ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

अनंग माँ भारती चिखती और चिल्लाती है।

अनंग माँ भारती चिखती और चिल्लाती है।
वोट के खेल में नेता चीर हरण को आतुर हैं।।अनंग माँ भारती..

दुःशासन बना है दुष्ट शासन,
नतमस्तक है भिष्म मोहन,
युधिष्ठिरों को कह भगवा आतंक,
फसल लहलहा रही लाल आतंक,
दुष्ट नीति की अठखेलियों में जनता  पीस जाती है।
असुरों से शोक-संतप्त हो,  आज द्रौपदी पुकारती है।।अनंग माँ भारती..

 कौन्तेय कह चिखती कश्मीर की वादियाँ।
हमारे मांग की सिंदुर यह है रंग केसरीया ।
लाखों सपूत शहीद हुए,और हुयीं बरबादियां।
जिसने हंस हंस कर,खेलीं हैं खून की होलीयां।।

अंधे धृतराष्ट्र, मोहना से रो रो त्राहिमाम पुकारती है।
शिवाजी, गांधी, चन्द्रशेखर, बिस्मील को बुलाती है।।अनंग माँ भारती..


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