ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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बुधवार, 24 सितंबर 2014

कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त......?

 कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त......?
मित्रों आप सभी को शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ.... और आईए नवरात्रि के प्रथम दिवस पर कलश स्थापना के मुहूर्त के बारे में जानने का प्रयास करते हैं
कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त
कल यानि गुरुवार को ही सुबह 4 बजकर 40 मिनट से सुबह 6 बजकर 10 मिनट तक, तथा प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 45 मिनट तक शुभ की चौघड़िया।  कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. यदि किसी कारण आप इस दौरान कलश स्थापित नहीं कर पाते हैं तो आप कलश का स्थापन अभिजीत मुहूर्त में करें. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. राहु काल में कलश स्थापना निषेध है. राहु काल दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से दोपहर बाद 3: 15 बजे तक रहेगा.

शनिवार, 6 सितंबर 2014

गणेश विसर्जन एवं महारविवार व्रत एक साथ

गणेश विसर्जन एवं महारविवार व्रत एक साथ

-ज्योतिषाचार्य  पण्डित विनोद चौबे
07/09/2014 को दिन में 12 बजकर && मिनट पर चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगा जो सोमवार को प्रात: 10 बजकर &5 मिनट तक रहेगा। निर्णय सिंधु के अनुसार निश्चित तौर पर मध्याह्न व्यापिनी पर्व महारविार व्रत को आज के ही दिन करना आवश्यक है कई वर्षों बाद यह दुर्लभ संयोग
बन रहा है कि गणेश विसर्जन के साथ ही अनन्त चतुर्दशी तथा महारविवार व्रत का महासंयोग बन रहा है।
ग्रहों के अनुसार संवत् 2071(हिन्दी वर्ष) का पहला दुर्लभ संयोग है कि सूर्य, बुध तथा मंगल स्वगृह (स्वराशि) में तथा वृहस्पति अपनी उ"ा की राशि कर्क में स्थित है। बुध ग्रह के देवता गणेश हैं तो महारविवार व्रत के स्वामी सूर्य तथा अनन्त चौदश अर्थात् भगवान विष्णु यानी उ"ा राशि में वृहस्पति हैं कुल मिलाकर सिद्धांत Óयोतिष की दृष्टी से लगभग 167  वर्ष बाद ऐसा शुभ संयोग आया है। आध्यात्मिक दृष्टी से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
गणेश विसर्जन 7 सितंबर रविवार को ही करना अत्यंत शुभदायक रहेगा। किसी भी मूर्ति के विसर्जन में पंचक दोष मान्य नहीं है। और यदि इस प्रकार की भ्रांति फैलाई जा रही है तो वह मात्र कोरी कल्पना है।  पंचक में किया गया हवन यज्ञ तथा विसर्जनादि कार्य पाँच गुना अधिक फलदायी माना जाता है। अत: 07 सितंबर को मध्याह्न काल में मूर्ति का विसर्जन किया जाना चाहिए। देश काल की मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए भगवान गणेश जी साथ उनकी दोनों पत्नियाँ ऋद्धी-सिद्धी भी स्थापित की जाती हैं, तो उस दृष्टी से दिन रविवार होने का कारण सोमवार (08/09/2014) को भी विसर्जन किया जा सकता है।

विसर्जन की विधि : 
गणेश गायत्री मंत्रों से 108 बार आहुति करना चाहिए, और अनन्त (धागा का बना हुआ) को वेदी पर रखकर भगवान विष्णु के स्वरुप का ध्यान करते हुए षोडसोपचार पूजन अर्चन करना चाहिए। महरविवार व्रत करते समय भुवनभास्कर सूर्य के स्तोत्र का पाठ करते हुए अघ्र्यदान करना चाहिए, इस व्रत में सेंधा अथवा सामान्य दोनों नमक वर्जित है। अपराह्न काल में भगवान गणेश जी गाजे बाजे के साथ विसर्जन करना चाहिए। पूजा में  मिट्टी के गणेश प्रतिमा ही ग्राह्य हैं, और उन्हीं का विसर्जन भी करें अन्य रासायनिक पदार्थो की प्रतिमाओं का पूजन अथवा विसर्जन आदि वर्जित है। हमारे धर्म ग्रंथों में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए केवल मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं का ही पूजन व विसर्जन का विधान बताया गया है।

