मित्रों आज सहारा न्यूज चैनल पर मंत्रों की महत्ता को डॉक्टरों ने भी मान लिया है अतः आईए इन मंत्रों का पाठ करते हुए आत्मशुद्धी कर कल गुरू-पुष्य योग के अवसर पर लक्ष्मी जी को प्रशन्न करने हेतु किये जाने वाले महा लक्ष्मी प्रयोग की तैयारी करें।
विश्वेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेन्यं। भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।
शांताकारम भुजगशयनम पद्यनाभम् सुरेशम् । विश्वाधारं गगन सदृसं मेघवर्णम् शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांतम् कमलनयनम् योगीभर्ध्यानगम्यम । वंदे विष्णूम भवभयहरम सर्वलोकैय नाथम ॥
असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् । प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥
करपूर गौरम करूणावतारम संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसंतम हृदयारविंदे भवम भवानी सहितं नमामि ||
मंगलम भगवान् विष्णु मंगलम गरुड़ध्वजः | मंगलम पुन्डरीकाक्षो मंगलायतनो हरि ||
सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके | शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव | त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव | त्वमेव सर्वं मम देव देव ||
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव गोविन्द दामोदर माधवेती ||
विश्वेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेन्यं। भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।
शांताकारम भुजगशयनम पद्यनाभम् सुरेशम् । विश्वाधारं गगन सदृसं मेघवर्णम् शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांतम् कमलनयनम् योगीभर्ध्यानगम्यम । वंदे विष्णूम भवभयहरम सर्वलोकैय नाथम ॥
असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् । प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥
करपूर गौरम करूणावतारम संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसंतम हृदयारविंदे भवम भवानी सहितं नमामि ||
मंगलम भगवान् विष्णु मंगलम गरुड़ध्वजः | मंगलम पुन्डरीकाक्षो मंगलायतनो हरि ||
सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके | शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव | त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव | त्वमेव सर्वं मम देव देव ||
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव गोविन्द दामोदर माधवेती ||
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