राशि-चक्र
मेष राशि के स्वभाव एवं कारकत्व
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे, ०९८२७१९८८२८, भिलाई
मेष राशि के स्वभाव एवं कारकत्व
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे, ०९८२७१९८८२८, भिलाई
कथितं भवता प्रेम्णा
ग्रहावतारणं मुने I
तेषां गुणस्वरूपाद्यं कृपया
कथ्यतां पुन: II
श्रुणु विप्र ! प्रवक्ष्यामि
भग्रहाणां परिस्थितिम् I
आकाशे यानि दृश्यन्ते
ज्योतिर्बिम्बान्यनेकश: II
तेषु नक्षत्रसंज्ञानि
ग्रहसंज्ञानि कानिचित् I
तानि नक्षत्रनामानि
स्थिरस्थानानि यानि वै II
गच्छन्तो भानि गृहणन्ति
सततं ये तु ते ग्रहा: I
भचक्रस्य नगाश्व्यंशा
अश्विन्यादि- समाहवया: II
तद्द्वादशविभागास्तु तुल्या
मेषादि संज्ञका: I
प्रसिद्धा राशय: सन्ति
ग्रहास्त्वर्कादिसंज्ञका: II
राशीनामुदयो लग्नं
तद्वशादेव जन्मिनाम् I
ग्रहयोग- वियोगाभ्यां
फलं चिन्त्यं शुभाशुभम् II
संज्ञा नक्षत्रवृन्दानां
ज्ञेया: सामान्यशास्त्रत: I
एतच्छास्त्रानुसारेण
राशि-खेटफलं ब्रुवे II
यस्मिन् काले यत: खेटा
यान्ति दृग्गणितैक्यताम् I
तत एव स्फुटा: कार्या:
दिक्कालौ स्फुटौ विदा II
भूकेन्द्रदृग्भवै: साध्यं
लग्नं राश्युदयै: स्फुटम् I
अदृष्टफलसिद्ध्यर्थ
भबिम्बीयै बुधै: सदा II
लग्नं दृष्टफलार्थ तु
स्वस्थानीयैर्भवृत्तजै: I
अथादौ वच्मि खेटानां
जातिरूपगुणानहम् II
अथ खेटा रविश्चन्द्रौ
मंग्लश्च बुधस्तथा I
गुरु: शुक्र: शनी राहु:
केतुश्चैते यथाक्रमम् II
तत्रार्क-शनि-भूपुत्रा:
क्षीणेन्दु-राहु-केतव: I
क्रूरा: शेषग्रहा सौम्या:
क्रूर:क्रूर- युतो बुध: II
सर्वात्मा च दिवानाथो
मन: कुमुदबान्धव: I
सत्त्वं कुजो बुधै: प्रोक्तो
बुधो वाणीप्रदायक: II
देवेज्यो ज्ञानसुखदो
भृगुर्वीर्यप्रदायक: I
ऋषिभि: प्रक्तनै प्राक्तनै:
प्रोक्तश्छायासूनुश्च दु:खद: II
रविचन्द्रौ तु राजानौ
नेता ज्ञेयो धरात्मज: I
बुधो राजकुमारश्च
सचिवौ गुरु भार्गवौ II
प्रेष्यको रविपुत्रश्च सेना
स्वर्भानुपुच्छकौ I
एवं क्रमेण वै विप्र !
