tag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.comments2024-01-29T19:44:55.589-08:00''ज्योतिष का सूर्य'' ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे (Pandit Vinod Choubey Astrologer) ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबेhttp://www.blogger.com/profile/06996128613003215306noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-72487863947044408212012-07-06T08:44:05.730-07:002012-07-06T08:44:05.730-07:00धर्म- सत्य, न्याय एवं नीति को धारण करके उत्तम कर्म...धर्म- सत्य, न्याय एवं नीति को धारण करके उत्तम कर्म करना व्यक्तिगत धर्म है । धर्म के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । धर्म पालन में धैर्य, विवेक, क्षमा जैसे गुण आवश्यक है । <br />शिव, विष्णु, जगदम्बा के अवतार एवं स्थिरबुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है । लोकतंत्र में न्यायपालिका भी धर्म के लिए कर्म करती है ।<br />धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस परिस्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है । <br />अधर्म- असत्य, अन्याय एवं अनीति को धारण करके, कर्म करना अधर्म है । अधर्म के लिए कर्म करना भी अधर्म है ।<br />कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म (किसी में सत्य प्रबल एवं किसी में न्याय प्रबल) -<br />राजधर्म, राष्ट्रधर्म, मंत्रीधर्म, मनुष्यधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।<br />जीवन सनातन है परमात्मा शिव से लेकर इस क्षण तक एवं परमात्मा शिव की इच्छा तक रहेगा ।<br />धर्म एवं मोक्ष (ईश्वर के किसी रूप की उपासना, दान, तप, भक्ति) एक दूसरे पर आश्रित, परन्तु अलग-अलग विषय है । <br />धार्मिक ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।<br />राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों से होता है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-12760344187649254102012-06-18T03:59:42.500-07:002012-06-18T03:59:42.500-07:00धर्म का अर्थ - सत्य, न्याय एवं नीति (सदाचरण) को धा...धर्म का अर्थ - सत्य, न्याय एवं नीति (सदाचरण) को धारण करके कर्म करना एवं इनकी स्थापना करना ।<br />व्यक्तिगत धर्म- सत्य, न्याय एवं नीति को धारण करके, उत्तम कर्म करना व्यक्तिगत धर्म है ।<br />असत्य, अन्याय एवं अनीति को धारण करके, कर्म करना अधर्म होता है ।<br />सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिरबुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है । वर्तमान में न्यायपालिका भी यही कार्य करती है ।<br />धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है । धर्म पालन में धैर्य, संयम, विवेक जैसे गुण आवश्यक है ।<br />धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।<br />व्यक्ति विशेष के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -<br />राजधर्म, राष्ट्रधर्म, मनुष्यधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।<br />जीवन सनातन है परमात्मा शिव से लेकर इस क्षण तक व अनन्त काल तक रहेगा ।<br />धर्म एवं मोक्ष (ईश्वर की उपासना, दान, पुण्य, यज्ञ) एक दूसरे पर आश्रित, परन्तु अलग-अलग विषय है । <br />धार्मिक ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।<br />राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों से होता है । by- kpopsbjriAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-67211117917503791452012-06-17T04:57:31.264-07:002012-06-17T04:57:31.264-07:00आप द्वारा लिखा लेख बहुत सुन्दर है । परन्तु सत्य, न...आप द्वारा लिखा लेख बहुत सुन्दर है । परन्तु सत्य, न्याय और नीति को धारण करके कर्म करना धर्म है । सत्य, न्याय और नीति में से किसी एक को धारण करना, धर्म का एक रूप या पंथ हो सकता है, परन्तु धर्म नहीं । धर्म संकट की स्थिति में सत्य और न्याय में से किसी एक को चुना जाता है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-81353500176023048932012-06-15T20:55:20.518-07:002012-06-15T20:55:20.518-07:00धर्म का अर्थ - सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) ।
...धर्म का अर्थ - सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) ।<br />व्यक्तिगत धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।<br />सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिरबुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।<br />धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।<br />धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है । धर्म के विरुद्ध किया गया कर्म, अधर्म होता है ।<br />व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -<br />राजधर्म, राष्ट्रधर्म, मनुष्यधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।<br />धर्म सनातन है भगवान शिव से लेकर इस क्षण तक व अनन्त काल तक रहेगा ।