ज्योतिष का सूर्य,२९ वाँ अंक दिसम्बर २०११ |
तीर या तुक्का:
खनिज घोटाले में डॉ. रमन सिंह का नाम
प्रिय पाठकों,
आप सभी के लगातार सहयोग एवं प्रेम हमें मिल रहा है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण छत्तीसगढ़ के अलावा चार राज्यों में भी पाठकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। इस अंक में सम्पूर्ण वर्ष 2012 का राशिफल एवं आपकी दिनचर्या से जुड़े ज्योतिष के दुर्लभ पाठ्य सामग्रियों को संग्रहित किया गया है। मुझे विश्वास है यह विशेषांक सर्वजन के लिए काफी अहम एवं जनोपयोगी साबित होगा। आप सभी को नववर्ष 2012 की ढ़ेर सारी आत्मीय व अशेष शुभकामनाएं..।
बंधुओं, सत्ता की लोलुपता तो लगभग हर राजनेता में रहती है, और होनी भी चाहिए, किंतु सत्ता में आकर मदेरणा जैसे नेताओं की वहशियाना हरकत, ए.राजा जैसे नेताओं का घोटाला, यदि प्रेम मोहब्बत की बात की जाय तो शशीथरूर आदि बड़े नेताओं ने कहीं ना कहीं से राजनीति को दागदार बनाया है। अब चर्चा करते हैं घोटालों सहित उपरोक्त सभी कुटीलताओं के इस बाजार से बिल्कुल अलग स्वच्छता का प्रतीक छत्तीसगढ़ की, जो इन दिनों कथित तौर पर उसी पायदान पर आ खड़ा है, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ खनिज घोटाले का एक बड़ा मामला सामने आया है. रमन सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुये गलत तरीके से अपने ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों को मध्यप्रदेश में खनिज पट्टे दिलाये हैं. रमन सिंह पर इन आरोपों के बाद राज्य में कांग्रेस ने कहा है कि रमन सिंह के इस घोटाले की सीबीआई जांच की जाये तो यहां बेल्लारी से बड़ा खनिज घोटाला सामने आ सकता है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिसने इस आरोप कोसबसे पहले मिडिया के दहलीज पर रखा वह मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने स्वयं एक चैनल से बातचीत में अपने बयान का खंडन कर दिया है। सिंह ने साफ कहा है कि रमन सिंह के खिलाफ उन्होंने आरोप नहीं लगाए। उन्होंने मांग की कि उन पर लगाए गए तथ्यहीन आरोपों का सार्वजनिक रूप से खंडन होना चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि यह जो चार साल केंद्रीय मंत्री और 8 साल से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं जिन पर आज तक कोई आरोप नहीं लगे न ही वे कभी विवादित रहे, उन पर क्या वगैर किसी कोई ठोस आधार पर इस प्रकार का आरोप लगाना सही है..? हालाकि राजनीति में शह-मात का खेल चलता रहता है किंतु उड़ती खबरों पर तीर या तुक्का लगाना क्या यही आदर्श राजनीति का द्योतक है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष अजय राहुल सिंह ने उठाया. अजय राहुल सिंह का आरोप है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने रिश्तेदारों को सीधी जिले की गोपाल बनास तहसील के अंधरी गड़ई इलाके में 920 हैक्टेयर जमीन पर सात खदानों का पट्टा दिलाया है.
एक समाचार पत्र और इलेक्ट्रानिक मिडिया से जो उड़ती खबर मिली है तदनुसार 9 दिसम्बर 2010 को जारी आदेश में मैसर्स नाड प्रा.लि. को सीधी के 2458 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर आयरन और, मैग्नीज, टाइटेनियम, वेनेडियम एवं निकिल खनिजों की खोज के लिए 4 फरवरी 2009 से 3 फरवरी 2012 तक की अवधि के लिए रिकोनेसेंस परमिट स्वीकृत किया है. यह फर्म विकास सिंह चौहान के नाम से है, जो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के रिश्तेदार है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का रिश्तेदार होना ही पुख्ता सबूत मान लेना अथवा एक साफ-सुथरे छवि वाले राजनेता डॉ.रमन सिंह का नाम को इस मामले में जोड़ देना क्या उचित है..?