सूर्यादीन् प्रविचिन्तयेत् II
रक्तश्यामो दिवाधीशो
गौरगात्रो निशाकर: I
नात्युच्चांग: कुजो रक्तो
दूर्वाश्यामो बुधस्तथा II
गौरगात्रो गुरुर्ज्ञेय: शुक्र:
श्यावस्तथैव च I
कृष्णदेहो रवे: पुत्रो
ज्ञायते द्विजसत्तम I
वह्न्यम्बुशिखिजा विष्णु
विडौज:शचिका द्विज I
सूर्यादीनां खगानां च देवा
ज्ञेया: क्रमेण च II
क्लीबौ द्वौ सौम्यसौरी
च युवतीन्दुभृगू द्विज I
नरा: शेषाश्च विज्ञेया
भानुर्भौमो गुरुस्तथा II
अग्नि भूमिनभस्तोयवायव:
क्रमतो द्विज I
भौमादीनां ग्रहाणां च
तत्त्वानीति यथाक्रमम् II
गुरुशुक्रौ विप्रवर्णौ कुजार्कौ
क्षत्रियौ द्विज I
शशिसौम्यौ वैश्यवर्णौ
शनि: शूद्रो द्विजोत्तम II
जीवसूर्येन्दव: सत्त्वं
बुधशुक्रौ रजस्तथा I
सूर्यपुत्रधरापुत्रौ तम:
प्रकृतिकौ द्विज II
मधुपिंगलदृक्सूर्यश्चतुरस्र:
शुचिर्द्विज I
पित्तप्रकृतिको धीमान्
पुमानल्पकचो द्विज II
बहुवातकफ: प्राज्ञश्चन्द्रौ
वृत्ततनु: द्विज I
शुभदृड्.मधुवाक्यश्च
चंचलो मदनातुर: II
क्रूरो रक्तेक्षणो
भौमश्चपलो दारमूर्तिक: I
पित्तप्रकृति: क्रोधी
कृशमध्यतनुर्द्विज II
वपु:श्रेठ: श्लिष्टवाक् च
ह्यतिहास्यरूचिर्बुध: I
पित्तवान् कफवान् विप्र !
मारुतप्रकृतिस्तथा II
बृहद् गात्रो गुरूश्चैव
पिंगलो मूदर्धजेक्षणै: I
कफप्रकृतिको धीमान्
सर्वशास्त्रविशारद: II
सुखी कान्तवपु: श्रेष्ठ:
सुनेत्रश्च भृगो: सुत: I
काव्यकर्ता कफाधिक्योSनिलात्मा
वक्रमूर्धज: II
कृशदीर्घतनु: सौरि:
पिंगदृगनिलात्मक: I
स्थूलदन्तोSलस: पड्.गु:
खररोमकचो द्विज II
धूम्राकारो नीलतनुर्वनस्थोSपि
भयंकर: I
वातप्रकृतिको धीमान्
स्वर्भानुस्तत्सम: शिखी II
मेष राशि और उनका व्यक्तित्व
मेष राशि का स्वामी मंगल है एवं इस राशि का चिह्न मेंढे कि तरह है I इस राशि का स्वामी अग्नितत्व से युक्त होता है I अतः मंगल कि इस राशि वाले जातक दबंग व क्रोध से परिपूर्ण होते हैं I इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वभाव से साहसी, कुछ अभिमानी एवं अत्यन्त मेहनती प्रवृत्ति के होते हैं I इन लोगों को गुस्सा जल्दी आ जाता है I कोई जरा सी भी विपरीत बात कह दे तो ये सहन नहीं कर पाते परन्तु इनका क्रोध बहुत थोड़ी देर का होता है I थोड़ी देर में ही अपने पहले रूप में आ जाते हैं I सिर से मजबूत इस राशि वाले लोग अपने चिन्ह मेंढे कि तरह ही भिड़ने को तैयार रहते हैं, करो या मरो इनका मूल वाक्य होता है I इनकी आंखें दूसरों से कुछ अलग रंग कि होती हैं I
मेष राशि के व्यक्ति अमूमन मध्यम कद के होते हैं I उत्साह भी इनके अन्दर कुछ अधिक मात्रा में होता है लेकिन अति उत्साह एवं जल्दबाजी के कारण इनके कुछ काम बिगड़ जाया करते हैं I इस राशि वाले व्यक्ति अपने ही ख्यालों में जीना चाहते हैं I स्वतंत्र विचारों वाले ये व्यक्ति दूसरों कि हुकुमत को पसंद नहीं करते हैं और दूसरों के अधीन रहकर ये अपना विकास भी नहीं कर पाते हैं I इनको आजादी देने पर ही ये अपना श्रेष्ठतम प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन एक बात मैं कहना चाहूँगा कि इन व्यक्तियों को अपने मनोभावों पर कंट्रोल करना चाहिए क्योंकि क्रोधावस्था के कारण आप लोग अपना नियंत्रण खो बैठते हैं लेकिन आप लोगों कि यह खासियत है कि जितनी शीघ्रता से आप पर क्रोध हावी होता है उतनी ही शीघ्रता से उतर भी जाता है I फिर से वैसे निर्मल मन वाले हो जाते हैं I अदभुत हैं आप......
