नवम्बर २०११ अंक २८ वाँ '' ज्योतिष का सूर्य ''हिंदी मासिक पत्रिका भिलाई |
विश्वसनीय छत्तीसगढ़ का प्रतीक बने डॉ. रमन सिंह
0 स्वराज्य कुमार दास
देश में इन दिनों सुशासन की अवधारणा की व्यापक चर्चा है। इस अवधारणा को किताबों के पन्नों से जमीनी हकीकत में बदलने का सार्थक प्रयास छत्तीसगढ़ में लगातार कामयाब हो रहा है। इक्कीसवीं सदी के भारत के मानचित्र पर विगत एक नवम्बर 2000 को अवतरित नया छत्तीसगढ़ राज्य को अपनी यात्रा के ग्यारह साल पूर्ण कर बारहवें साल में प्रवेश कर रहा है.एक माह बाद यानी दिसम्बर में डॉ.रमन सिंह भी प्रथम और द्वितीय निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में राज्य का नेतृत्व करते हुए अपने निरंतर गतिमान कार्यकाल के आठ वर्ष पूर्ण कर नवें वर्ष में प्रवेश करेंगे। समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों के विकास को अपनी पहली प्राथमिकता में शामिल कर सुशासन को उन्होंने एक नया अर्थ दिया है। किसी भी देश अथवा राज्य के विकास की बुनियाद उसकी विश्वसनीयता से ही बनती है और अगर यह कहा जाए, तो गलत नहीं होगा कि विश्वसनीयता बड़ी कठिन तपस्या से ही अर्जित की जा सकती है। देश, समाज, राज्य और जनता के हितों के लिए समर्पित भाव से काम करना भी तपस्या का पर्याय है। इस तपस्या से ही लोग समाज में विश्वसनीयता हासिल करते हैं। डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने यह साबित कर दिखाया है। वह इस नये राज्य के लिए विश्वसनीयता का प्रतीक बन गए हैं। ग्रामीण विकास, शहरी विकास, शिक्षा, स्वास्थ, कृषि, सिंचाई, बिजली और अन्य तमाम जरूरी सुविधाओं के विकास की राह में सफलता के निरंतर जुड़ते नये-नये मुकाम छत्तीसगढ़ को देश के विकसित राज्यों की कतार में ले जा रहे हैं। इस अवधि में राज्य को लगातार कई उपलब्धियां मिली हैं। नक्सल हिंसा और आंतक की गंभीर चुनौतियों के बावजूद नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ को सामाजिक-आर्थिक विकास के हर क्षेत्र में लगातार मिल रही कामयाबी निश्चित रूप से चौंकाने वाली है। इसके पीछे राज्य की जनता की ओर से प्रदेश के नेतृत्व को मिल रहे सहयोग और समर्थन की एक बड़ी शक्ति भी है। दरअसल नीति, नीयत, निर्णय और नेतृत्व की गुणवत्ता से ही किसी भी देश या किसी भी राज्य को अपनी पहचान मिलती है और राज्य के नेतृत्वकर्ता को जनता का भरपूर समर्थन। छत्तीसगढ़ को भी अगर विगत सिर्फ आठ वर्ष में भारत के तेजी से विकसित होते राज्य के रूप में मान्यता मिली है, तो इस कामयाबी का राज भी यही है और यही वह कारण भी है, जिसके चलते डॉ. रमन सिंह को छत्तीसगढ़ के विकास का ध्वज वाहक होने का गौरव मिला है। यह सौम्य, लेकिन संकल्पवान और सहज लेकिन ऊर्जावान एक ऐसे नेतृत्व की कहानी है जिसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व आज देश और दुनिया में इस नये राज्य का प्रतीक बन गया है. छत्तीसगढ़ सौम्य स्वभाव के लोगों का प्रदेश है। प्रदेश के मुखिया डॉ.रमन सिंह के सौम्य चेहरे में भी छत्तीसगढ़ की सौम्यता की झलक मिलती है और हर किसी को अपनेपन का एहसास होता है, हर कोई अपने दिल की बात उनसे खुलकर कह पाता है. ग्राम-सुराज और जन-दर्शन सहित प्रदेश के लगातार जनसंपर्क दौरे में जनता से सीधे संवाद की उनकी नियमित कार्य शैली है, जो उनके लिए आम नागरिकों की जिंदगी से सीधे ताल्लुक रखने वाली ज़रूरतों और समस्याओं को बारीकी से समझने में सहायक होती हैं. मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण यही वह कार्य-शैली है, जो महंगाई के देशव्यापी इस कठिन दौर में भी उन्हें गरीबों के लिए एक रूपए और दो रूपए किलो में हर माह पैंतीस किलो चावल और नि:शुल्क आयोडीन