छत्तीसगढ़ में भी संस्कृत के मॉडर्न-ऋषी वल्मिक दर्जनों पैदा हो सकते हैं....
मित्रों आज समय की मांग है कि यदि आगे बढ़ना है तो समय के साथ भाषाओं के लेखन की प्रक्रिया को भी मॉडर्न बनाना होगा उसी क्रम में मुझे बहुत प्रशन्नता हुयी जब संस्कृत भाषा लेखन के लिए एक उपयुक्त व आसान तरीके के साथ साफ्टवेयर कुछ दिनो पूर्व अस्तीत्व में आया जिस साफ्टवेयर की सहायता से अब हम आसानी से संस्कृत में कंपोजिंग कर सकेंगे। कंप्यूटर पर अब संस्कृत भाषा आने से संस्कृत को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे साफ्टवेयर का मुझे काफी दिनों से इंतजार था। देश के अनेक हिस्सों में कम्प्यूटर कार्यशालाएं आयोजित की जा रहीं हैं जिससे लोग रूचिपूर्ण इसमें अनायास खिंचे चले आ रहे हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व एक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आधार पर एक कार्यशाला का आयोजन हरियाणा संस्कृत अकादमी द्वारा किया गया था जिसका विषय ‘संगणक संस्कृतम’ रहा। कार्यशाला के दूसरे दिन साफ्टवेयर बारे जानकारी दी गई व सभी को प्रेक्टिकल भी कराया गया।
इसी प्रकार यदि अपने प्रदेश छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम द्वारा पहल करके ऐसा आयोजन किया जाय तो माडर्न-संकृत-संगणक की बयार आंधी में तब्दिल हो सकती है । क्योंकि छत्तीसगढ़ आदि ऋषी वाल्मिक का भू-भाग कहा जाता है जिनको सर्वप्रथम ''शोक'' शब्द से ''श्लोक'' और उसके बाद उन्होंने रामावतार होने के पूर्व १०,००० वर्ष पहले संस्कृत में रामायण लीख डाले थे । इस पवित्र धरा पर आज के समय की मांग के आधार पर यदि पहल किया जाय तो मुझे विश्वास है कि अनेकों संस्कृत के ज्ञाता बतौर वाल्मिक दर्जनों जायमान हो सकते है।-ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे , ०९८२७१९८८२८, भिलाई, दुर्ग (छ.ग.)
संस्कृत में टाईप करने के लिए इस लींक पर क्लिक करें...http://sanskrit.jnu.ac.in/subanta/generate.jsp
बंगाली, हिंदी, कर्नाटक, मराठी, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, उर्दू में कंपोजिंग कर सकते हैं। साफ्टवेयर में काम करना बेहद आसान है। इसके साफ्टवेयर को सीखने में मात्र एक घंटे का समय लगता है। साफ्टवेयर की सहायता से इंग्लिश में लिखे हुए शब्द संस्कृत में बदल जाते हैं। साथ ही हम इंटरनेट पर संस्कृत के टैक्स्ट एवं संस्कृत सर्च इंजन व डिक्शनरी को लाने की तैयारी हो चुकी है । यह साफ्टवेयर संस्कृत.जेएनयूएसीइन से डाउनलोड कर सकते हैं।
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