सामान्यतया मेष राशि या लग्न में पैदा हुए जातक (व्यक्ति) अत्यन्त साहसी, पराक्रमी, तेज से परिपूर्ण तथा परिश्रमी होते हैं I एक सच्चे योद्धा के इन गुणों से लबालब हुए ये लोग अपने जीवन में वंचित मान- सम्मान एवं ऊँचाई पाने में सफल होते हैं I अत्यधिक सक्रियता एवं किसी काम के प्रति लगे रहने कि प्रवृत्ति एवं ईमानदारी यही वो गुण हैं जिनके सहारे आप लोग अपनी मनचाही बुलंदियों को छू लेते हैं I
आप लोगों के भीतर छुपा हुआ एक गुण और भी है वो है स्वाभिमानिता का I इस स्वाभिमान, स्वपरिश्रम एवं योग्यता के बलबूते आप मान- सम्मान, प्रतिष्ठा एवं सफलता अर्जित करने में समर्थ होंगे I इस राशि वाले लोगों के जीवन में शुरू से ही तेजस्विता का भाव रहता है जिस कारण यदा- कदा आप अनावश्यक क्रोध एवं चंचलता का प्रदर्शन करेंगे I जीवन में आपको ऊँची सफलता अपनी जन्मभूमि से दूर जाकर ही प्राप्त होगी और यहाँ से दूर जाकर ही आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होगा I साथ ही सारे सांसारिक सुख एवं विलास कि प्रतीक वस्तुएं आप अपने दम पर ही प्राप्त करके उनका उपभोग करने में समर्थ होंगे I
इस लग्न में जन्मे जातक को जीवन में काफी परेशानियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है I जीवन कि डगर इनके लिए इतनी आसन नहीं होती I किन्तु अपने भीतर के परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प शक्ति आदि श्रेष्ठ गुणों के द्वारा आप इनका सामना कर सकते हैं और समाधान ढूंढ़ ही लेते हैं I आपके स्वभाव में उदारता तथा सहनशीलता भी काफी मात्रा में होती है जिस कारण समय आने पर आप दूसरों को सहयोग प्रदान करते हैं और बदले में आदर का भाव प्राप्त करते हैं I आपके कर्म भाव के स्वामी शनि महाराज होने से आपके समस्त सांसारिक कार्य हालांकि देर से ही पूरे होते हैं I किन्तु अपनी साहसिक प्रवृत्ति से आप इन उलझनों से हार नहीं मानते I आपको जीवन में उन्नति परिश्रम से ही प्राप्त होगी और संबंध भी बनते बिगड़ते रहेंगे I अनावश्यक दिखावे से आपको दूर रहना चाहिए और अपनी प्रवृत्ति का प्रदर्शन सादगीपूर्ण तरीके से ही करना चाहिए I मेरे बताये इस तरीके से चलने पर ही आपको मनचाही सफलता, सुख-ऐश्वर्य एवं वैभव कि प्राप्ति होगी I दो लब्जों में इन राशि वालों के लिए कहूँ तो आप लोग परिश्रमी, तेजस्वी, अपना काम निकालने में चतुर लेकिन धीमी गति से काम करने वाले होंगे I सफलता आपको मिलके ही रहेगी I
इस राशि वाले प्राय: अपने साहसिक प्रवृत्ति के कारण खेल- कूद, शिकार, सैनिक व पुलिस विभाग, मशीनरी, भट्टी व ज्वलनशील पदार्थों जैसे गैस, पेट्रोल, इलेक्ट्रिसिटी तथा मेटल के फिल्ड में सफलता प्राप्त करते हैं I धार्मिक विचारों के लिहाज से आपका दृष्टिकोण दूसरे लोगों से अलग होता है I शक्ति कि उपासना में आपका मन ज्यादा रमता है I अपनी बात के धनी ये लोग अपने विचारों में दृढ़, जल्दी से किसी से झगडा करते नहीं, लेकिन जब कोई हद पार कर देता है तो उसको सबक सिखाये बिना रहते नहीं I युद्ध कि कला में ऐसे व्यक्ति निपुण होते हैं I जोखिम से भरी कलाएं इनको अच्छी लगती हैं I भूमि व कोर्ट- कचहरी संबंधी कार्यों में मेष राशि वालों को विजय प्राप्त होती है I
