मिथलेश ठाकुर 9827160789 |
मेडिकल साईंस के लिये चुनौती बना सिद्ध साईंस
0 मेडिकल साईंस के समाप्त होने पर उदय होता है सिद्ध साईंस
0 सिद्ध पद्धति और सिद्ध मार्ग दो रूपों में कार्य करता है सिद्ध साईंस
0 असाध्य से असाध्य रोगों से मिलती है निज़ात
0 बिखरी षक्तियों को समेटे आर्थिक परेषानियोें को भी दूर करने
में सहायक
है सिद्ध साईंस.
अपने अक्ष पर चक्कर लगाते लगाते इस पष्थ्वी ने कई घटनाओं को अपने
सीने में दफन कर लिया है लेकिन वो साईंस ही था जिसने पष्थ्वी पर आ रहे
बदलावों को समय समय पर आ रहे बदलावों को आम लोगों के समक्ष रखा
। इनके बीच धार्मिक आस्था से जुड़े चमत्कारों ने भी एक बड़े
वर्ग को अपने जोड़े रखा है । अपने अपने मतों में कायम यह दोनों
ही हमेषा से ही एक समन्दर के दो किनारे रहे हैं जो एक होकर भी
कभी मिल नहीं सके हैं ।
सिद्ध साईंस ने अब ब्रम्हाण के गर्भ में से ऐसी षक्ति को खोज निकाला
है जिसने सभी वर्गों को संतुश्ट कर विज्ञान और आध्यात्म के बीच
की कड़ी को जोड़ दिया है । सिद्ध साईंस ने देष में चमत्कारों
के कई उदाहरण पेष किये है जिससे हर व्यक्ति का सिर इस साईंस के आगे
नतमस्तक हो गया है । भगवान सिद्धेष्वर की कष्पाओं से उदय हुऐ इस
साईंस का मकसद जनकल्याण का है जो सिद्ध पद्धति और सिद्ध मार्ग दो तरह से
कार्य करता है । सिद्ध साईंस मेडिकल साईंस के समाप्त होने के बाद कार्य
करता है जिससे तमाम षारिरिक कश्टों और बीमारियों से निजात मिलती है
। ये एक ऐसी षक्ति है जो बगैर किसी दवाईयों या चिकित्सकीय उपकरणों
के बिना बिखरी हुई षक्तियों को एक स्थान पर केंद्रीत कर पीड़ित का
ईलाज करता है । वहीं सिद्ध मार्ग आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और कार्य
क्षेत्र में बाधा पहुॅचाने वाली समस्त रूकावटों को दूर कर प्रगति का
मार्ग प्रषस्त करता है । नित नये नये चमत्कार कर ये साईंस आज एक सूर्य की
रौषनी की तरह सारे जग को रौषन कर रहा ताकि अॅधकार का विनाष हो
और समाज स्वच्छ सुंदर और स्वस्थ्य रह सके ।
0 मेडिकल साईंस के समाप्त होने पर उदय होता है सिद्ध साईंस
0 सिद्ध पद्धति और सिद्ध मार्ग दो रूपों में कार्य करता है सिद्ध साईंस
0 असाध्य से असाध्य रोगों से मिलती है निज़ात
0 बिखरी षक्तियों को समेटे आर्थिक परेषानियोें को भी दूर करने
में सहायक
है सिद्ध साईंस.
अपने अक्ष पर चक्कर लगाते लगाते इस पष्थ्वी ने कई घटनाओं को अपने
सीने में दफन कर लिया है लेकिन वो साईंस ही था जिसने पष्थ्वी पर आ रहे
बदलावों को समय समय पर आ रहे बदलावों को आम लोगों के समक्ष रखा
। इनके बीच धार्मिक आस्था से जुड़े चमत्कारों ने भी एक बड़े
वर्ग को अपने जोड़े रखा है । अपने अपने मतों में कायम यह दोनों
ही हमेषा से ही एक समन्दर के दो किनारे रहे हैं जो एक होकर भी
कभी मिल नहीं सके हैं ।
सिद्ध साईंस ने अब ब्रम्हाण के गर्भ में से ऐसी षक्ति को खोज निकाला
है जिसने सभी वर्गों को संतुश्ट कर विज्ञान और आध्यात्म के बीच
की कड़ी को जोड़ दिया है । सिद्ध साईंस ने देष में चमत्कारों
के कई उदाहरण पेष किये है जिससे हर व्यक्ति का सिर इस साईंस के आगे
नतमस्तक हो गया है । भगवान सिद्धेष्वर की कष्पाओं से उदय हुऐ इस
साईंस का मकसद जनकल्याण का है जो सिद्ध पद्धति और सिद्ध मार्ग दो तरह से
कार्य करता है । सिद्ध साईंस मेडिकल साईंस के समाप्त होने के बाद कार्य
करता है जिससे तमाम षारिरिक कश्टों और बीमारियों से निजात मिलती है
। ये एक ऐसी षक्ति है जो बगैर किसी दवाईयों या चिकित्सकीय उपकरणों
के बिना बिखरी हुई षक्तियों को एक स्थान पर केंद्रीत कर पीड़ित का
ईलाज करता है । वहीं सिद्ध मार्ग आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और कार्य
क्षेत्र में बाधा पहुॅचाने वाली समस्त रूकावटों को दूर कर प्रगति का
मार्ग प्रषस्त करता है । नित नये नये चमत्कार कर ये साईंस आज एक सूर्य की
रौषनी की तरह सारे जग को रौषन कर रहा ताकि अॅधकार का विनाष हो
और समाज स्वच्छ सुंदर और स्वस्थ्य रह सके ।
मिथलेश ठाकुर
9827160789
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