ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शुक्रवार, 2 मार्च 2018

राहु के आश्चर्यजनक शुभाशुभ फल

राहु के आश्चर्यजनक फल।

ज्योतिष अनुसार सूर्य से अधिक मंगल क्रूर है और मंगल से अधिक शनि क्रूर है परन्तु राहू शनि से भी अधिक क्रूर है !

'त्रिषट् एकादशे राहु सर्वारिष्ट प्रशांतये' अर्थात् राहु का फल तीसरे, छठे और ग्यारवे भाव में शुभ माना जाता है क्योंकि क्रूर ग्रह जब भी इन भावो में आ जाते है तो शुभ फल देते है पर भाइयों के सुख का नाश कर देते है ! यदि द्वादश भाव मे राहु आ जाये तो प्राय: यह देखा गया है कि जातक की या तो जेल यात्रा होती है ! यदि द्वादश भाव का स्वामी, एवं  बृहस्पति बलवान हो तो यही जेल यात्रा विदेश यात्रा में परिवर्तित हो जाती है और यदि द्वादश भाव का स्वामी कमजोर हो और क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो , इसके साथ यदि लग्नेश भी कमजोर हो तो व्यक्ति को अस्पताल की यात्रा करनी पड़ती है ! यानी हॉस्पिटलाईज होना पड़ता है !
प्रत्येक भाव में राहु अलग अलग फल देता है और जिस ग्रह के साथ बैठ जाए तो उसके बुरे फल को कई गुना बढ़ा देता है ! राहु यदि शनि के साथ बैठ जाये तो पितृ दोष का निर्माण करता है और मंगल के साथ बैठ जाएँ तो अंगारक योग का निर्माण करता है ! यदि राहु सूर्य और चन्द्र के साथ बैठ जाएँ तो ग्रहण योग का निर्माण करता है ! शुक्र के साथ बैठ जाएँ तो स्त्री श्राप का निर्माण करता है और यदि गुरु के साथ बैठ जाएँ तो चंडाल योग का निर्माण करता है !
- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांति नगर , भिलाई मोबा.नं. 9827198828


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