21 मार्च व 20 अप्रैल के मध्य यदि आपका जन्म हुआ है तो आपका भाग्योदय निश्चित रूप से 28 वर्ष के बाद ही होगा I आप पूरी तरह से स्वनिर्मित (self made) व्यक्ति हैं I एक तरह से आप अपना भाग्य स्वयं निर्माण करते हैं लेकिन एक बात याद रखिये बिना कठोर परिश्रम के आपको कुछ हासिल नहीं होने वाला I पंचांग कि दृष्टिकोण से यदि मैं आपको बताऊँ कि आपका जन्म यदि "भरणी" नक्षत्र में हुआ है और आपके जन्मनाम का पहला अक्षर यदि "ल" से है तो आप कुछ लम्बे कद वाले, अनेकों मित्रों वाले तथा वफादार लोगों से परिपूर्ण हैं I
आपको बेईमान लोग कतई पसंद नहीं I आप दूरदर्शी होने के साथ प्रबंधन के क्षेत्र में सफल होते हैं I आपकी राशि का चिन्ह मेंढा होने से दिल में हिम्मत एवं आँखों में जोश है I घूमने- फिरने के शौंक के साथ आपको चटपटे भोजन में बहुत रूचि है I यदि आपका नाम "अ" अक्षर से शुरू होता है तो विलासिता, सौन्दर्य एवं कला के प्रति आपकी ललक होती है I विपरीत लिंगी साथियों के प्रति आपकी रूचि अत्यधिक होती है I लाल रंग व ज्वलनशील पदार्थ आपके अनुकूल कहे जा सकते हैं I
आपकी राशि के स्वामी मंगल ग्रह एक शौर्यवान एवं तेजोवान होने से "जहाँ शांति व प्रसन्नता असफल हो जाती है वहां आप अपना तेज एवं बल दिखा कर अपने कार्य को सिद्ध कर ही लेते हैं" I
आपके लिए मंगलवार सर्वश्रेष्ठ, शुभकारी एवं सफलता देने वाला रहेगा I अपने इष्ट देव के रूप में यदि आप हनुमान जी को चुने तो आपके मनोरथ सफल होंगे I आपका अनुकूल रत्न "मूंगा" है I सीधे हाथ कि तीसरी उंगली में या गले में तांबे या सोने में जड़वाकर सवा पाँच रत्ती या इससे अधिक का लाल मूंगा पहनने से चमत्कारिक बदलाव संभव है I इसे आप स्वयं अनुभव कर सकते हैं I
ग्रहावतारणं मुने I
तेषां गुणस्वरूपाद्यं कृपया
कथ्यतां पुन: II
श्रुणु विप्र ! प्रवक्ष्यामि
भग्रहाणां परिस्थितिम् I
आकाशे यानि दृश्यन्ते
ज्योतिर्बिम्बान्यनेकश: II
तेषु नक्षत्रसंज्ञानि
ग्रहसंज्ञानि कानिचित् I
तानि नक्षत्रनामानि
स्थिरस्थानानि यानि वै II
गच्छन्तो भानि गृहणन्ति
सततं ये तु ते ग्रहा: I
भचक्रस्य नगाश्व्यंशा
अश्विन्यादि- समाहवया: II
तद्द्वादशविभागास्तु तुल्या
मेषादि संज्ञका: I
प्रसिद्धा राशय: सन्ति
ग्रहास्त्वर्कादिसंज्ञका: II
राशीनामुदयो लग्नं
तद्वशादेव जन्मिनाम् I
ग्रहयोग- वियोगाभ्यां
फलं चिन्त्यं शुभाशुभम् II
संज्ञा नक्षत्रवृन्दानां
ज्ञेया: सामान्यशास्त्रत: I
एतच्छास्त्रानुसारेण
राशि-खेटफलं ब्रुवे II
यस्मिन् काले यत: खेटा
यान्ति दृग्गणितैक्यताम् I
तत एव स्फुटा: कार्या:
दिक्कालौ स्फुटौ विदा II
भूकेन्द्रदृग्भवै: साध्यं
लग्नं राश्युदयै: स्फुटम् I
अदृष्टफलसिद्ध्यर्थ
भबिम्बीयै बुधै: सदा II
लग्नं दृष्टफलार्थ तु
स्वस्थानीयैर्भवृत्तजै: I
अथादौ वच्मि खेटानां
जातिरूपगुणानहम् II
अथ खेटा रविश्चन्द्रौ
मंग्लश्च बुधस्तथा I
गुरु: शुक्र: शनी राहु:
केतुश्चैते यथाक्रमम् II
तत्रार्क-शनि-भूपुत्रा:
क्षीणेन्दु-राहु-केतव: I
क्रूरा: शेषग्रहा सौम्या:
क्रूर:क्रूर- युतो बुध: II
सर्वात्मा च दिवानाथो
मन: कुमुदबान्धव: I
सत्त्वं कुजो बुधै: प्रोक्तो
बुधो वाणीप्रदायक: II
देवेज्यो ज्ञानसुखदो
भृगुर्वीर्यप्रदायक: I
ऋषिभि: प्रक्तनै प्राक्तनै:
प्रोक्तश्छायासूनुश्च दु:खद: II
रविचन्द्रौ तु राजानौ
नेता ज्ञेयो धरात्मज: I
बुधो राजकुमारश्च
सचिवौ गुरु भार्गवौ II
प्रेष्यको रविपुत्रश्च सेना
स्वर्भानुपुच्छकौ I
एवं क्रमेण वै विप्र !