गौरतलब है कि इससे पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंप कर आरोप लगाया था कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह अपात्र उद्योगपतियों को अवैध रूप से माइनिंग लीज आबंटित कर रहे हैं. नेताओं का आरोप था कि मेसर्स पुष्प स्टील एंड माइनिंग प्रा. लिमिटेड को माइनिंग लीज एवं प्रास्पेक्टिंग लायसेंस देते हुए राज्य की खनिज सम्पदा का दोहन किया गया. इसी तरह मेसर्स नवभारत फ्यूल्स प्रा.लि. नामक कंपनी को उसके स्वयं के उपयोग के लिए कोल ब्लॉक्स के आबंटन की अनुशंसा केन्द्र सरकार को भेजी. छत्तीसगढ़ सरकार की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार ने उक्त कंपनी को कोल ब्लॉक आबंटन किया, जिसे बाद में कंपनी के संचालक जो प्रदेश भाजपा के नेता हैं, उक्त कंपनी को अन्य कंपनी को बेच दिया, जिसमें लगभग 100 करोड़ का लेन-देन हुआ. इसी तरह प्रदेश में निको जायसवाल लिमिटेड जैसे कई उद्योगों को उनकी पात्रता से कई गुना अधिक लौह अयस्क खदानों का आबंटन किया गया है. हालाकि उपरोक्त सभी विपक्ष (कांग्रेस) के द्वारा मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह पर लगाये गये सभी आरोपों से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं रहा। कुछ प्रकरणों में जांच चल रही है, लेकिन ज्यादातर प्रकरणों में मुख्यमंत्री डॉ.सिंह की भूमिका बेदाग रही है। हवा में उड़ती खबरों पर विपक्ष द्वारा आरोप लगाना क्या तीर या तुक्का नहीं कहा जायेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे
प्रिय पाठकों,
आप सभी के लगातार सहयोग एवं प्रेम हमें मिल रहा है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण छत्तीसगढ़ के अलावा चार राज्यों में भी पाठकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। इस अंक में सम्पूर्ण वर्ष 2012 का राशिफल एवं आपकी दिनचर्या से जुड़े ज्योतिष के दुर्लभ पाठ्य सामग्रियों को संग्रहित किया गया है। मुझे विश्वास है यह विशेषांक सर्वजन के लिए काफी अहम एवं जनोपयोगी साबित होगा। आप सभी को नववर्ष 2012 की ढ़ेर सारी आत्मीय व अशेष शुभकामनाएं..।
बंधुओं, सत्ता की लोलुपता तो लगभग हर राजनेता में रहती है, और होनी भी चाहिए, किंतु सत्ता में आकर मदेरणा जैसे नेताओं की वहशियाना हरकत, ए.राजा जैसे नेताओं का घोटाला, यदि प्रेम मोहब्बत की बात की जाय तो शशीथरूर आदि बड़े नेताओं ने कहीं ना कहीं से राजनीति को दागदार बनाया है। अब चर्चा करते हैं घोटालों सहित उपरोक्त सभी कुटीलताओं के इस बाजार से बिल्कुल अलग स्वच्छता का प्रतीक छत्तीसगढ़ की, जो इन दिनों कथित तौर पर उसी पायदान पर आ खड़ा है, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ खनिज घोटाले का एक बड़ा मामला सामने आया है. रमन सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुये गलत तरीके से अपने ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों को मध्यप्रदेश में खनिज पट्टे दिलाये हैं. रमन सिंह पर इन आरोपों के बाद राज्य में कांग्रेस ने कहा है कि रमन सिंह के इस घोटाले की सीबीआई जांच की जाये तो यहां बेल्लारी से बड़ा खनिज घोटाला सामने आ सकता है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिसने इस आरोप कोसबसे पहले मिडिया के दहलीज पर रखा वह मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने स्वयं एक चैनल