स्फटिक श्री यंत्र के साथ व्यापार वृद्धी यंत्र बिल्कुल फ्री संपर्क करें..
स्फटिक श्रीयंत्र, व्यापार वृद्धी यंत्र, एक मुखी रूद्राक्ष, एकाक्षी नारियल, शत्रु विनाशक श्री बगलामुखी यंत्र,इन सभी यंत्रों को एक साथ रखने से पूर्णत: लक्ष्मी स्थायी तौर पर घर व प्रतिष्ठान में निवास करने के लिए बाध्य हो जातीं हैं. तो सज्जनों आपके सुविधा के लिए पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी ज्योतिष का सूर्य ने अपने सभी पाठकों एवं उनके इष्ट मित्रों के लिए यह सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है, जो 20 अक्टूबर 2011 से दिपावली 26 अक्टूबर 2011 के अद्र्ध निशा में 21 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा सिद्ध किया जाना तय किया गया है, ताकि वह यंत्र अधिक से अधिक चार्ज हो सके। अतएव अद्भूत एवं शक्तिशाली यंत्रों के लिए आपको आगामी रजिस्ट्रेसन कराना अनिवार्य है। अत: आप अपना नाम और गोत्र के साथ ही साथ 11000 रू.(250 ग्राम स्फटिक श्रीयंत्र पैकेज), 7500 रू.(101 ग्राम स्फटिक श्रीयंत्र पैकेज), 5100रू.(51 ग्राम स्फटिक श्रीयंत्र) इनमें से अपनी इच्छानुसार चयन धनराशि को‘Jyotish ka surya’ Oriental Bank Of Commerce..A/C.No.14351131000227 खाते में जमा करने के बाद संपर्क करें और अपना नाम गोत्र बतायें...क्योंकि आपके नाम और गोत्र अथवा फर्म के नाम पर संकल्पीत कर यंत्र को सिद्ध किया जाता है।
मोबा.नं.09827198828, 09755969999
महालक्ष्मी पूजन करने के पश्चात एकाक्षी नारियल का पूजन करना चाहिए । सर्वप्रथम हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मन्त्र से एकाक्षी नारियल का ध्यान करें :
द्विजटश्चैकनेत्रस्तु नारिकेलो महीतले ।
चिन्तामणि -सम : प्रोक्तो वांछितार्थप्रदानत: ॥
आधिभूतादि -व्याधीनां रोगादि -भयहारिणीं । विधिवत क्रियते पूजा , सम्पत्ति -सिद्धिदायकम ॥
हाथ में लिए अक्षतों को एकाक्षी नारियल पर चढा दें । अब एकाक्षी नारियल का पूजन निम्न प्रकार से करें :
तीन बार जल के छींटे दें और बोलें : पाद्यं , अर्घ्यं , आचमनीयं समर्पयामि ।
स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर जल के छींटे दें ।
पंचामृत स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पंचामृत के छींटे दें ।
पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल को शुद्ध जल से स्नान कराए ।
सिन्दूरं समर्पयामि । घी मिश्रित सिन्दूर का लेप करें और वर्क चढाए ।
सुवासितं इत्रं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर इत्र चढाए ।
वस्त्रं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर मौली चढाए ।
गन्धं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर रोली अथवा लाल चन्दन चढाए ।
अक्षतान समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर चावल चढाए ।
पुष्पं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पुष्प चढाए ।
धूपम आघ्रापयामि । एकाक्षी नारियल पर धूप करें ।
दीपकं दर्शयामि । एकाक्षी नारियल को दीपक दिखाए ।
नैवेद्यं निवेदयामि । एकाक्षी नारियल पर प्रसाद चढाए ।
आचमनं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर जल के छींटे दें ।
ऋतुफलं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर ऋतुफल चढाए ।
ताम्बूलं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पान , सुपारी , इलायची आदि चढाए ।
दक्षिणां समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर नकदी चढाए ।
कर्पूरनीराजनं समर्पयामि । कर्पूर से आरती करें ।
नमस्कारं समर्पयामि । नमस्कार करें ।
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र से हाथ जोडकर प्रार्थना करें :
? श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मीस्वरुपाय एकाक्षिनारिकेलाय नम: सर्वसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ॥
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महालक्ष्मी पूजन करने के पश्चात एकाक्षी नारियल का पूजन करना चाहिए । सर्वप्रथम हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मन्त्र से एकाक्षी नारियल का ध्यान करें :
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हाथ में लिए अक्षतों को एकाक्षी नारियल पर चढा दें । अब एकाक्षी नारियल का पूजन निम्न प्रकार से करें :
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स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर जल के छींटे दें ।
पंचामृत स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पंचामृत के छींटे दें ।
पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल को शुद्ध जल से स्नान कराए ।
सिन्दूरं समर्पयामि । घी मिश्रित सिन्दूर का लेप करें और वर्क चढाए ।
सुवासितं इत्रं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर इत्र चढाए ।
वस्त्रं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर मौली चढाए ।
गन्धं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर रोली अथवा लाल चन्दन चढाए ।
अक्षतान समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर चावल चढाए ।
पुष्पं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पुष्प चढाए ।
धूपम आघ्रापयामि । एकाक्षी नारियल पर धूप करें ।
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नैवेद्यं निवेदयामि । एकाक्षी नारियल पर प्रसाद चढाए ।
आचमनं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर जल के छींटे दें ।
ऋतुफलं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर ऋतुफल चढाए ।
ताम्बूलं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पान , सुपारी , इलायची आदि चढाए ।
दक्षिणां समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर नकदी चढाए ।
कर्पूरनीराजनं समर्पयामि । कर्पूर से आरती करें ।
नमस्कारं समर्पयामि । नमस्कार करें ।
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र से हाथ जोडकर प्रार्थना करें :
? श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मीस्वरुपाय एकाक्षिनारिकेलाय नम: सर्वसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ॥
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