ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

प्रबंध, प्रशासन एवं संपन्नता के देव-शनि:


प्रबंध, प्रशासन एवं संपन्नता के देव-शनि:
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे,09827198828,Bhilai,
नोटः हमारे किसी भी लेख को कापी करना दण्डनीय अपराध है ऐसा करने पर उचित कार्यवायी करने को मजबूर हो जाऊंगा। समाचार पत्र पत्रिकाएं हमसे अनुमती लेकर प्रकाशित कर सकते हैं...!.
नवग्रहों में शनि ग्रह के नाम से ही सभी भयभीत रहते हैं. शनि सूर्य के पुत्र है. सूर्य के प्रचंड तेज के कारण इनका शरीर काला हो गया इसलिए शनिदेव क्रूरता, कुरुपता, तामसी प्रवृति के लिए विख्यात है. इ्रनका कश्यप गोत्र है. शनि देव का वाहन गिद्ध नामक पक्षी है. जो अपनी तीक्ष्ण एïवं दूरदृष्टïी के लिए विख्यात है. शनि बारह राशियों में मकर एवं कुभ राशि के स्वामी एवं तुला राशि में 20 अंश तक परम उच्च एवं मेष राशि में 20 अंश तक नीच माने जाते हैं. शनि की बुध एवं शुक्र ग्रह से मित्रता, गुरु से समभाव तथा सूर्य, चन्द्र, मंगल से शत्रुता है। शनि वक्री तथा चन्द्र की युति होने पर अधिक बली होता है.
                 ''शनि नीले एवं काले रंग का प्रतिनिधित्व करता है. इसीलिए प्रशासन प्रबंध का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था चाहे वह भारत की हो या अन्य देश की उनका प्रतीक चिन्ह वेशभूषा में नीला काला रंग अïवश्य होता है. शनि का साढ़े साती के आरंभित काल में कुछ परेशानी आती है. (यह परिश्रम है) किंतु उत्तराद्र्ध में परेशानी दूर होकर संपन्नता, प्रसन्नता, पद, प्रतिष्ठïा, विजय मिलती है. यदि जन्म पत्रिका मै बलवान शनि हो तो जातक को राजकीय पक्ष की अनुकूलता, धन संपदा, वाहन, मकान सुख, शिक्षा में सफलता, उच्च नौकरी, पद प्रतिष्ठा, पौत्र,लक्ष्मी की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है. कुंडली में छठे, आठवे, दसवें एवं ग्यारहें स्थान पर शनि को कारक ग्रह माना जाता है. आइए जाने द्वादश भावों में स्थित शनि में क्या फल होते हैं. ''
प्रथम भाव में शनि
  • ऐसा जातक श्रेष्ठï प्रशासक, कुटनीतिज्ञ, दूरदृष्टिï युक्त, परिश्रमी, विद्वान, गुणी एवं उच्च पद को प्राप्त करता है.
द्वितीय भाव में शनि
  • दूसरे भाव का शनि जीवन के आरंभिक काल में कठिनाई देता है. परंतु जीवन में कठिन परिश्रम से धन जुटा कर यौवनावस्था एवं वृद्धावस्था में सुख एवं संपन्नता देता है.
तृतीय भाव में शनि
  • जातक साहसी, वीरता एवं कर्मण्यता में अग्रणी रहता है एवं अपने आदर्शो पर जीता है व संस्था प्रमुख का पद ग्रहण करता है.
चतुर्थ भाव में शनि
  •  जातक माता पिता से दूर जाकर अपने परिश्रम से सफलता एïवं संपन्नता प्राप्त करता है.
पंचम भाव में शनि
  • जातक को शिक्षा में कुछ अवरोधों के साथ सफलता मिलती है. शिक्षा के लिए घर से दूर जाना पड़ता है. प्रबंध या तकनीकी विषय  की उच्च शिक्षा ग्रहण करता है.
षष्ठïम भाव में शनि
  • जातक सुस्वाद, नमकीन व्यजनों का शौकीन, विरोधियों को परास्त करने वाला, समाज एवं कुल में सम्मान प्राप्त करता है.
सप्तम भाव में शनि
  • सप्तम शनि प्रेम प्रसंग, प्रेम विवाह एïवं जीवनसाथी के प्रति अधिक आकर्षण उत्पन्न करता है. विवाह में विलंब एïवं अधिकारी जीवनसाथी प्रदान करता है.
अष्टïम भाव में शनि
  • अष्टïम शनि लंबी आयु का कारक है. तथा घर से दूर जाकर जीवनयापन कराता है. परिवार के प्रति विशेष लगाव रहता है. यौवनकाल उत्तम व्यतीत होता है.
नवम भाव में शनि
  • नवम शनि वाचाल राजनीति में निपुण, परिश्रमी, लंबी यात्राओं का लाभ तथा जीवन के 28वें वर्ष के पश्चात भाग्योदय कराता है.
दशम भाव में शनि
  • जातक राजकीय पक्ष की अनूकूलता राज्य में लाभ, उच्च अधिकारी, आर्थिक संपन्नता, कला आदि के प्रति रूचि तथा ऐश्वर्य से जीवन व्यतीत करता है.
एकादश भाव में शनि
  • जातक एक श्रेष्ठï प्रशासनिक एïवं उच्च पदस्थ अधिकारी होता है. समाज में प्रतिष्ठïा प्राप्त करता है. अपनी प्रखरता से लोकप्रियता प्राप्त करता है. साथ ही बौद्धिक कुशाग्रता से यश-धन अर्जित करता है.
द्वादश भाव में शनि
  • द्वादश भाव स्थित शनि जीवन में पूर्णता प्रदान करता है. ऐसा जातक प्रख्यात धनी, समाज कुल एवं देश में लोकप्रियता अर्जित करता है. नौकरी में धीरे-धीरे प्रगति करते हुए उच्च पद को प्राप्त करता है. यात्रा एवं स्वादिष्टï भोजन का लुत्फ उठाता है.
भारत में स्व. इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी तो पाकिस्तान में परवेज मुर्शरफ आदि शनि ग्रह से प्रभावित होने के कारण ही कुशल प्रशासक सिद्ध हुए हैं. शनि कर्मप्रधान ग्रह है. अत: श्रेष्ठï कर्म से ही पद, प्रतिष्ठïा, संपन्नता की प्राप्ति संभव है।

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