नवरात्र में कैसे और किस मुहूर्त में करें कलश स्थापन, पूजन, और क्या है सम्पूर्ण पूजा विधान?-------
Pandit Vinod Choubey, Astrologer |
"कलौ चण्डी विनायकौ" इस कलिकाल में माँ शक्ति और भगवान गणेश दोनों की पूजा सप्रमाणिक लाभदायक व सौभाग्यदायक है। अत: आध्यात्मिक ९ अलग-अलग शक्तियो के जागृत करने के लिये नवदुर्गा/नवदेवियों का अनुष्ठान व अर्चन वन्दन करना चाहिये।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातकाल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जातीहै।