ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

कार्य के अनुसार लक्ष्मी साधना:

धनदायक वस्तुएं प्रकृति अपने में असंख्य निधियों को समेटे हुए है, जिसको इनका ज्ञान है, वह लाभ उठाता है। ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जो सुख-समृद्धि के प्रभावों से ओत-प्रोत हैं। वनस्पतियों से लेकर प्रस्तरखण्ड और धातुएँ इनकी प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ईश्वर ने प्रकृति को अपनी माया कहा है। एक पुरूष (ईश्वर) की माया उसकी स्त्री होती है। पुरूष प्रदत्त या अर्जित सभी सम्पत्ति की एकमात्र अधिकारिणी उसकी पत्नी होती है। ईश्वर ने भी अपने समस्त वैभव प्रदायक, समृद्धिदायक प्रभावों को प्रकृति में पृथक-पृथक रूप में व्यवस्थित किया है। पंच तत्व आदि तो प्रधान हैं ही कुछ वृक्षों के तो पत्ते तक धन प्राप्ति कराने में सहयोग करते हैं। ऐसी वस्तुओं की गणना यद्यपि संभव नहीं क्योंकि "कण-कण में भगवान हैं, के अनुसार प्रकृति में उपस्थित हर छोटी से छोटी वस्तु में सिद्धि-ऋ द्धि व्याप्त हैं।" उनमें से कुछ सुगम उपलब्ध वस्तुओं का और उनको प्रयोग में लेने का उल्लेख करेंगे। इस विषय वस्तु का प्रमाण प्रमुख तंत्र-शास्त्रों व कुछ प्रसिद्ध पुराणों में इनकी उपयोगिता का वर्णन है-

व्यापार में निरंतर लाभ पाने हेतु कुंडली में लग्न, द्वितीय, पंचम, नवम और एकादश भावों एवं उनके स्वामियों के शुभ संबंधों का विचार किया जाता है, परंतु कभी-कभी ऐसा देखने में आता है कि आर्थिक संपन्नता के योग कुंडली में मौजूद होने पर भी दशा-अन्तर्दशा, गोचर ग्रहों की प्रतिकूलता अथवा अन्य अदृश्य कारणों जैसे पितृ दोष, बंधन आदि से व्यापार में वांछित लाभ नहीं मिलता है ऐसे में कुछ उपाय हैं जिनसे लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
कार्य के अनुसार लक्ष्मी साधना:
मानसिक कष्ट, बंधन प्रकोप या भूत-प्रेत-पिशाच आदि की चपेट से परेशान लोगों को शनि प्रधान महाभैरवी लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए।
युद्धक्षेत्र, पर्वतारोहण एवं साहसी कार्यों में संलग्न लोग जो मंगल प्रधान होते हैं, उन्हें जया नामक लक्ष्मी की साधना करनी चाहिए।  औषधि-चिकित्सा एवं रसायन के व्यापार में जुड़े लोगों को कान्तार नामक लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
जल, पेय पदार्थ आदि के व्यापारी वर्ग को किसी भी कारण से राजकीय प्रकोप में फंस जाने पर अथवा प्राकृतिक आपदाओं के आने पर तारा लक्ष्मी की अर्चना लाभ देती है।  उद्योगपतियों को वाणिज्य लक्ष्मी एवं अविवाहित, महत्वाकांक्षी और विदेशी मुद्रा, इलेक्ट्रोनिक्स के व्यवसाय (कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर आदि), आयात-निर्यात करने वाले लोगों को त्रिपुर सुन्दरी की पूजा-अर्चना से वांछित सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
लक्ष्मी-नारायण उपासना :
लक्ष्मी की प्रसन्नता हेतु पूर्णमिा तिथि, गुरुपुष्य नक्षत्र अथवा अन्य शुभ योग देखकर, स्फटिक या कमलगट्टे की माला से निम्नलिखित में से किसी एक मंत्र का जप करें। ऊँ नमो योग माया महालक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते। या ऊँ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नम:। या ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं। इसके अतिरिक्त श्रीसूक्त का नियमित पाठ करें व खीर, कमलगट्टे से हवन करें। गोपाल सहस्रनाम या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
विशेष लक्ष्मी अनुकम्पा हेतु : लक्ष्मी कृपा हेतु स्फटिक श्रीयंत्र (लगभग 125 ग्राम) स्वर्ण, रजत पत्र, पर अंकित श्री यंत्र, ताम्र पत्र या भोजपत्र या कागज पर श्री यंत्र की शुभ मुहूर्त में योग्य व्यक्ति से प्राण-प्रतिष्ठा कराकर घर, कार्यालय अथवा व्यापारस्थल पर स्थापित करें। फिर प्रतिदिन स्वयं अथवा योग्य ब्राह्मण द्वारा यंत्र की षोडशोपचार अथवा पंचोपचार पूजन कर निम्न मंत्र का श्रद्धापूर्वक कम से कम एक माला जप करना चाहिए। जप के लिए मोती, प्रवाल या रुद्राक्ष की माला लें और लाल रंग के ऊनी आसान पर बैठें। शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखें।