सूर्यादीन् प्रविचिन्तयेत् II
रक्तश्यामो दिवाधीशो
गौरगात्रो निशाकर: I
नात्युच्चांग: कुजो रक्तो
दूर्वाश्यामो बुधस्तथा II
गौरगात्रो गुरुर्ज्ञेय: शुक्र:
श्यावस्तथैव च I
कृष्णदेहो रवे: पुत्रो
ज्ञायते द्विजसत्तम I
वह्न्यम्बुशिखिजा विष्णु
विडौज:शचिका द्विज I
सूर्यादीनां खगानां च देवा
ज्ञेया: क्रमेण च II
क्लीबौ द्वौ सौम्यसौरी
च युवतीन्दुभृगू द्विज I
नरा: शेषाश्च विज्ञेया
भानुर्भौमो गुरुस्तथा II
अग्नि भूमिनभस्तोयवायव:
क्रमतो द्विज I
भौमादीनां ग्रहाणां च
तत्त्वानीति यथाक्रमम् II
गुरुशुक्रौ विप्रवर्णौ कुजार्कौ
क्षत्रियौ द्विज I
शशिसौम्यौ वैश्यवर्णौ
शनि: शूद्रो द्विजोत्तम II
जीवसूर्येन्दव: सत्त्वं
बुधशुक्रौ रजस्तथा I
सूर्यपुत्रधरापुत्रौ तम:
प्रकृतिकौ द्विज II
मधुपिंगलदृक्सूर्यश्चतुरस्र:
शुचिर्द्विज I
पित्तप्रकृतिको धीमान्
पुमानल्पकचो द्विज II
बहुवातकफ: प्राज्ञश्चन्द्रौ
वृत्ततनु: द्विज I
शुभदृड्.मधुवाक्यश्च
चंचलो मदनातुर: II
क्रूरो रक्तेक्षणो
भौमश्चपलो दारमूर्तिक: I
पित्तप्रकृति: क्रोधी
कृशमध्यतनुर्द्विज II
वपु:श्रेठ: श्लिष्टवाक् च
ह्यतिहास्यरूचिर्बुध: I
पित्तवान् कफवान् विप्र !
