल' दूसरा 'कश्मीर' बनने की राह पर, क्या ... साम्प्रदायिकता की बिसात पर सत्ता में वापसी करना चाहती है कांग्रेस...??

'केरल' दूसरा 'कश्मीर' बनने की राह पर,  क्या ... साम्प्रदायिकता की बिसात पर सत्ता में वापसी करना चाहती है कांग्रेस...??






संपादकीय- अंक-मई 2017 ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई, जिला - दुर्ग, छत्तीसगढ़ से प्रकाशित...!
''जो हाल कश्मीर के पंडितो के साथ हुआ वही हाल केरल के हिन्दुओं के साथ हो सकता है क्योंकि कांग्रेस के संरक्षण में केरल के 'बीफ फेस्टीवल' ने यह जता दिया है कि केरल में वाम-शासन और मिशनरियों का बढ़ता फैलाव तथा वाम शासन में केरल तेजी से इस्लामी आतंकवाद की प्रजनन भूमि में बदल रहा है। केरल के हिंदुओं में असुरक्षा की भावना है और वे इन ताकतों के खिलाफ एक सेतु के रूप में संघ को देखते हैं। कम्युनिस्ट पार्टियों ने अपने हिन्दू विरोधी रुख के कारण केरल की मूल परम्पराओं और जीवन मूल्यों को नष्ट करने की कोशिश की थी। युवा पीढ़ी अब एक बार फिर अपनी जड़ों से जुड़ना चाहती है, और वह संघ और उसके अनुसंगों में अपने सांस्कृतिक पुनरुत्थान को देख रही है। इसके अतिरिक्त मुख्यधारा के राजनीतिक दलों में उसे भाजपा में अकूत संभावनाएं नजर आती हैं। केरल में तो पिछले दो दशकों में ऐसी हिन्दु विरोधी  कई घटानाएं होती रहीं हैं जो कभी मीडिया के दहलीज पर भी पहुंच सकीं, और ना ही समाचाचार पत्रों की कतरनों में ही टीक सकीं जो विचारणीय ही नहीं वरन चिन्ताजनक भी है। ''

