ऊंटों के विवाह में, गधे गीत गाते हैं....??
मित्रों, सुप्रभातम्...आज के सन्दर्भ-चिन्तन में मैं बस इतना कहना चाहूँगा कि- आप जिस रंग के ग्लास लगे चश्मे से संसार को देखेंगे, वैसा ही आपको संसार दिखेगा, अर्थात् देश की राजनीतिक हालात अथवा उस पार्टी के कार्यकर्ताओं को उसी निगाह से हर व्यक्ति को देखने व समझने की नासमझी करते हैं..हालॉकि हर कोई उनके जैसा नहीं होता। विशेष तौर पर बात जब भारतीय संस्कृति और भाईचारे की होती हो और उसको लेकर राजनीति होने लगे तो हमारे जैसे लोग भला क्या तर्क दे पायेंगे...इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है..
उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः । परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।।
ऊंटों के विवाह में, गधे गीत गाते हैं । एक दूसरे की बढाई करते हैं, वाह क्या सुंदरता है, वाह क्या गाना है ॥
उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः । परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।।
ऊंटों के विवाह में, गधे गीत गाते हैं । एक दूसरे की बढाई करते हैं, वाह क्या सुंदरता है, वाह क्या गाना है ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें