ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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मंगलवार, 20 जून 2017

ममता दीदी का "फ़रहाद" प्रेम हिन्दुओं पर वज्राघात है....तुष्टिकरण तो बहाना है...लक्ष्य तो ..हिन्दुत्व से नफ़रत जताना है...


ममता दीदी का "फ़रहाद" प्रेम हिन्दुओं पर वज्राघात है....तुष्टिकरण तो बहाना है...लक्ष्य तो ..हिन्दुत्व से नफ़रत जताना है...

ममता दीदी आप प.बंगाल के हिन्दुओं पर वज्रपात करके हिन्दुत्व को नहीं मिटा सकतीं.....इराक़ में 'नृवंशी यज़ीदियों' पर अलकायदा ने 2007 में सुनियोजित कार बम ब्लॉस्ट में 800 से ज्यादा 'यज़ीदी' मार गिराया, वहां अलकायदा ने यज़ीदियों को 'काफ़ीर' घोषित कर रखा है, वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के जुल्मों से पीड़ित अल्पसंख्यक हिन्दु बीस हजार से अधिक हिन्दु परिवार भारत में शरणार्थी के रुप में बड़े सुकुन से दिल्ली के आस-पास जगहों में अपना गुजर बसर कर रहे हैं , आप ही बताओ की आखिर कौन अपनी जमी जमाई गृहस्थी छोड़कर दूसरे देश में शरणार्थी जीवन यापन करना चाहेगा.! ममता दीदी आप जनता के द्वारा चुनी गईं भारत के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, आप पाकिस्तानी मीडिया (डॉन ) के एक साक्षात्कार में प.बंगाल को 'मिनी पाकिस्तान' के रुप में संबोधित करने वाले आपके सरकार के ही मंत्री 'फरहाद हकीम' को हुगली जिले के तारकेश्वर मंदिर ट्रस्ट बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जाना और उस ट्रस्ट के अधीन संचालित हस्पताल एवं शिक्षण संस्थाओं के विकास के लिये 5 करोड़ रुपये अनुदान देना क्या हिन्दुओं के स्वाभिमान का दलन नहीं है..जबकि मुश्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक किसी भी मुश्लिम वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष केवल मुश्लिम धर्मानुयायी ही होते हैं...तो ममता दीदी आपने हिन्दुओं के अस्मिता से जुड़े इस तारकेश्वर मंदिर ट्रस्ट का बतौर अध्यक्ष 'फ़रहाद हक़ीम' को बनाकर कौन सा सेक्युलरिज़्म का परिचय दिया है ..या मोदी सरकार के नेतृत्व में शातिपूर्ण ढंग से विकास की ओर अग्रसर भारत को हिन्दु-मुश्लिम राईट्स में तब्दिल करने की साजिश़ है! तुष्टिकरण के कुचक्र में पश्चिम बंगाल को फांसकर जब किसी मुश्लिम चेहरे को ही तारकेश्वर मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना था तो किसी आदरणीय कलाम जी जैसा राष्ट्रभक्त मुश्लिम को बनाना था! ना कि पश्चिम बंगाल को 'मिनी पाकिस्तान' कहने वाले 'फरहाद हकीम' को!  लेकिन आपने यह तुष्टिकरण की घिनौनी राजनीति से भी इतर ' पश्चिम बंगाल के हिन्दुओं का दलन करने व उन्हें उद्वेलित कर के बरगलाने का काम किया है' आपको ज्ञात होगा ममता दीदी 2014 की ही बात है जरा आईये आपको यात्रा कराता हुं! चहुंओर चीख पुकार चिल्लाते बच्चे, चीखती माताएं बावजूद बेरहम इन आईएसआई के राक्षसों ने 'यज़ीदियों को बेइज्जत करके उनके सामने महिलाओं को यौन दासत्व केलिये बाध्य कर स्लाम धर्म कबूलने का कुत्सित प्रयास इन हैवानों ने किया! और यज़ीदी गांवों, नगरों का विनाश कर करोड़ों 'यजीदियों' को नौत के घाट उतार दिया...इसके बावजूद इन इराक़ में निवासरत 'यज़ीदियों' ने अपनी संस्कृति को बचाने के लिये 'स्लामिक स्टेट आईएसआई' से भी भींड़ गये हालॉकि इसमें हजारों
भारत में जिस संस्कृति को आजतक मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक नहीं मिटा पाये तो अब पश्चिम बंगाल से हिन्दुत्व को क्या मिटा पाओगी ममता दीदी! लगातार जुल्मोंसितम के कठोर 'अममता डंडे' से  प्रहार के चुनावी बिसात पर  सत्ता नाममुमकीन है,जबकि वहां के स्थानीय कुछ सच्चे मुसलमान भी ममता सरकार की ऐसी घिनौनी तुष्टिकरण नीतियों से खासे नाराज हैं..और वो नाम न छापने या न बताने के एवज़ में कहते हैं कि पिछले चार वर्षों से बांग्लादेशी मुसलमानों की प.बंगाल में संख्या बढी है रूतबा भी !
अब आप लोग सोच रहे होंगे की आखिरकार पश्चिम बंगाल से इराक़ के यजीदियों का क्या संबंध, तो हमने इसलिये यजीदियों के संत्रांस का उदाहरण दिया क्योंकि भारतीय हिन्दुओं पर मुगल शासकों ने जो जुल्म ढाहे, भारत के प्रसिद्ध हिन्दु मंदिरों को तोड़ा गया, हिन्दुओं का सर्वमान्य वेद-वेत्ताओं का प्रतीक होता 'यज्ञोपवित' यानी जनेऊ अर्थात् जनेऊ धारण करने वाले असंख्य हिन्दुओं को स्लाम कुबुल करवाने का लक्ष्य  बना मुगलों ने एक दिन में एक मन यानी 40 किलोग्राम जनेऊ उतरवाकर उन्हें जबरदस्ती स्लाम कुबुल करवाया गया, जिन विशेषताओं से भारत की पहचान थी उन पर्यटक देव स्थानों के अस्तीत्व को मिटाने का प्रयास संकीर्ण कट्टरपंथ द्वारा किया गया ऐसी दुर्दिन अवस्था में भी आज सबसे प्रचीन व बड़ी संख्या वाला पूरे विश्व को शांति का संदेश वाहक योग का जन्म देने वाला सनातन धर्म और हिन्दु  संस्कृति जीवन्त है, हमें हमारे पूर्वजों पर गर्व है कि इतनी ज्यादती, जुल्मों को हंसकर भुला देते हैं और हम उन्हीं के संतान अनेकानेक रुपों में पूरे विश्व को अमन-चैन और शांति का संदेश देते हुए भारत की आध्यात्मिक उर्वरा भूमि के लिये विश्व को आकर्षित करते हैं..! आज उसी दौर से इराक़ के यजीदी गुजर रहे हैं जो यूरोप के शरणार्थी होने को विवश हैं वहीं पाकिस्तानी अल्पसंख्यक हिन्दु भारत के शरणार्थी बनकर जैसे तैसे जीवन यापन कर रहे हैं! लेकिन भारत की उदार संस्कृति ने अन्य दूसरे संप्रदायों को पचाने का अदम्य साहस व विलक्षॅण शक्ति है तभी तो सनातन धर्म के सिद्धांतो को देश-विदेश पूरे विश्व के महान दार्शनिकों ने गुणगान किया! आज देश में सभी मजहब के लोग मिल जुल कर रहते हैं लेकिन कुछ वैदेशिक कट्टरपंथी ताकतों के इशारे पर भारतीय भाईचारे की संस्कृति और भारतीय औदार्य विचारधारा को नष्ट करने वाले कुछ 'गद्दार ' नेता 'गदर' कराने पर अमादा हैं, हमें इन विदेशी कट्टरपंथी ताकतों के 'दलालों' से बचकर रहना होगा!
किन्तु आज प.बंगाल के ताजा हालात देखकर यह कहना लाज़मी होगा की
ममता दीदी का "फ़रहाद" प्रेम हिन्दुओं पर वज्राघात है....तुष्टिकरण तो बहाना है...लक्ष्य तो ..हिन्दुत्व से नफ़रत जताना है...!

प्रसंगवश यह भी आपको जनना जरुरी है...कौन हैं 'यज़ीदी'..?

यज़ीदी मुख्यतः उतरी ईराक में रहने वाले कुर्दिश भाषी लोग है ।सदियों से अपने मुस्लिम ईसाई पड़ोसियों द्वारा घृणित इन लोगो ने 70 से ज्यादा नरसंहार का सामना किया जिनमे 2 करोड़ से ऊपर यज़ीदियों की मृत्यु का अनुमान है । और इनमें से अधिकाँश अपनी संस्कृति का त्याग करने के लिए बाध्य कर दिए गए है । यूरोप में शरण लिए हुए 150000 यज़ीदियों की संख्या मिलाकर आज लगभग 800000 वे स्वयं सच्चे ईश्वर में आस्था रखने वाले बताते है और वे मयूर देवदूत "ताऊस मेलेके" की आराधना करते है जो अनन्त ईश्वर का रूप (अवतार) है छः दूसरे देवदूत ताऊस मेलेके के सहयोगी है और वे सृष्टि के सात दिनों से सम्बन्ध है जिसमे से रविवार ताऊस मेलेके का दिन है यज़ीदियों के मंदिर और पूजा गृह तथा दूसरे स्थानों की सज्जा मोर के चित्रांकन से की जाती है उन पर हो रहे आक्रमण ईसाइयो और मुसलमानों के इस विस्वास का परिणाम है कि मयूर दूत इब्लीस यत् शैतान है ।

http://ptvinodchoubey.blogspot.in/2017/06/blog-post_20.html?m=1

-पण्डित विनोद चौबे, संपादक- "ज्योतिष का सूर्य" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई

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