यूं तो गाहे बेगाहे गोवध किया जाता रहा है, और विरोध भी हुआ, बंदीशें भी लगायीं गईं...लेकिन जब गोमांश वैश्विक व्यापार में अपना पैर जमाने लगा तब इस मलाईदार व्यापार में हिन्दुओं की भी संलिप्तता बढती गई, लेकिन ज्यादातर मुश्लिम ही व्यापारी हैं, कुछ मुश्लिमों का तो पैतृक व परम्परागत व्यापार बहुत बड़े स्तर का है जो आज भी धड़ल्ले से कर रहे हैं..लेकिन अभी वर्तमान में केन्द्र की मोदी सरकार की नीति ने भले ही गो-मांश के व्यापार पर रोक नहीं लगा पाई हो लेकिन...सरकार ने अपरोक्ष रूप से गौ हत्या निषेध को प्रतिबंधित करने के लिए '1960 के पशु क्रूरता अधिनियम' को लाने का वकालत की है, जिसके विरोध में कहें या 'मोदी विरोध' या फिर 'हिन्दु विरोध' में आज तक का सबसे क्रूरतम विरोध केरल के कन्नुर में कांग्रेसी नेताओं द्वारा किया गया...कोच्चि में भाजपा कार्यालय के सामने बीफ फेस्टिवल (गोमांस समारोह) आयोजित किया था। इसमें इन्होंने खुले वाहन में सरेआम बछड़ा काटा। फिर वहीं उसका मांस पकाया, खाया और लोगों के बीच बांटा। यह अत्यंत जघन्यतम कृत्य है। इस घिनौना कृत्य को अंजाम इसलिये दिया गया क्योंकि यह हिन्दुओं से जुड़ी आस्था का विषय है, यह जान-बूझ कर इसलिये किया गया क्योंकि हिंदुओं की पूज्य गो-माता हैं....अर्थात् हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिये ही जिस प्रकार केरल के कन्नुर में कांग्रेसी मुश्लिम कार्यकर्ताओं द्वारा सरेराह गो-वंश को काटा गया वह दृश्य देखकर मनुष्यता तो जाग ही जायेगा...भले हिंदु-भावना जागे या न जागे..! 
ईंजीनियर रशीद और अन्य गोमांश भक्षी मुश्लिम छात्रों द्वारा यह जानते हुये की गाय हिंदुओं की आस्था से जुड़ी है बावजूद बीफ पार्टी कर देश में माहौल खराब करना ही तो है..क्योंकि ऐसे लोग या तो विदेशी चंदों पर पलते हैं या ये वही करते हैं जो भारतेतर अन्य देशों में बैठे उनके आका का आदेश आता है..! ऐसा मैं इसलिये कह रहा हुं क्योंकि जरा आप सोचिये .....
1- क्या ये लोग इसके पहले गोमांस नहीं खाते रहे हैं..?
2-  क्या इनके किचन में क्या पक रहा है..? इसका पता लगाने बजरंग दल, विहीप या कोई आरएसएस के लोग झांकने जाते हैं ?
3- भारत में हिंदु धर्म का लबादा ओढे हिंदु संस्कृति को नष्ट करने वाले वामपंथी तथा कुछेक मुश्लिमों को छोड़ बाकी अधिकतर मुश्लिम भाई गोमांश नहीं खाते...बल्कि इन लोगों ने गाय का पालन किया हुआ है..! ऐसे में क्या गो-मांस भक्षी मुश्लिम क्या ये सच्चे मुशलमान हैं...?
4- केरल में पिछले दशक में आरएसएस के कई स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याएं हुईं हैं, क्या इस पर पिछली ''मनमोहन सरकार'' ने कभी कठोर कदम उठाया ?..या बात बात में राहुल गांधी मुखर होने वाले इस मामले को कभी उठाया.?..दलितों के घर जाकर फोटो खिंचवाने वाले राहुल जी ..केरल में उन आरएसएस के जुड़े दलितों की कभी खोज खबर ली जिन्हें महज इसलिये मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि वे अपनी पूर्वजों की संस्कृति का अनुसरण कर वे अपनी सांस्कृतिक संरचनाओं को बनाये रखने के लिये अपनी बात को मीडिया फोरम में रख रहे थे..।  