<br />धर्म एवं ‘ईश्वर की उपासना द्वारा मोक्ष’ एक दूसरे आश्रित, परन्तु अलग-अलग विषय है । ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।<br />राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों से होता है ।<br />कृपया इस ज्ञान को सर्वत्र फैलावें । by- kpopsbjriAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-14295748235446845852012-06-05T03:40:48.433-07:002012-06-05T03:40:48.433-07:00आचार्य नमो नमः! मम नाम भास्करः अस्ति!भवतः लेखं पठि...आचार्य नमो नमः! मम नाम भास्करः अस्ति!भवतः लेखं पठित्वा अस्माकं ह्र्दयः गद्-गदाय्मानं भवामि!इदं कारणेन भवतः बहु-बहु साधुवादः!<br />भास्कर शास्त्रीःभास्कर शास्त्रीhttps://www.blogger.com/profile/09861512140364572051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-52600048164270942082012-06-05T03:40:46.880-07:002012-06-05T03:40:46.880-07:00आचार्य नमो नमः! मम नाम भास्करः अस्ति!भवतः लेखं पठि...आचार्य नमो नमः! मम नाम भास्करः अस्ति!भवतः लेखं पठित्वा अस्माकं ह्र्दयः गद्-गदाय्मानं भवामि!इदं कारणेन भवतः बहु-बहु साधुवादः!<br />भास्कर शास्त्रीःभास्कर शास्त्रीhttps://www.blogger.com/profile/09861512140364572051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-75529075489238355372012-06-05T03:40:26.135-07:002012-06-05T03:40:26.135-07:00आचार्य नमो नमः! मम नाम भास्करः अस्ति!भवतः लेखं पठि...आचार्य नमो नमः! मम नाम भास्करः अस्ति!भवतः लेखं पठित्वा अस्माकं ह्र्दयः गद्-गदाय्मानं भवामि!इदं कारणेन भवतः बहु-बहु साधुवादः!<br />भास्कर शास्त्रीःभास्कर शास्त्रीhttps://www.blogger.com/profile/09861512140364572051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-33956687776458984772012-05-10T10:00:51.966-07:002012-05-10T10:00:51.966-07:00सुन्दर।
आज प्रवक्ता पर "शब्द वृक्ष २"
ड...सुन्दर।<br />आज प्रवक्ता पर "शब्द वृक्ष २" <br />डाला है। आप के जापान संबधित लेख के कुछ अंश आप "टिप्पणी में डालें"<br /><br /> मधुसूदनMadhusudan Jhaverihttps://www.blogger.com/profile/17195499710829178937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-22248642874267142322012-02-22T07:58:38.727-08:002012-02-22T07:58:38.727-08:00vip जी स्प्न में यदि आप एरोप्लेन से गिरते हुए अथवा...vip जी स्प्न में यदि आप एरोप्लेन से गिरते हुए अथवा छत पर गिरने आदि का मतलब आप कोई लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं जिसमें आपको कुछ हि दिनों में सफलता मिलेगी.ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबेhttps://www.blogger.com/profile/06996128613003215306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-10734465772178342462012-02-17T20:10:51.026-08:002012-02-17T20:10:51.026-08:00sapne mai airoplane dikha nichi gire huye ek gar k...sapne mai airoplane dikha nichi gire huye ek gar ke upar gira bagal mai ek purani emarat hai vo uske jhate se gir rshi us gar ke bal mai mera gar hai use kucha bhi nahi hu ishka matlabviphttps://www.blogger.com/profile/07575302169609404320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-13308018995248214102012-01-22T06:27:38.148-08:002012-01-22T06:27:38.148-08:00आद.ब्लॉगर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी...आद.ब्लॉगर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी आपको सादर प्रणाम ।।। आप तो हम लोगों के मार्गदर्शक हैं..आपने हमारे इस लेख को अपने ब्लाग चर्चा मंच पर जोड़ा इसके लिए आप सहित आपके सभी ब्लाग चर्चा मंच के सभी सदस्यों का आभार...ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबेhttps://www.blogger.com/profile/06996128613003215306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-59169376793770089852012-01-22T06:22:54.885-08:002012-01-22T06:22:54.885-08:00संगीता जी.... सर्वप्रथम आपको सहृदय धन्यवाद ..आज धर...संगीता जी.... सर्वप्रथम आपको सहृदय धन्यवाद ..आज धर्म का जब भी नाम लिया जाता है एक दूसरे विरोधी राजनीतिक मौका परस्तों को केवल अपना वोटबैंक देखने लगते हैं..अभी अभी हाल में देखिए..श्री रूश्दी जी के साथ क्या हुआ ...इसी संदर्भ को ध्यान में रखते हुए मैने इस पोस्ट को प्रकाशित किया था..की कम से कम साहित्यकारों को तो इस पचड़े में मत डालो..ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबेhttps://www.blogger.com/profile/06996128613003215306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-63437991774843424062012-01-22T01:03:48.755-08:002012-01-22T01:03:48.755-08:00आपकी पोस्ट ज्ञानवर्धक है | इस विषय में मेरा मानना ...