मेष लग्न में शनि दशम भाव तथा ग्यारहवे भाव का स्वामी होता है । दशम भाव तो केंद्र स्थान होने से शुभ है लेकिन ग्यारहवा भाव शुभ भाव नहीं माना जाता, ग्यारहवे भाव का स्वामी शनि, मंगल का शत्रु होने से अशुभ है ।
मेष चर लग्न है और चर लग्न में ग्यारहवे भाव का स्वामी अशुभ माना जाता है, बुध ग्रह तीसरे व छटे भाव का स्वामी है तथा ये स्थान अशुभ है । मंगल व बुध शत्रु होने से ये अशुभ फल ही देगा, शुक्र दूसरे भाव तथा सप्तम भाव का स्वामी है, जो मारक भाव भी कहलाते है तथा मंगल का शत्रु है, इसलिए अशुभ फल देते है। मेष लग्न में राहु अशुभ प्रभाव तथा केतु शुभ प्रभाव देता है ।
इस प्रकार मेष लग्न वालों के लिए मंगल, गुरु, सूर्य शुभ, चंद्र सम तथा बुध, शुक्र, शनि व राहु अशुभ ग्रह माने जाते है ।
- *आचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका शांति नगर, भिलाई*
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