राशियों के अनुसार हवन सामग्री (औषधियाँ) :
मेष : जटामसी तथा गुगल
वृषभ : बेल की गुद्दी
मिथुन : सतावर
कर्क : इन्द्र जव
सिंह : ब्राह्मी
कन्या : लक्ष्मणा
तुला : कपूर
वृश्चिक : तीना का चावल
धनु : आंवला
मकर : नीली फल
कुंभ: नीलमणी रस
मीन: हल्दी
आदि होम द्रव्यों से हवन करना चाहिए।

-ज्योतिषाचार्य  पण्डित विनोद चौबे, शांतिनगर, भिलाई

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

जरुरत है एक सन्दिपनी गुरु तथा कृष्ण जैसे शिष्य की.........

जरुरत है एक सन्दिपनी गुरु तथा कृष्ण जैसे शिष्य की.........

शिक्षक दिवस पर आप सभी मित्रों को सादर शुभकामनाएँ
मित्रों, हमारे भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परम्परा वास्तव में एक विलक्षण परम्परा है, हिन्दू धर्म ग्रंथों में तो गुरु अपने शिष्य को पुत्र से भी अधिक महत्त्व देता है, यहाँ तक की शस्त्र तथा शास्त्र दोनों विद्याओं में गुरु अपने  शिष्य को सभी कौशलों के साथ प्रायोगिक तौर पर विद्या में पारंगत बनाता है। वैसे तो हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक प्रसंग मिलते हैं परन्तु, गुरु सन्दिपनी का शिष्य योगेशवर श्री कृष्ण की गीता पूरे विश्व में मानव-दर्शन का अद्भुत ग्रंथ है जो लगभग अन्य कई देशों में बड़े चाव से पढ़ा जाता है और उसे जीवन में उतारा भी जाता है। शिष्य ऐसा हो जो अपने गुरु के शिक्षा का पूरे संसार में इस प्रकार प्रचार-प्रसार करें कि समस्त भूलोक में उस शिष्य के गुरु के महिमा का गुणगान हो।
मित्रों जरा अब हम चर्चा करें आज के कुछ तथाकथित गुरुओं की जो गुरु के नाम पर शिक्षा को व्यावसायिकरण के गर्त में ढ़केल दिये हैं। आगे कुछ कालेजों में तो एकस्ट्रा कालेज के नाम पर तथाकथित शिक्षकों के द्वारा मासूम बच्चों तथा बच्चियों से शिक्षकों द्वारा वहसियाना हरकतें करने के मामले समाने आ रहे हैं, जो अत्यन्त घृणित है। कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर अपने शिष्य के प्रगति में सहर्ष कर देता है, वास्तव में ऐसे शिक्षकों का समामान होना चाहिए। तथा शिक्षा के नाम पर व्यवसाय करने वालों पर नकेल कसना चाहिए इसके साथ ही जो शिक्षक वहसियाना हरकत करते हैं उन्हें सामन्य सजा के 10 गुना त्वरित सजा दिया जाना चाहिए। ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।
उपरोक्त कुछ ही बिन्दुओं को मैने स्पर्श किया है, हो सकता है किसी सज्जन को बुरा भी लगे वो हमें क्षमा करेंगे। लेकिन सच हमेशा कड़वा होता है। मैं आदरणीय सन्दिपनी जैसे गुरुजन वृन्दों का चरण स्पर्श करता हुँ, साथ ही भगवान कृष्ण जैसे शिष्यों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हुँ।
वन्दे मातरम् भारत माता की जय।।

- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, भिलाई