आपकी पोस्ट ज्ञानवर्धक है | इस विषय में मेरा मानना है कि धर्म अब लोगों के अनुसरण का माध्यम न होकर मात्र दिखावा भर रहा गया है और कुछ सफ़ेद- पोश, इस के द्वारा भोले लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं |sangitahttps://www.blogger.com/profile/15885937167669396107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-26875585447174386032012-01-21T07:34:24.229-08:002012-01-21T07:34:24.229-08:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी लगाई है!<br />सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-12137429280656869652012-01-11T04:02:33.640-08:002012-01-11T04:02:33.640-08:00आप की समझ बहुत छोटी है क्योंकि मेरे अनुसार राजनीति...आप की समझ बहुत छोटी है क्योंकि मेरे अनुसार राजनीतिक महात्त्वाकांक्षा आप जैसे लोगों की रहती होगी मैं तो इस क्षेत्र में जाकर भी सन्यास ले लिया कृपया प्रोफाईल पढ़ें.. ..आप अवेतनिक इंजीनीयर हैं..क्योंकि आपके समझाईस से मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है..और यदि वेतन लेते हैं तो कृपया दूसरों को शिक्षा न दें..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-66579579968783853342012-01-11T00:49:12.502-08:002012-01-11T00:49:12.502-08:00प्रति प्रश्न मात्र 1100 रू...........Great
mahan...प्रति प्रश्न मात्र 1100 रू...........Great <br /><br />mahanubhav chunaav ladne ka irada hai kya ?<br /><br />itni mahattvakanksha to sirf netaoon ki hoti haiनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-67415667532770894282012-01-08T04:52:14.405-08:002012-01-08T04:52:14.405-08:00पंड़ित जी नमस्कार,
एक जज्ञासा है..यदि वृषभ लग्न ह...पंड़ित जी नमस्कार,<br /><br />एक जज्ञासा है..यदि वृषभ लग्न हो तथा शनि देव( नवमेश, दशमेश) षष्टम में हों, पर वक्री तथा लग्नेश व चंद्र से द्रष्ट भी हों. इस अवस्था में उनकी भूमिका कैसी होगी.<br /><br />धन्यवादAshutosh Joshihttps://www.blogger.com/profile/00220450175826285099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-2361448860133146872012-01-08T04:52:07.504-08:002012-01-08T04:52:07.504-08:00पंड़ित जी नमस्कार,
एक जज्ञासा है..यदि वृषभ लग्न ह...पंड़ित जी नमस्कार,<br /><br />एक जज्ञासा है..यदि वृषभ लग्न हो तथा शनि देव( नवमेश, दशमेश) षष्टम में हों, पर वक्री तथा लग्नेश व चंद्र से द्रष्ट भी हों. इस अवस्था में उनकी भूमिका कैसी होगी.<br /><br />धन्यवादAshutosh Joshihttps://www.blogger.com/profile/00220450175826285099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-61396588672769023722012-01-03T02:05:50.916-08:002012-01-03T02:05:50.916-08:00जय बजरंग बली ...जय बजरंग बली ...Yogesh Yogihttps://www.blogger.com/profile/13435554533814645294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-72880160628395615022012-01-01T02:01:11.779-08:002012-01-01T02:01:11.779-08:00आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-91687283470836357062011-12-30T22:40:17.542-08:002011-12-30T22:40:17.542-08:00hiya ptvinodchoubey.blogspot.com owner discovered ...hiya ptvinodchoubey.blogspot.com owner discovered your website via yahoo but it was hard to find and I see you could have more visitors because there are not so many comments yet. I have discovered website which offer to dramatically increase traffic to your site http://xrumerservice.org they claim they managed to get close to 1000 visitors/day using their services you could also get lot more targeted traffic from search engines as you have now. I used their services and got significantly more visitors to my website. Hope this helps :) They offer pr checker seo copywriting <a href="http://xrumerservice.org" rel="nofollow">backlinks</a> angela backlinks Take care. JayAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-2108661286513922482011-12-23T07:09:07.143-08:002011-12-23T07:09:07.143-08:00सफलता और सहयोग मिलेगासफलता और सहयोग मिलेगाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-36089035620524314652011-12-22T07:09:54.509-08:002011-12-22T07:09:54.509-08:00Pandit Ji sapne me Tiger dikhe to ?Pandit Ji sapne me Tiger dikhe to ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-89320896834302509302011-12-20T04:53:00.885-08:002011-12-20T04:53:00.885-08:00Bahut achch a hai...Bahut achch a hai...Abhi...https://www.blogger.com/profile/01013856210860894018noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8179409059491578079.post-22803371838538016052011-12-12T04:33:25.497-08:002011-12-12T04:33:25.497-08:00जानकारी के लिए धन्यवाद|जानकारी के लिए धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.com