मंत्र - दुर्गे स्मृता हरसि भीतिम शेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥
धन प्राप्ति हेतु बगलामुखी प्रयोग:
शुभ मुहूर्त में इस साधना को प्रारंभ करें। चौकी पर पीत वस्त्र बिछाकर उस पर अष्टकमल बनाएं। फिर बगलामुखी देवी का चित्र अथवा बगलामुखी यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा कराकर उस पर स्थापित करें। स्वयं नहा धोकर पीला वस्त्र पहनें, पीला ऊनी आसन पर बैठें तथा पीले रंग की मिठाई (बेसन, बूंदी के लड्डू या केसर की बर्फी) का भोग लगाएं। गाय के घी का दीपक जलाएं, फिर न्यास ध्यान करके अतुल संपत्ति प्राप्ति हेतु संकल्प करते हुए मंत्र जप करें। आरंभ में जो जप संख्या हो, आगे उससे कम जप न करें। जप के अन्त में, खीर, खील आदि से दशांश हवन करें।
बगलामुखी मंत्र : ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्नां कीलय बुद्धिं न्नाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।
बाधामुक्त होकर धन पुत्रादि लाभ हेतु :
मंत्र : सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित: मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।
बाधामुक्ति यंत्र एवं लक्ष्मी यंत्र के सम्मुख नियमपूर्वक इस मंत्र का जप करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। तांत्रिक उपाय :(टोटके)
1. अपने घर में स्फटिक श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापित करें। एक साबुत लाल गुलाब का फूल रोजाना उस पर चढ़ाएं। पूजा कराकर काली हल्दी गल्ले या तिजोरी में रखें। तांत्रिक वस्तुएं, हत्था, जोड़ी, सियार सिंगी, बिल्ली की जेर, दक्षिणावर्ती शंख, एकमुखी रुद्राक्ष, नागकेसर, मोर पंख आदि की पूजा कराकर घर में और तिजोरी में, कार्यस्थल में रखें। श्वेतार्क गणेश जी की स्थापना करें, रोज दर्शन करें। बुधवार को मूंग के लड्डू का भोग लगाएं।
2. पीपल के 21 पत्तों पर लाल चंदन से राम लिखकर रोज हनुमानजी पर चढ़ाएं। यह प्रयोग 22 दिनों तक लगातार करें। ध्यान रहे कि क्रम टूटे नहीं। इस प्रयोग में नियमितता एवं शुद्धता जरूरी है।
3. गुरुवार के दिन व्यापार वृद्धि हेतु श्यामा तुलसी के चारों ओर जमा खरपतवार हटाएं, उसे पीले रंग के कपड़े में बांधकर व्यापार स्थल पर किसी सुरक्षित जगह रख दें। किसी बरतन में सफेद सरसों इस प्रकार रखें कि वह दिखाई देती रहे और बरतन को कार्यस्थल में ऐसी जगह रख दें, जहां आने-जाने वालों का ध्यान उस पर पड़े।
बड़े काम की है कौड़ी :
कौडियां न केवल धन एवं समृद्धि की प्रतीक होती है बल्कि तंत्र-मन्त्र आदि में भी इनके अनेक प्रयोग होते है. यंहा आज कौडियों से सम्बंधित कुछ ऐसे ही प्रयोगों के विषय में जानकारी प्राप्त करने जा रहे है जो कि दीपावली के पावन पर्व पर हमारे लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है और कौड़ी के द्वारा हम अपनी मनोकामनाये पूर्ण कर सकने में सक्षम होंगे.
बच्चो को नजर से बचाने के लिए तथा निर्जीव वस्तुओं जैसे घर, वाहनादि को भी बुरी नजर से बचाने के लिए कौडियों का प्रयोग किया जाता है. शास्त्रों में उल्लेख है कि कौड़ी धारण करने से किसी भी प्रकार का जादू टोना, तांत्रिक प्रयोग अभिजात कर्मादि नुक्सान नहीं पहुंचा सकते है. आज भी विवाह के समय वर-वधु के हाथों में कौडियों से बने रक्षासूत्र बाँधने की प्रथा प्रचलित है साथ ही नए वाहन आदि नए मकानों की रक्षा के लिए चौखट पर काले धागे में पिरोकर कौडियां बाँधी जाती है.लक्ष्मी की सहोदरा होने के कारण इसमें लक्ष्मी का निवास माना जाता है. इसलिए दीपावली ले समय लक्ष्मी पूजन के साथ साथ कौडियों का पूजन करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती है.
दीपावली के शुभ मुहूर्त में कौडियों को केसर से रंग कर पीले कपड़े में बांधकर पूजा स्थल पर रखें, लक्ष्मी पूजन पूर्ण होने के बाद इन कौडियों को तिजोरी या अलमारी में रखने से उस घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास हो जाता है. व्यापारिक स्थल में भी गल्ले अथवा तिजोरी में दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय प्रयुक्त की गयी कौडियों को रखने से व्यापारिक उन्नति होने लगती है.
