चुनाव का दरीयाई घोड़ा, चलो कुछ तो बोला।
जाति, पांति, खानदान से निर्मोही मुर्गा वांग छोड़ा ।।
करवटें बदल हिन्दुस्तान का रूख मोड़ा है।
हिन्दुस्तान तोड़ने की जुगत में धर्मवाद छेड़ा है।।
स्कट के अधोवस्त्र से यू.पी. ने साड़ी पहनाया है।
देखो कमाल साड़ी का मंच तक पहुंचाया है।।
अब साड़ी मत छोड़ मैना, लाज रखना यू.पी का।
भारत माँ का पवित्र आँचल, वीरों के रवानी का।।
बस अब बहुत हुआ घोटाला, रोक सको तो रोक लो।
जनता की झल्लाहट, बौखलाहट नौजवानों की रोक लो।।
मजबूर जनता का जंग, साढ़े चार गज की आरक्षण आग।
जला देगी तेरी उस लंका को, जिसने लगायी पूंछ में आग।।
-पं.विनोद चौबे
जाति, पांति, खानदान से निर्मोही मुर्गा वांग छोड़ा ।।
करवटें बदल हिन्दुस्तान का रूख मोड़ा है।
हिन्दुस्तान तोड़ने की जुगत में धर्मवाद छेड़ा है।।
स्कट के अधोवस्त्र से यू.पी. ने साड़ी पहनाया है।
देखो कमाल साड़ी का मंच तक पहुंचाया है।।
अब साड़ी मत छोड़ मैना, लाज रखना यू.पी का।
भारत माँ का पवित्र आँचल, वीरों के रवानी का।।
बस अब बहुत हुआ घोटाला, रोक सको तो रोक लो।
जनता की झल्लाहट, बौखलाहट नौजवानों की रोक लो।।
मजबूर जनता का जंग, साढ़े चार गज की आरक्षण आग।
जला देगी तेरी उस लंका को, जिसने लगायी पूंछ में आग।।
-पं.विनोद चौबे
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