.अरे ये मत भूलो, अब हम सभी हैं अन्ना हजारे...
भारत देश का यही तहरीर है शहीदी के बाद करते हैं इबादत ।
अमरता की ये गाथा अजीब है फिर भी देते हैं हंस कर शहादत।।
श्री गांधी, सावरकर, बोस, चन्द्रशेखर पर आरोप लगाये जाते हैं।
इन अमर सपूतों के मूर्तियों पर अब माला-फूल चढ़ाएं जाते हैं।।
खुश नसीब रालेगन के अन्ना की अंगड़ाई ने आरटीआई लाई है।
जिसने सराहा अब वही हुए बेगाना,और .. अब ठानी लड़ाई है।।
अंजाम चाहे जो हो अन्ना की अंगड़ाई नही, सीधी लड़ाई है।
चाहें जो लगा लो आरोप मुझे, भ्रष्टाचार मिटाने की कसम खाई है।।
देश की दशा देख, बाल, बृद्ध और तरूणों में तरूणाई आई है।
तिलक लगाकर दे आशीष, जाओ बेटा माँ भारती ने पुकारा है।।
बलिवेदी पर शीश दे सोने की चिड़ीया भारत को बचाना है।
अल्हड़ अठखेलियों के इस घमासान को मज़ा चखाना है।।
काश़ गर भगत, बिस्मील, राजगुरू, सुखदेव को याद करते।
जातिवाद, धर्मवाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद न पलते।।
भारत माँ के लिए जिसने दिया जीवन उन्हें,
उन ममतामयी माताओं के थे आँचल के फूल।
थे किसी के लाल वे,न था स्व का मलाल उन्हें,
क्या पता था, कलमाड़ी राजा जायेंगे भूल।।
अस भा संसारा भ्रष्ट आचारा, एमआरडीए मैदान में अन्ना बेचारा।
अमानुषी के दिग्विजयी कुटील कपिल के चुभन कांटों न ललकारा।।
मलाई रबड़ी छान रहे, एसी की बुलंद आवाज़,
लल्लू हंसी के लाल फौव्वारे, ताई जी के दुलारे।
क्या यही हो रहा भारत निर्माण का आगाज़,
अरे ये मत भूलो, अब हम सभी हैं अन्ना हजारे।।
-ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे,
(यह कविता उस समय की है जब अन्ना हजारे मुंबई के एमआरडीए मैदान 27-12-2011 से तिन दिवसीय अनशन पर बैठे थे।अपनी 4 मांगों को लेकर, क्योंकि आज ही संसद में सरकारी लोकपाल बील पर चर्चा भी हो रही थी।)
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