से बातचीत में अपने बयान का खंडन कर दिया है। सिंह ने साफ कहा है कि रमन सिंह के खिलाफ उन्होंने आरोप नहीं लगाए। उन्होंने मांग की कि उन पर लगाए गए तथ्यहीन आरोपों का सार्वजनिक रूप से खंडन होना चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि यह जो चार साल केंद्रीय मंत्री और 8 साल से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं जिन पर आज तक कोई आरोप नहीं लगे न ही वे कभी विवादित रहे, उन पर क्या वगैर किसी कोई ठोस आधार पर इस प्रकार का आरोप लगाना सही है..? हालाकि राजनीति में शह-मात का खेल चलता रहता है किंतु उड़ती खबरों पर तीर या तुक्का लगाना क्या यही आदर्श राजनीति का द्योतक है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष अजय राहुल सिंह ने उठाया. अजय राहुल सिंह का आरोप है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने रिश्तेदारों को सीधी जिले की गोपाल बनास तहसील के अंधरी गड़ई इलाके में 920 हैक्टेयर जमीन पर सात खदानों का पट्टा दिलाया है.
एक समाचार पत्र और इलेक्ट्रानिक मिडिया से जो उड़ती खबर मिली है तदनुसार 9 दिसम्बर 2010 को जारी आदेश में मैसर्स नाड प्रा.लि. को सीधी के 2458 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर आयरन और, मैग्नीज, टाइटेनियम, वेनेडियम एवं निकिल खनिजों की खोज के लिए 4 फरवरी 2009 से 3 फरवरी 2012 तक की अवधि के लिए रिकोनेसेंस परमिट स्वीकृत किया है. यह फर्म विकास सिंह चौहान के नाम से है, जो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के रिश्तेदार है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का रिश्तेदार होना ही पुख्ता सबूत मान लेना अथवा एक साफ-सुथरे छवि वाले राजनेता डॉ.रमन सिंह का नाम को इस मामले में जोड़ देना क्या उचित है..?
गौरतलब है कि इससे पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंप कर आरोप लगाया था कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह अपात्र उद्योगपतियों को अवैध रूप से माइनिंग लीज आबंटित कर रहे हैं. नेताओं का आरोप था कि मेसर्स पुष्प स्टील एंड माइनिंग प्रा. लिमिटेड को माइनिंग लीज एवं प्रास्पेक्टिंग लायसेंस देते हुए राज्य की खनिज सम्पदा का दोहन किया गया. इसी तरह मेसर्स नवभारत फ्यूल्स प्रा.लि. नामक कंपनी को उसके स्वयं के उपयोग के लिए कोल ब्लॉक्स के आबंटन की अनुशंसा केन्द्र सरकार को भेजी. छत्तीसगढ़ सरकार की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार ने उक्त कंपनी को कोल ब्लॉक आबंटन किया, जिसे बाद में कंपनी के संचालक जो प्रदेश भाजपा के नेता हैं, उक्त कंपनी को अन्य कंपनी को बेच दिया, जिसमें लगभग 100 करोड़ का लेन-देन हुआ. इसी तरह प्रदेश में निको जायसवाल लिमिटेड जैसे कई उद्योगों को उनकी पात्रता से कई गुना अधिक लौह अयस्क खदानों का आबंटन किया गया है. हालाकि उपरोक्त सभी विपक्ष (कांग्रेस) के द्वारा मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह पर लगाये गये सभी आरोपों से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं रहा। कुछ प्रकरणों में जांच चल रही है, लेकिन ज्यादातर प्रकरणों में मुख्यमंत्री डॉ.सिंह की भूमिका बेदाग रही है। हवा में उड़ती खबरों पर विपक्ष द्वारा आरोप लगाना क्या तीर या तुक्का नहीं कहा जायेगा।
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