मारुतप्रकृतिस्तथा II
बृहद् गात्रो गुरूश्चैव
पिंगलो मूदर्धजेक्षणै: I
कफप्रकृतिको धीमान्
सर्वशास्त्रविशारद: II
सुखी कान्तवपु: श्रेष्ठ:
सुनेत्रश्च भृगो: सुत: I
काव्यकर्ता कफाधिक्योSनिलात्मा
वक्रमूर्धज: II
कृशदीर्घतनु: सौरि:
पिंगदृगनिलात्मक: I
स्थूलदन्तोSलस: पड्.गु:
खररोमकचो द्विज II
धूम्राकारो नीलतनुर्वनस्थोSपि
भयंकर: I
वातप्रकृतिको धीमान्
स्वर्भानुस्तत्सम: शिखी II
मेष राशि और उनका व्यक्तित्व
मेष राशि का स्वामी मंगल है एवं इस राशि का चिह्न मेंढे कि तरह है I इस राशि का स्वामी अग्नितत्व से युक्त होता है I अतः मंगल कि इस राशि वाले जातक दबंग व क्रोध से परिपूर्ण होते हैं I इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वभाव से साहसी, कुछ अभिमानी एवं अत्यन्त मेहनती प्रवृत्ति के होते हैं I इन लोगों को गुस्सा जल्दी आ जाता है I कोई जरा सी भी विपरीत बात कह दे तो ये सहन नहीं कर पाते परन्तु इनका क्रोध बहुत थोड़ी देर का होता है I थोड़ी देर में ही अपने पहले रूप में आ जाते हैं I सिर से मजबूत इस राशि वाले लोग अपने चिन्ह मेंढे कि तरह ही भिड़ने को तैयार रहते हैं, करो या मरो इनका मूल वाक्य होता है I इनकी आंखें दूसरों से कुछ अलग रंग कि होती हैं I
मेष राशि के व्यक्ति अमूमन मध्यम कद के होते हैं I उत्साह भी इनके अन्दर कुछ अधिक मात्रा में होता है लेकिन अति उत्साह एवं जल्दबाजी के कारण इनके कुछ काम बिगड़ जाया करते हैं I इस राशि वाले व्यक्ति अपने ही ख्यालों में जीना चाहते हैं I स्वतंत्र विचारों वाले ये व्यक्ति दूसरों कि हुकुमत को पसंद नहीं करते हैं और दूसरों के अधीन रहकर ये अपना विकास भी नहीं कर पाते हैं I इनको आजादी देने पर ही ये अपना श्रेष्ठतम प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन एक बात मैं कहना चाहूँगा कि इन व्यक्तियों को अपने मनोभावों पर कंट्रोल करना चाहिए क्योंकि क्रोधावस्था के कारण आप लोग अपना नियंत्रण खो बैठते हैं लेकिन आप लोगों कि यह खासियत है कि जितनी शीघ्रता से आप पर क्रोध हावी होता है उतनी ही शीघ्रता से उतर भी जाता है I फिर से वैसे निर्मल मन वाले हो जाते हैं I अदभुत हैं आप......
सामान्यतया मेष राशि या लग्न में पैदा हुए जातक (व्यक्ति) अत्यन्त साहसी, पराक्रमी, तेज से परिपूर्ण तथा परिश्रमी होते हैं I एक सच्चे योद्धा के इन गुणों से लबालब हुए ये लोग अपने जीवन में वंचित मान- सम्मान एवं ऊँचाई पाने में सफल होते हैं I अत्यधिक सक्रियता एवं किसी काम के प्रति लगे रहने कि प्रवृत्ति एवं ईमानदारी यही वो गुण हैं जिनके सहारे आप लोग अपनी मनचाही बुलंदियों को छू लेते हैं I
आप लोगों के भीतर छुपा हुआ एक गुण और भी है वो है स्वाभिमानिता का I इस स्वाभिमान, स्वपरिश्रम एवं योग्यता के बलबूते आप मान- सम्मान, प्रतिष्ठा एवं सफलता अर्जित करने में समर्थ होंगे I इस राशि वाले लोगों के जीवन में शुरू से ही तेजस्विता का भाव रहता है जिस कारण यदा- कदा आप अनावश्यक क्रोध एवं चंचलता का प्रदर्शन करेंगे I जीवन में आपको ऊँची सफलता अपनी जन्मभूमि से दूर जाकर ही प्राप्त होगी और यहाँ से दूर जाकर ही आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होगा I साथ ही सारे सांसारिक सुख एवं विलास कि प्रतीक वस्तुएं आप अपने दम पर ही प्राप्त करके उनका उपभोग करने में समर्थ होंगे I