हमारे देश में लब्ध प्रतिष्ठित स्लाम धर्मानुयायी शासक बहादुर शाह ने भी 9 जुलाई1857 को घोषणा की कि किसी स्थान पर गोहत्या न की जाय। इस प्रकार के अपराधी को तोप से उड़ा दिया जाएगा। उस वर्ष 1 अगस्त1857 के दिन मुसलमानों का इदुज्जुहा (बकरीद) का पर्व था। तो क्या बहादुर शाह जफ़र मुश्लिम नहीं थे..या इस आदेश के बाद उनके स्लामीयत पर कोई सवाल उठा सकता है..जो कि उन्होंने अपने जीवन में जिस प्रकार से स्लाम धर्म के मुताबिक स्वयं को प्रतिष्ठित किया उसकी जितनी प्रसंशा की जाय उतनी कम है!
इसी क्रम में यदि अकबर के बारे में या उसके महामात्र कवि स्वामी नरहरिदास केलउस प्रसंग को स्मरण किया जाय तो स्पष्ट हो जायेगा की स्वत: अकबर भी गोवध के विपरित था...
अकबर के महामात्र कवि नरहरिदास ने एक छप्पय की रचना की, जिसमें उल्लेख था कि गाय यदि..हम हिन्दुओं को यदि प्रतिदिन अमृत देती हूँ तो मुस्लिमों को भी कटु नहीं पिलाती हूँ।
    छप्पय:-
  हिन्दुहि मधुर न देहि ,
कटुक तुरकहि न पियावहि।
हमें कोई मार नहीं सकता।
इस प्रकार का छप्पय गाय के गले में लिखकर बांध दिया!
कुल मिलाकर गोहत्या पर सियासत करने वाले ना ही हिन्दु हैं ना ही सच्चे मुश्लिम और ना ही सच्चे भारतीय क्योंकि इनको यदि भारतीयता से जरा भी प्रेम रहता तो आज भारत स्वतंत्रता के तकरीबन ६० वर्षों बाद भी भारतीय सांस्कृतिक संरचनाओं जैसे अयोध्या में राम मंदिर, गोहत्या पर प्रतिबंध समेत कई ऐसी सांस्कृतिक संरचनाओं को नष्ट करने व इन विषयों को बेवजह राजनैतिक मुद्दा बनाकर भारत की गंगा-जमुनी तहजीब में जहर नहीं घोलते...और विशेष तौर पर देश की सत्ता पर सर्वाधिक कांग्रेस रही है ऐसे मुद्दों को बेवजह मुद्दा बनाकर आज भी राजनैतिक रोटियां नहीं सेंकती रहती....इनका हमेशा से यही सिद्धांत रहा की देश को हिंदु-मुश्लिम दो भागों में बांटो, या आरक्षण की आग लगाकर हिमदुओं को आपस में लड़ाते रहो और मुश्लिमो को भी समय समय पर शिया, सुन्नी तथा बहावी आदि बाहुल्य क्षेत्रों से मुश्लिमों में से लड़ाने का काम कांग्रेस करती रही सिवाये राजनीतिक रोटियां सेंकने की, उसका सीधा प्रमाण है कि कांग्रेस ने 60 वर्षों तक लगातार सत्ता में रही फिर भी मुश्लिम युवाओं के शिक्षा दर में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई...और तो और स्वयं को 'मुश्लिम-भक्त' बताने वाली कांग्रेस सिवाये गांधी परिवार के किसी मुश्लिम चेहरे को देश का पीएम उम्मीदवार बनाया क्या ?.....जबकि वहीं भाजपा ने तो राष्ट्रपति पद पर आदरणीय श्री एपीजे अब्दुल कलाम साहब को समर्थन देकर राष्ट्रपति उम्मीदवार भी बनाया और जीताया भी।...कुल मिलाकर कांग्रेस यही सियासत हमेशा से करती आई है...''फुट डालो, राज़ करो'' ! जिसकी बिसात पर भारत को अंग्रेजों ने गुलाम बनाने में सफल हुये थे..। कमोबेस कांग्रेस भी उसी नीति को अपनाकर चल रही है सर्वाधिक सत्ता में बनी रही !


 केरल के कन्नुर में जो कांग्रेसी कार्यकर्ता ने गोवंश का लाईव वध किया वह 'राहुल गांधी' का करीबी माना जा रहा है....जो हिंदु-मुश्लिमों को आपस में लड़ाने का असफल प्रयास था! क्योंकि मामला हिंदु आस्था से जुड़ा हुआ था! इस विषय की गहन जांच होनी चाहिये कि आखिरकार वे लोग किसके कहने पर सरेराह गोवंश को काट रहे थे! यदि इसमें शिर्ष नेतृत्व की मिलीभगत नहीं थी तो ऐसे अपराधियों को क्यों ना कांग्रेस के ही बड़े बड़े वकील उनके उपर केश फाईल करके स्वयं को पाक़ साफ करते हैं..?

