- ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे महाराज,09827198828
महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त :
श्री महालक्ष्मी पूजन व दीपावली का महापर्व कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की अमावस्या में प्रदोष काल, स्थिर लग्न समय में मनाया जाता है. धन की देवी श्री महा लक्ष्मी जी का आशिर्वाद पाने के लिये इस दिन लक्ष्मी पूजन करना विशेष रुप से शुभ रहता है.
इस वर्ष दिपावली, 26 अक्तूबर, बुधवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन चित्रा नक्षत्र, परन्तु प्रदोषकाल के बाद स्वाती नक्षत्र का काल रहेगा, इस दिन प्रीति योग तथा चन्दमा तुला राशि में संचार करेगा. दीपावली में अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न व चौघाडिय़ा मुहूर्त विशेष महत्व रखते है. बुधवार की दिपावली व्यापारियों, क्रय-विक्रय करने वालों के लिये विशेष रुप से शुभ मानी जाती है. यह कई वर्षों बाद अवसर मिला है कि बुधवार गणेश का वार है और उसी दिन लक्ष्मी पूजन के लिए दीपावली दोनो का संयोग गणेश व लक्ष्मी दोनो को प्रसन्न करने का उत्तम मुहूर्त है.
1. प्रदोष काल मुहूर्त कब
26 अक्तूबर, 2011 बुधवार के दिन छत्तीसगढ़ के रायपुर के आसपास के इलाकों में
सूर्यास्त सायं 5:27:37 से लेकर 7:51:37 तक प्रदोष काल रहेगा.
(देश अन्य सभी स्थानों के सूर्योदय कालिक समय के आधार पर स्थानीय प्रदोष काल निकाल लें.)
प्रदोष काल समय को दिपावली पूजन के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में प्रयोग किया जाता है. प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न समय सबसे उत्तम रहता है. इस दिन प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों रात्रि 8:40 से लेकर 10: 41 का समय रहेगा.
प्रदोष काल का प्रयोग कैसे करें
प्रदोष काल में मंदिर में दीपदान, रंगोली और पूजा से जुड़ी अन्य तैयारी इस समय पर कर लेनी चाहिए तथा मिठाई वितरण का कार्य भी इसी समय पर संपन्न करना शुभ माना जाता है.
इसके अतिरिक्त द्वार पर स्वास्तिक और शुभ लाभ लिखने का कार्य इस मुहूर्त समय पर किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त इस समय पर अपने मित्रों व परिवार के बड़े सदस्यों को उपहार देकर आशिर्वाद लेना व्यक्ति के जीवन की शुभता में वृद्धि करता है. मुहूर्त समय में धर्मस्थलो पर दानादि करना कल्याणकारी होगा.
2. निशिथ काल
26 अक्तूबर, बुधवार के दिन निशिथ काल लगभग रात्रि 8:18 से 10: 50 तक रहेगा. स्थानीय प्रदेश के अनुसार इस समय में कुछ मिनट का अन्तर हो सकता है. निशिथ काल में अमृत की चौघडिय़ा 20:58 से 22:36 तक रहेगी. निशिथ काल में लाभ की चौघडिया भी रहेगी, व्यापारियों वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये इस समय की विशेष शुभता रहेगी.
दिपावली पूजन में निशिथ काल का
प्रयोग कैसे करें
धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य सम्पूर्ण कर लेना चाहिए. इसके अतिरिक्त समय का प्रयोग श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य मंन्त्रों का जपानुष्ठान करना चाहिए.
3. महानिशीथ काल
धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य सम्पूर्ण कर लेना चाहिए. इसके अतिरिक्त समय का प्रयोग श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य मंन्त्रों का जपानुष्ठान करना चाहिए.
26 अक्तूबर, बुधवार 2011 के रात्रि में 10:54 से लेकर अगले दिन प्राप्त: 01:30 मिनट तक महानिशीथ काल रहेगा. महानिशीथ काल में कर्क लग्न भी हों, तो विशेष शुभ माना जाता है. महानिशीथ काल और कर्क लग्न 10:55 से अगले दिन प्राप्त:01:18 मिनट तक रहेगा. महानिशीथ काल व कर्क लग्न एक साथ होने के कारण यह समय अधिक शुभ हो गया है. जो जन शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, उन्हें इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग करना चाहिए.
महानिशीथ काल का दिपावली पूजन में प्रयोग कैसे करें
महानिशीथकाल में मुख्यत: तांत्रिक कार्य, ज्योतिषविद, वेद् आरम्भ, कर्मकाण्ड, अघोरी,यंत्र-मंत्र-तंत्र कार्य व विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं एवं शक्तियों का आवाहन करना शुभ रहता है. अवधि में दीपावली पूजन के पश्चात गृह में एक चौमुखा दीपक रात भर जलता रहना चाहिए. यह दीपक लक्ष्मी एवं सौभाग्य में वृध्दि का प्रतीक माना जाता है.
खाता बही खरीदने का शुभ मुहूर्त :
विजया दशमी, गुरूवार 6.10.2011
दिन 12.00 बजे से दिन 1.30 लाभ
दिन 1.30 से दिन 3.00 अमृत
सायं 4.30 से 6.00 बजे तक शुभ
उपरोक्त चौघडिय़ा के शुभ मुहूर्त में उद्योग, व्यापार व दुकानों में रखे जाने वाले वार्षिक लेखा-जोखा प्रयुक्त खाता-बही का विजयादशमी के दिन खरीदी करना बेहद शुभ कारक माना जाता है।
गुरू पुष्य योग :
20 अक्टूबर 2011 (गुरूवार)
दिन 12.01 से 1.31 तक लाभ
दिन 1.31 से 3.01 तक अमृत
सायं 4.31 से सायं 5.59 तक शुभ
पुष्य नक्षत्र :
२1 अक्टूबर 2011 (शुक्रवार) को पुष्य नक्षत्र प्रात: 6.35 के पश्चात समाप्त हो जाने के कारण मुहूर्त का अभाव है।
धनतेरस :
24 अक्टूबर 2011 (सोमवार)
प्रात: 6.05 से 7.35 अमृत
प्रात: 9.05 से 10.35 शुभ
दिन 3.05 से 4.35 लाभ
सायं 4.35 से 6.05 अमृत
दीपावली :
26 अक्टूबर 2011 (बुधवार)
प्रात: 6.00 से 7.30 तक लाभ
प्रात: 7.30 से 9.00 तक अमृत
प्रात: 10.30 से 12 तक शुभ
गोधूलि मुहूर्त :
26 अक्टूबर 2011 (बुधवार)
सायं 5.00 से 6.39 तक
शुभ लग्न :
26 अक्टूबर 2011 (बुधवार)
वृषभ लग्न-
सायं 6.44 से 8.43 तक
(व्यापारी, उद्योग एवं
सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में)
मिथुन लग्न - रात्रि 8.43 से 10.56 तक
(शिक्षण संस्थान एवं मैकेनिकल, केमिकल अथवा रासायनिक पदार्थों के उद्योगों एवं व्यापारियों के लिए)
सिंह लग्न - रात्रि 1.12 से 3.22 तक
(स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति हेतु तांत्रिक व सात्विक निशीथ कालीन लक्ष्मी प्राप्ति हेतु विशेष अनुष्ठान के लिए)
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