इस लग्न में जन्मे जातक को जीवन में काफी परेशानियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है I जीवन कि डगर इनके लिए इतनी आसन नहीं होती I किन्तु अपने भीतर के परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प शक्ति आदि श्रेष्ठ गुणों के द्वारा आप इनका सामना कर सकते हैं और समाधान ढूंढ़ ही लेते हैं I आपके स्वभाव में उदारता तथा सहनशीलता भी काफी मात्रा में होती है जिस कारण समय आने पर आप दूसरों को सहयोग प्रदान करते हैं और बदले में आदर का भाव प्राप्त करते हैं I आपके कर्म भाव के स्वामी शनि महाराज होने से आपके समस्त सांसारिक कार्य हालांकि देर से ही पूरे होते हैं I किन्तु अपनी साहसिक प्रवृत्ति से आप इन उलझनों से हार नहीं मानते I आपको जीवन में उन्नति परिश्रम से ही प्राप्त होगी और संबंध भी बनते बिगड़ते रहेंगे I अनावश्यक दिखावे से आपको दूर रहना चाहिए और अपनी प्रवृत्ति का प्रदर्शन सादगीपूर्ण तरीके से ही करना चाहिए I मेरे बताये इस तरीके से चलने पर ही आपको मनचाही सफलता, सुख-ऐश्वर्य एवं वैभव कि प्राप्ति होगी I दो लब्जों में इन राशि वालों के लिए कहूँ तो आप लोग परिश्रमी, तेजस्वी, अपना काम निकालने में चतुर लेकिन धीमी गति से काम करने वाले होंगे I सफलता आपको मिलके ही रहेगी I
इस राशि वाले प्राय: अपने साहसिक प्रवृत्ति के कारण खेल- कूद, शिकार, सैनिक व पुलिस विभाग, मशीनरी, भट्टी व ज्वलनशील पदार्थों जैसे गैस, पेट्रोल, इलेक्ट्रिसिटी तथा मेटल के फिल्ड में सफलता प्राप्त करते हैं I धार्मिक विचारों के लिहाज से आपका दृष्टिकोण दूसरे लोगों से अलग होता है I शक्ति कि उपासना में आपका मन ज्यादा रमता है I अपनी बात के धनी ये लोग अपने विचारों में दृढ़, जल्दी से किसी से झगडा करते नहीं, लेकिन जब कोई हद पार कर देता है तो उसको सबक सिखाये बिना रहते नहीं I युद्ध कि कला में ऐसे व्यक्ति निपुण होते हैं I जोखिम से भरी कलाएं इनको अच्छी लगती हैं I भूमि व कोर्ट- कचहरी संबंधी कार्यों में मेष राशि वालों को विजय प्राप्त होती है I
21 मार्च व 20 अप्रैल के मध्य यदि आपका जन्म हुआ है तो आपका भाग्योदय निश्चित रूप से 28 वर्ष के बाद ही होगा I आप पूरी तरह से स्वनिर्मित (self made) व्यक्ति हैं I एक तरह से आप अपना भाग्य स्वयं निर्माण करते हैं लेकिन एक बात याद रखिये बिना कठोर परिश्रम के आपको कुछ हासिल नहीं होने वाला I पंचांग कि दृष्टिकोण से यदि मैं आपको बताऊँ कि आपका जन्म यदि "भरणी" नक्षत्र में हुआ है और आपके जन्मनाम का पहला अक्षर यदि "ल" से है तो आप कुछ लम्बे कद वाले, अनेकों मित्रों वाले तथा वफादार लोगों से परिपूर्ण हैं I
आपको बेईमान लोग कतई पसंद नहीं I आप दूरदर्शी होने के साथ प्रबंधन के क्षेत्र में सफल होते हैं I आपकी राशि का चिन्ह मेंढा होने से दिल में हिम्मत एवं आँखों में जोश है I घूमने- फिरने के शौंक के साथ आपको चटपटे भोजन में बहुत रूचि है I यदि आपका नाम "अ" अक्षर से शुरू होता है तो विलासिता, सौन्दर्य एवं कला के प्रति आपकी ललक होती है I विपरीत लिंगी साथियों के प्रति आपकी रूचि अत्यधिक होती है I लाल रंग व ज्वलनशील पदार्थ आपके अनुकूल कहे जा सकते हैं I
आपकी राशि के स्वामी मंगल ग्रह एक शौर्यवान एवं तेजोवान होने से "जहाँ शांति व प्रसन्नता असफल हो जाती है वहां आप अपना तेज एवं बल दिखा कर अपने कार्य को सिद्ध कर ही लेते हैं" I
आपके लिए मंगलवार सर्वश्रेष्ठ, शुभकारी एवं सफलता देने वाला रहेगा I अपने इष्ट देव के रूप में यदि आप हनुमान जी को चुने तो आपके मनोरथ सफल होंगे I आपका अनुकूल रत्न "मूंगा" है I सीधे हाथ कि तीसरी उंगली में या गले में तांबे या सोने में जड़वाकर सवा पाँच रत्ती या इससे अधिक का लाल मूंगा पहनने से चमत्कारिक बदलाव संभव है I इसे आप स्वयं अनुभव कर सकते हैं I
मित्रों कल पढ़िए वृषभ राशि ....
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे, ०९८२७१९८८२८, भिलाई
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