जरुरत है एक सन्दिपनी गुरु तथा कृष्ण जैसे शिष्य की.........
शिक्षक दिवस पर आप सभी मित्रों को सादर शुभकामनाएँमित्रों, हमारे भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परम्परा वास्तव में एक विलक्षण परम्परा है, हिन्दू धर्म ग्रंथों में तो गुरु अपने शिष्य को पुत्र से भी अधिक महत्त्व देता है, यहाँ तक की शस्त्र तथा शास्त्र दोनों विद्याओं में गुरु अपने शिष्य को सभी कौशलों के साथ प्रायोगिक तौर पर विद्या में पारंगत बनाता है। वैसे तो हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक प्रसंग मिलते हैं परन्तु, गुरु सन्दिपनी का शिष्य योगेशवर श्री कृष्ण की गीता पूरे विश्व में मानव-दर्शन का अद्भुत ग्रंथ है जो लगभग अन्य कई देशों में बड़े चाव से पढ़ा जाता है और उसे जीवन में उतारा भी जाता है। शिष्य ऐसा हो जो अपने गुरु के शिक्षा का पूरे संसार में इस प्रकार प्रचार-प्रसार करें कि समस्त भूलोक में उस शिष्य के गुरु के महिमा का गुणगान हो।
मित्रों जरा अब हम चर्चा करें आज के कुछ तथाकथित गुरुओं की जो गुरु के नाम पर शिक्षा को व्यावसायिकरण के गर्त में ढ़केल दिये हैं। आगे कुछ कालेजों में तो एकस्ट्रा कालेज के नाम पर तथाकथित शिक्षकों के द्वारा मासूम बच्चों तथा बच्चियों से शिक्षकों द्वारा वहसियाना हरकतें करने के मामले समाने आ रहे हैं, जो अत्यन्त घृणित है। कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर अपने शिष्य के प्रगति में सहर्ष कर देता है, वास्तव में ऐसे शिक्षकों का समामान होना चाहिए। तथा शिक्षा के नाम पर व्यवसाय करने वालों पर नकेल कसना चाहिए इसके साथ ही जो शिक्षक वहसियाना हरकत करते हैं उन्हें सामन्य सजा के 10 गुना त्वरित सजा दिया जाना चाहिए। ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।
उपरोक्त कुछ ही बिन्दुओं को मैने स्पर्श किया है, हो सकता है किसी सज्जन को बुरा भी लगे वो हमें क्षमा करेंगे। लेकिन सच हमेशा कड़वा होता है। मैं आदरणीय सन्दिपनी जैसे गुरुजन वृन्दों का चरण स्पर्श करता हुँ, साथ ही भगवान कृष्ण जैसे शिष्यों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हुँ।
वन्दे मातरम् भारत माता की जय।।
- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, भिलाई
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