यदि किसी व्यक्ति को नजर बहुत अधिक लगती है अथवा उसे अपने कार्य क्षेत्र में सफलता नहीं मिल रही हो तो ऐसे व्यक्ति को दीपावली के दिन लक्ष्मी के मन्त्रों से कौडियों को अभिमंत्रित कर पीले धागे में बाँध कर धारण कर लेना चाहिए. एक या दो कौड़ी धारण करे. गले या बाजू में धारण करे, इससे कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है तथा किसी प्रकार की नजर भी नहीं लगती है.
सामान्य रूप से भी दीपावली पूजन में प्रयोग लाई गयी कौडियों को पूजा स्थल में अवश्य रखना चाहिए. इससे घर में धन की कमी नहीं होती, और लक्ष्मी का सदा वास रहता है.
यदि व्यापार में किसी प्रकार की समस्या आ रही हो, तो दीपावली की रात्री को ग्यारह (11) कौडियों को हल्दी अथवा केसर से रंग कर श्री महालक्ष्मी के मन्त्र से पूजा कर व्यापार स्थल में स्थापित कर दें.इससे आपकी व्यापारिक समस्याए समाप्त हो जांएगी. यदि रोजगार प्राप्ति में बाधाएं आ रही हो अथवा नौकरी में उन्नति प्राप्त नहीं हो पा रही हो, तब भी इसी प्रकार का प्रयोग करना चाहिए.
हरसिंगार का बांदा -
हरसिंगार नामक एक पौधा है। किसी पौधे पर पुष्प लगने के बाद, फल लगने से पूर्व पुष्प जिस अवस्था में होता है, वही बांदा कहलाता है। बांदा में पुष्प व फल की मिश्रित गंध होती है। हरसिंगार का बांदा आर्थिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है तथा भवन के दोषों का निवारण भी करता है। शनिवार और मंगलवार के अतिरिक्त अन्य किसी वार को जबकि चंद्रमा हस्त नक्षत्र पर हों तब हरसिंगार का बाँदा घर में ले आएं और महालक्ष्मी के मंत्र से इसका पूजन करने के उपरांत लाल कपड़े में लपेट कर तिजोरी में रखने से धन और समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है, धन लाभ के नवीन अवसर प्राप्त होते हैं।
एकाक्षी नारियल :
नारियल को श्रीफल, खोपरा, गोला, कोकोनट आदि नामों से जाना जाता है। नारियल रेशेनुमा जड़ों से आवृत्त होता है। इन जड़ों को हटा देने पर अधिकांश नारियलों पर तीन काले रंग की बिन्दु जैसी आकृति दिखाई देती है, इनमें से दो नेत्रों तथा एक मुख का परिचायक होती है। किसी-किसी नारियल में एक नेत्र और एक मुख के रूप में मात्र दो ही निशान होते हैं, इसे "एकाक्षी नारियल" कहते हैं। इसे घर में रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यद्यपि इसकी उपलब्धता दुर्लभ होती है लेकिन प्रयास करने पर यह प्राप्त हो जाता है। एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर, सिंदूर और कुंकुम आदि से पूजा करनी चाहिये। जिस घर में एकाक्षी नारियल की पूजा होती है, वहाँ लक्ष्मी जी की कृपा होती है, अन्न व धन की कभी कमी नहीं आती। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर पूजा की जाये तो व्यवसाय की वृद्धि होती है।
गोमती चक्र -
चक्राकार आकृति (पत्थर के टुकड़े) को ही गोमती चक्र कहते हैं चूंकि यह गोमती नदी से ही प्राप्त होता है और एक विशेष प्रकार के पत्थर पर निर्मित होता है अत: इसे "गोमती चक्र" कहते हैं। ग्यारह गोमती चक्रों को लाल कपड़े के आसन पर पूजा के स्थान पर रखने एवं प्रतिदिन उनकी केसर-चंदन से पूजा करते रहने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। घर में  धन-धान्य की वृद्धि होती है। यह प्रयोग "रवि-पुष्य", "गुरू-पुष्य" या दीपावली की रात्रि से प्रारंभ किये जा सकते हैं। पूजा में "ऊँ श्रीं श्रियै नम:" मंत्र प्रयोग में लें। इन वस्तुओं की प्राप्ति सुलभ हो तो ये प्रयोग दीपावली की रात्रि में प्रयोग किया जाय लाख गुना फल की प्राप्ति होती है। फिर वह चाहे साधनात्मक हो या फिर आर्थिक, पूर्णता से युक्त हैं. उसी प्रकार हम सभी गृहस्थों को अपने घर में भी इस रहस्यमयी श्री यंत्र को घर में रखना चाहिए जिससे घर की सुख समृद्धि स्थायी रूप से बना रहे।
-ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे महाराज,09827198828

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