नमक वितरण की योजना बनाने और उसे बेहतर ढंग से लागू करने की प्रेरणा देती है, मात्र तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर किसानों को खेती के लिए ऋ ण-सुविधा, तेंदूपत्ता संग्राहक वनवासी श्रमिकों को नि:शुल्क चरणपादुका और स्कूली बालिकाओं को नि:शुल्क सायकल देने की योजना भी आम जनता से गहरे जुड़ाव पर आधारित उनकी लोक-हितैषी कार्य शैली से ही छन कर आयी हैं। वह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। इस नाते भी उन्हें जनता की नब्ज और समाज की तासीर की अच्छी पहचान है। डॉ.रमन सिंह सरकारी योजनाओं में जनभागीदारी को बढ़ावा देना बहुत जरूरी समझते हैं। उनकी अधिकांश योजनाओं की शानदार कामयाबी का असली कारण भी यही है। वह कहते भी हैं कि सरकारी काम-काज में जनता की दिलचस्पी और भागीदारी से ही योजनाओं का फायदा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकता है। लोकतंत्र में सत्ता के विकेन्द्रीकरण से ही सरकार जनता के और ज्यादा नज़दीक पहुँचती है और जन-हित के अधिक से अधिक कार्य कर पाती है। डॉ.रमन सिंह ने अपनी इसी लोकतांत्रिक सोच को अमलीजामा पहनाते हुए वर्ष मई 2007 में दो नये जिलों बीजापुर और नारायणपुर का शुभारंभ किया और संभागीय राजस्व कमिश्नरी की व्यवस्था बहाल करते हुए चार राजस्व संभाग-सरगुजा, बस्तर, रायपुर और बिलासपुर का गठन करवाया। इनमें से सरगुजा एक नया राजस्व संभाग है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नौ नए जिलों- बेमेतरा, बलौदाबाजार, बालोद बलरामपुर, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर, कोंडागांव और सुकमा के गठन की घोषणा करते हुए यह भी ऐलान कर दिया है कि ये नए जिले जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ जाएंगे यानी नये कैलेण्डर वर्ष के शुरू होते ही नये जिलों में जिला स्तरीय काम-काज शुरू हो जाएगा।
0 स्वराज्य कुमार दास
देश में इन दिनों सुशासन की अवधारणा की व्यापक चर्चा है। इस अवधारणा को किताबों के पन्नों से जमीनी हकीकत में बदलने का सार्थक प्रयास छत्तीसगढ़ में लगातार कामयाब हो रहा है। इक्कीसवीं सदी के भारत के मानचित्र पर विगत एक नवम्बर 2000 को अवतरित नया छत्तीसगढ़ राज्य को अपनी यात्रा के ग्यारह साल पूर्ण कर बारहवें साल में प्रवेश कर रहा है.एक माह बाद यानी दिसम्बर में डॉ.रमन सिंह भी प्रथम और द्वितीय निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में राज्य का नेतृत्व करते हुए अपने निरंतर गतिमान कार्यकाल के आठ वर्ष पूर्ण कर नवें वर्ष में प्रवेश करेंगे। समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों के विकास को अपनी पहली प्राथमिकता में शामिल कर सुशासन को उन्होंने एक नया अर्थ दिया है। किसी भी देश अथवा राज्य के विकास की बुनियाद उसकी विश्वसनीयता से ही बनती है और अगर यह कहा जाए, तो गलत नहीं होगा कि विश्वसनीयता बड़ी कठिन तपस्या से ही अर्जित की जा सकती है। देश, समाज, राज्य और जनता के हितों के लिए समर्पित भाव से काम करना भी तपस्या का पर्याय है। इस तपस्या से ही लोग समाज में विश्वसनीयता हासिल करते हैं। डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने यह साबित कर दिखाया है। वह इस नये राज्य के लिए विश्वसनीयता का प्रतीक बन गए हैं। ग्रामीण विकास, शहरी विकास, शिक्षा, स्वास्थ, कृषि, सिंचाई, बिजली और अन्य तमाम जरूरी सुविधाओं के विकास की राह में सफलता के निरंतर जुड़ते नये-नये मुकाम छत्तीसगढ़ को देश के विकसित राज्यों की कतार में ले जा रहे हैं। इस अवधि में राज्य को लगातार कई उपलब्धियां मिली हैं। नक्सल हिंसा और आंतक की गंभीर चुनौतियों के बावजूद नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ को सामाजिक-आर्थिक विकास के हर क्षेत्र में लगातार मिल रही कामयाबी निश्चित रूप से चौंकाने वाली है। इसके पीछे राज्य की जनता की ओर से प्रदेश के नेतृत्व को मिल रहे सहयोग और समर्थन की एक बड़ी शक्ति भी है। दरअसल नीति, नीयत, निर्णय और नेतृत्व की गुणवत्ता से ही किसी भी देश या किसी भी राज्य को अपनी पहचान मिलती है और राज्य के नेतृत्वकर्ता को जनता का भरपूर समर्थन। छत्तीसगढ़ को भी अगर विगत सिर्फ आठ वर्ष में भारत के तेजी से विकसित होते राज्य के रूप में मान्यता मिली है, तो इस कामयाबी का राज भी यही है और यही वह कारण भी है, जिसके चलते डॉ. रमन सिंह को छत्तीसगढ़ के विकास का ध्वज वाहक होने का गौरव मिला है। यह सौम्य, लेकिन संकल्पवान और सहज लेकिन ऊर्जावान एक ऐसे नेतृत्व की कहानी है जिसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व आज देश और दुनिया में इस नये राज्य का प्रतीक बन गया है. छत्तीसगढ़ सौम्य स्वभाव के लोगों का प्रदेश है। प्रदेश के मुखिया डॉ.रमन सिंह के सौम्य चेहरे में भी छत्तीसगढ़ की सौम्यता की झलक मिलती है और हर किसी को अपनेपन का एहसास होता है, हर कोई अपने दिल की बात उनसे खुलकर कह पाता है. ग्राम-सुराज और जन-दर्शन सहित प्रदेश के लगातार जनसंपर्क दौरे में जनता से सीधे संवाद की उनकी नियमित कार्य शैली है, जो उनके लिए आम नागरिकों की जिंदगी से सीधे ताल्लुक रखने वाली ज़रूरतों और समस्याओं को बारीकी से समझने में सहायक होती हैं. मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण यही वह कार्य-शैली है, जो महंगाई के देशव्यापी इस कठिन दौर में भी उन्हें गरीबों के लिए एक रूपए और दो रूपए किलो में हर माह पैंतीस किलो चावल और नि:शुल्क आयोडीन नमक वितरण की योजना बनाने और उसे बेहतर ढंग से लागू करने की प्रेरणा देती है, मात्र तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर किसानों को खेती के लिए ऋ ण-सुविधा, तेंदूपत्ता संग्राहक वनवासी श्रमिकों को नि:शुल्क चरणपादुका और स्कूली बालिकाओं को नि:शुल्क सायकल देने की योजना भी आम जनता से गहरे जुड़ाव पर आधारित उनकी लोक-हितैषी कार्य शैली से ही छन कर आयी हैं। वह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। इस नाते भी उन्हें जनता की नब्ज और समाज की तासीर की अच्छी पहचान है। डॉ.रमन सिंह सरकारी योजनाओं में जनभागीदारी को बढ़ावा देना बहुत जरूरी समझते हैं। उनकी अधिकांश योजनाओं की शानदार कामयाबी का असली कारण भी यही है। वह कहते भी हैं कि सरकारी काम-काज में जनता की दिलचस्पी और भागीदारी से ही योजनाओं का फायदा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकता है। लोकतंत्र में सत्ता के विकेन्द्रीकरण से ही सरकार जनता के और ज्यादा नज़दीक पहुँचती है और जन-हित के अधिक से अधिक कार्य कर पाती है। डॉ.रमन सिंह ने अपनी इसी लोकतांत्रिक सोच को अमलीजामा पहनाते हुए वर्ष मई 2007 में दो नये जिलों बीजापुर और नारायणपुर का शुभारंभ किया और संभागीय राजस्व कमिश्नरी की व्यवस्था बहाल करते हुए चार राजस्व संभाग-सरगुजा, बस्तर, रायपुर और बिलासपुर का गठन करवाया। इनमें से सरगुजा एक नया राजस्व संभाग है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नौ नए जिलों- बेमेतरा, बलौदाबाजार, बालोद बलरामपुर, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर, कोंडागांव और सुकमा के गठन की घोषणा करते हुए यह भी ऐलान कर दिया है कि ये नए जिले जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ जाएंगे यानी नये कैलेण्डर वर्ष के शुरू होते ही नये जिलों में जिला स्तरीय काम-काज शुरू हो जाएगा।
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