भाग्येश निर्बल या अस्त हो तो भाग्येश का रत्न पहन सकते हैं । लग्न भाव को आत्मा कहा जाता है इसलिए लग्नेश का रत्न जीवन-रत्न कहलाता है । पंचमेश को कारक ग्रह तथा उसके रत्न को कारक रत्न कहा जाता है । इसी प्रकार नवमेश के रत्न को भाग्य-रत्न कहा जाता है । यदि किसी त्रिकोण भाव का स्वामी ग्रह नीच का हो तो इस स्थिति में उसका रत्न नहीं पहनना चाहिये । किसी मारकेश ग्रह, बाधक ग्रह, नीच या अशुभ ग्रह का रत्न भी नहीं पहनना चाहिये ।। अगर आपको शुद्ध एवं वैदिक मंत्रों से प्रतिष्ठित (सिद्ध) किया हुआ राशि रत्न आप हमारे संस्थान 'ज्योतिष का सूर्य' मासिक पत्रिका,भिलाई मोबा.नं. 9827198828 द्वारा उचित मूल्य में प्राप्त करें ! अब आईए राशि रत्नों को धारण करने के लिये किन धातुओं का उपयोग करें इसे समझने का प्रयास करते हैं !
- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई, जिला- दुर्ग (छ.ग.) मोबा. नं. 9827198828
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