ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

स्वयंसिद्ध मुहूर्त और दान का महापर्व है अक्षय तृतिया

स्वयंसिद्ध मुहूर्त और दान का महापर्व है अक्षय तृतिया

मित्रों, आप सभी को अक्षय तृतिया के महापर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ....मित्रों, 2 मई 2014 को अक्षय तृतिया का पावन पर्व है आईए इस पर्व से संबंधित  कुछ बिन्दुओं पर चर्चा करें।

ज्योतिष एवं पुराणों के अनुसार वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया में ऐसी दिव्य ऊर्जा है कि इस दिन किया जाने वाला जप-तप, दान, हवन, तीर्थस्थान का पुण्यफल अक्षय हो जाता है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ है- जिसका कभी नाश न हो। अपनी इसी दिव्यता के कारण ही वैशाख-शुक्ल-तृतीया को अक्षयतृतीया की संज्ञा प्राप्त हो गई। पुराण कहते हैं-
यत्किंचिद्दीयते दानं स्वल्प वा यदि वा बहु।
तत्सर्वमक्षयं यस्मात्तेनेयमक्षया स्मृता।।
वैशाख-शुक्ल-तृतीया के दिन जो कुछ भी दान किया जाता है, वह अक्षय पुण्यफलदायक हो जाता है।
त्रेतायुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ है। इसलिए यह समस्त पापनाशक तथा सर्वसौभाग्य-प्रदायक है। स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा गया। अक्षय तृतिया के एक दिन पूर्व प्रदोषकाल में तृतिया तिथि के भोग के कारण इस वर्ष परशुराम जयंती 1 मई को ही मनाई जानी चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक:
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त घोषित किया गया है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च (वृषभ) राशि में रहेंगे, वहीं
केन्द्रे मूलत्रिकोणस्थ भाग्येशे परमोच्चगे।
लग्नाधिपे बलाढ्ये च लक्ष्मी योग ईरिति:॥
जब नवम का स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में अपनी स्वराशि या उच्च राशि में स्थित हो और लग्नेश बलवान हो तो च्च्लक्ष्मी योगज्ज् बनता है।
उपरोक्त लगभग सभी ग्रह स्थिति का निर्माण हो रहा है। क्योंकि सूर्योदयकालीन लग्न मेष है और अपने उच्च राशि का होकर सूर्य लग्नस्थ हैं, साथ ही भाग्येश वृहस्पति मूलत्रिकोणस्थ हैं, अत: इस वर्ष के अक्षय तृतिया का शुभागमन लक्ष्मी योग में हो रहा है। अत: सर्वहारा समाज के लिए अत्यन्त शुभ फलदायी साबित होगा।
 रोहिणी/मृगशिरा नक्षत्र के संयोग से वर्ष का सर्वाधिक शुभ विवाह मुहूर्त है। इस शुभ तिथि पर सैकड़ों लोग दांपत्य जीवन में बंधेगे। साथ ही अन्य शुभ कार्य भी होंगे।

क्या करें दान:
वैसे तो इस तिथि को दान का विशेष महत्त्व है, जल से पूर्ण घट के दान करने का अथवा पौसरा आरंभ करने का तथा पक्षियों, कीट-पतंगो, जानवरों के लिए जल की व्यवस्था करना, वृक्षारोपण करना, पंखा, स्वर्ण, चाँदी, वस्त्र, खरबूज फल, शक्कर, सत्तू और बेसन का लड्डू आदि केा दान विशेष फलदायी रहता है।

खरिददारी के लिए विशेष मुहूर्त:
चौघडिय़ा:
प्रात: 08:16 मि. से 09:37 तक लाभ
प्रात: 09:37 से 10:57 मि. तक अमृत
दोप. 12:18 से 01:38 तक शुभ
सायं 05:40 से 07:00 तक लाभ
रात्रि 07:00 से 08:20 तक अमृत
रात्रि 09:41 से 11:01 तक शुभ
सोने, चांदी के आभूषण, वाहन तथा दैनिक उपयोगी वस्तुओं के अलावा घर के मंदिर/ सार्वजनिक मंदिरों के लिए घंटा, पूजापात्र, श्रृंगार में प्रयुक्त सामग्री की खरिददारी शुभ फल दायी रहता है।

 राशियों के अनुसार फल:
मेष-कन्या: स्वास्थ्य, धन, शिक्षा की परेशानी दूर होगी। स्वर्ण आभूषण तथा तांबे का भोजन पात्र की खरिदी शुभकारक रहेगी।
वृष-तुला: नये व्यापार की शुरुआत, वैवाहिक सुख तथा संबंधित कार्यों में सफलता मिलेगी। चाँदी खरिदना विशेष शुभकारक।
मिथुन-वृश्चिक: व्यापार एवं फ्रेंचाईची लेकर रोजगार करने वाले तथा सरकारी कार्य में उन्नति के लिए केले का पेड़ पार्क या स्वच्छ जगह पर लगाएं।
कर्क ,धनु-मकर: नौकरी, शिक्षा, धन, भूमि, वाहन तथा मकान में आ रही बाधाओं से मुक्ति के लिए पानी का पौसरा, जानवरों को पानी तथा पक्षियों को जल की व्यवस्था करें।
सिंह, कुंभ-मीन : नियमित धनागम, व्यापार, संतान शिक्षा के लिए गन्ने का शरबत अथवा गुड़ के साथ यात्रियों को नि:शुल्क जल पिलायें।

-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, ज्योतिष एवं पंचांग विशेषज्ञ, शांतिनगर, भिलाई, जि.- दुर्ग (छ.ग.)

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