मुश्लिम मित्रों भारत में कानून का राज़ है ना ही यह हिन्दु-कानून का,  ना ही स्लामिक-कानून का ! तो क्या केरल के गोवध करने वाले कांग्रेसी मुश्लिमों को किसी हिन्दु ने अपने धर्म के मुताबिक उनको दण्ड दिये जाने की वकालत की है..? क्योंकी हमारे अथर्ववेद मे तो गोवध का दण्ड कुछ इस प्रकार सुनाया गया है...
यदि नो गां हंसि यद्यश्वं यदि पूरुषम्। तं त्वा सीसेन विध्यामो यथा नासो अवीरहा।
– अथर्ववेद 1/16/4
वेद तो कहता है- यदि कोई तुहारे गाय, घोड़े, पुरुष की हत्या करता है तो सीसे की गोली से मार दो।
यदि ऐसा संभव नहीं तो क्या धर्मनिरपेक्ष इस भारत देश के मुश्लिम भाईयों या कांग्रेस के बड़े बड़े वकीलों को उन गो-वंश का वध करने वालों को कठोर से कठोर दण्ड दिलाने का प्रयास नही करना चाहिये...! किन्तु दु:खद बात तो यह है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस ने पहले तो उनका बचाव किया और 100 करोड़ हिंदुओं की भावनाओ का तनिक भी खयाल नहीं किया गया, लेकिन जब पूरे देश में कांग्रेस के विरूद्ध माहौल बनने लगा तो "डैमेज कट्रोल" करते हुए  'गो-वंश कटवा'  कन्नूर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष रिजिल मुक्कुट्टी, जोशी कांडाथिल और सहाराफुद्दीन को  निलंबित किया गया है।
कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि -  "यह घटना कोई सामान्य घटना मानकर ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिये बल्कि यह कांग्रेस की एक असफल 'रणनीति' का हीस्सा है, क्योंकि कांग्रेस यह जानती है कि गाय हिंदुओं की आस्था से जुड़ा विषय है और यदि उनके कार्यकर्ताओं द्वारा 'लाईव-गोवध' किया जाता है तो इससे देश में जगह-जगह साम्प्रदायिक दंगे भड़केंगे इसमें एक बार फिर 'हिन्दु-मुश्लिमों' को आपस में लड़ाकर 'सत्ता में वापसी' का हर संभव प्रयास था! क्योंकि केन्द्र में ये वही पीएम मोदी हैं जिनपर कांग्रेस हमेशा 'गोधरा कांड' का कांग्रेस द्वारा प्रायोजित 'दाग' और 'मौत का सौदागर' आदि शब्दों का ईज़ाद कर नरेन्द्र मोदी के बहाने भाजपा को हमेशा घेरती रही, और भाजपा को हिन्दुत्ववादी पार्टी तथा मुश्लिमों का दुश्मन है बीजेपी आदि..किन्तु अभी देश का माहौल बदला है बहुतायत मुश्लिमों ने भाजपा को वोट देकर जता दिया की अब साम्प्रदायिकता की घिनौनी राजनीति नहीं चलेगी! क्योंकि आजतक भाजपा या मोदी का भय दिखाकर केन्द्र की सत्ता का उपभोग करती रही, लेकिन 'मोदी रणनीति' ने गुजरात में कांग्रेस की वापसी नहीं होने दी! कुल मिलाकर कांग्रेस साम्प्रदायिकता की बिसात पर सत्ता में वापसी का असफल प्रयास नहीं करती!  इसीलिये तो कांग्रेस के शिर्ष नेताओं ने  'गो-वंश कटवा' युथ कांग्रेसी नेताओं का भरसक बचाव किया! बाद में पार्टी की किरकिरी देख फिर निंदा करना शुरू किया, फिर भी सेक्युलरिज्म की बात करने वाली कांग्रेस अपने परम्परागत वोटरों को संदेश तो देने में कामयाब रही! तभी तो उन युथ कांग्रेसी नेताओं द्वारा पुन: दूसरे दिन गो-मांश को फ्री में बांटने तक की प्रतिक्षा करती रही!
कांग्रेस ने साबित कर दिया कि उसे 80 फीसदी भारतीयों की भावनाओं के साथ कोई सहानुभूति नहीं है! 1980 के बाद कांग्रेस में इतना बदलाव दिखा, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती! लेकिन हिन्दु एवं मुश्लिम दोनों से आग्रह है कि भारत अब जाति, पंथ, धर्म की जहरीली राजनीति से ऊब चुका है...अब आप अपनी भावानाओं को राजनितक-कुटील चाल में ना फंसने दें बल्कि इससे उपर उठकर राष्ट्रभक्ति और गंगा-जमुनी तहजीब की संस्कृति बनाये रखें..। उम्मीद है कि भारत की बयार बदली है एक दिन सोने की चिड़ीया भारत अवश्य बनेगा...!
-पण्डित विनोद चौबे, संपादक
'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका,
भिलाई, जिला - दुर्ग, छत्तीसगढ़ Mo. No. 9827198828

कोई टिप्पणी नहीं: