राजनीति में अव्वल होते हैं कर्क लग्र वाले:
जैमिनी के अनुसार लग्रेश और पंचमेश का योग श्रेष्ठ राजयोग बनाता है. लग्रेश-सप्तमेश का परस्पर योग या सप्तमेश-पंचमेश का संबंध जीवन के उत्तराद्र्ध में राजयोग देता है. भाव प्रकाश ग्रंथ में बताया गया है कि यदि कर्क लग्र मे चन्द्र, शनि, गुरु, सूर्य और मंगल स्वोच्च में स्थित मे हो, तो परस्पर कारक होते हैं. चतुर्थगत या दशम स्थानगत ग्रह लग्रगत ग्रह के लिए कारक होगा. यदि राहु या केतु केन्द्र या त्रिकोण मे ंहो तथा उनका संबंध केन्द्रेश, त्रिकोणेश से हो जाए, तो उत्तम योगकारक बन जाते हैं.
कर्क लग्र में उत्पन्न जातक अधिकांशत: नेतृत्व गुण वाले होते हैं. ये मंत्री, डॉक्टर, राज्याधिकारी, प्राध्यापक , इतिहासज्ञ आदि बनते हैं. इन्हें विदेश यात्राओं के योग मिलते हैं. ज्योतिष मत में जो पंचमहापुरुष योग कहे गए हैं. उनमं से 4 योग इसलग्र में संभाव्य होते हैं. कर्कलग्र में प्रथम भाव में यदि गुरु हो ,तो वह अपनी उच्च राशि में होगा और हंस नामक पंचमहापुरुष योग देगा। चतुर्थ भाव में यदि शुक्र हो, तो वह अपनी तुला राशि में होगा और मालव्य नाम पंचमहापुरुष योग देगा.यदि सप्तम में शनि हो, तो वह अपनी मकर राशि में होगा और शश नामक पंचमहापुरुष योग देगा. इसी प्रकार यदि मंगल सप्तम में हो, तो वह अपनी उच्च राशि में होगा और दशम में हो तो वह अपनी उच्चथ राशि में होगा और दशम में हो तो वह अपनी मेष राशी में होगा. और इस प्रकार रूचक नामक पंचमहापुरुष योग का निर्माण करेगा. यदि कुण्डली में एक भी पंचमहापुरुष योग हो तो कुण्डली के सारे दोष दूर हो जाते हैं.
अधिकांशत: महान राजनीतिज्ञ कर्क लग्र मे ही पैदा हुए हैं. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्री इन्द्र कुमार गुजराल, श्री एच.डी.देवेगौड़ा, कर्क लग्र वाले व्यक्ति हैं. श्रीमती सोनिया गांधी भी कर्क लग्र की है, जो वर्तमान में भारतीय राजनीति की एक धुरी है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन कर्क लग्र के व्यक्ति हैं.अमेरिका के पूर्व राष्टï्रपति बिल क्लिंटन और सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचोव कर्कलग्र वाले हैं. अन्य राजनीतिज्ञों में जयप्रकाश नारायण, नेल्सन मंडेला, अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश, नजमा हेपतुल्ला, मायावती, मेनका गांधी, एम. करूणानिधि आदि कर्क लग्न के जातक है. लोकमान्य तिलक, पं. मदनमोहन मालवीय, धर्माचार्य रामानुजन, मुगल सम्राट शाहजहाँ कर्क लग्र में पैदा हुए थे. भगवान श्रीराम, महात्मा बुद्ध, महाराजा विक्रमादित्य, महाराजा युधिष्ठिïर भी कर्क लग्र मे पैदा हुए थे.
अत: यह स्पष्टï है कि विधाता जिन जीवात्माओं से सफल राजनीति कराना चाहता है. उन्हें संसार में कर्क लग्र में ही भेजता है.
- '' बारह राशियों में कर्क राशि चतुर्थ क्रम की राशि है. इसका स्वामी चन्द्रमा है. यह चर संज्ञक स्त्रीलिंग राशि है और जल तत्व प्रधान है. जमाने की हवा देखकर कार्य करना इस राशि वालो का स्वभाव रहता है. इस राशि के अंतर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का चौथा चरण, पुष्य के चारो चरण एïवं आश्लेषा नक्षत्र के चारो चरण आते हैं. लग्र यदि शरीर है, तो चन्द्रमा उसका प्राण । ग्रह परिषद में सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है तो चन्द्रमा को रानी का. अत: कर्क लग्र में जन्मे जातक धनी, सम्मानित, श्रेष्ठï, विदेश में वास करने वाले होते हैं. ये जातक राजनीति में निपुण होते हैं. कर्क लग्र मे चन्द्र, मंगल एवं गुरु कारक ग्रह है. ये तीनों ग्रह राजनीति का प्रतिनिधित्व करते ह . कर्क लग्र का द्वितीयश सूर्य होता है. जो राजकृपा कारक रहता है. मंगल पराक्रम का प्रतिनिधि है. बिना पराक्रम के राजनीति नही हो सकती है. मंगल सूर्य का दृष्टि संबंध या मंगल सूर्य का राशि परिवर्तन व्यक्ति को राजनीति में निपुण एवं सफल बनाता है.यदि यह योग कर्क लग्र मे हो तो प्रबल राजयोग देता है. कर्क लग्र में चन्द्र, शुक्र, शनि और मंगल केन्द्रेश है.चन्द्रमा लग्रेश एवं त्रिकोणेश है. कर्क लग्र के लिए मंगल प्रबल कारक है, क्यों कि वह पंचम भाव (त्रिकोण) एवं दशम भाव (केन्द्र) का स्वामी होता है. केन्द्रेश-त्रिकोणेश संयोग सत्ता सुख देता है. यदि यह संयोग केन्द्र या त्रिकोण में बन जाए तो सोने पर सुहागे का काम करता है केन्द्रेश-त्रिकोणेश का राशि परिवर्तन भी प्रबल राजयोग देता है. यदि कर्क लग्र के साथ गजकेसरी राजयोग भी जुड़ जाए अथवा सूर्य से गुरु केन्द्र में आ जाए, तो श्रेष्ठ राजोग बनता है. मंगल, सूर्य, शनि, और राहु से बनने वाले राजयोग प्रबल होते हैं. क्योंकि सूर्य-चन्द्र राजा है. मंगल नेता है गुरु शुक्र दोनो मंत्री है. शनि दूत है और राहु-केतु सेना का प्रतिनिधित्व करते हैं. चन्द्रमा प्रगति का प्रबल कारक ग्रह होता है. तृतीय भाव स्थित चन्द्रमा या शुक्र परस्पर देखते हों अथवा शुक्र से चन्द्र तीसरा या चन्द्र से शुक्र तीसरा हो, तो जातक धन-वाहन से युक्त होता है.''
भवति चन्द्रमसो दशमधिपो जनुषि केन्द्र नवद्विसुतोपग:।जिसके जन्म समय में चन्द्रमा से दसवे घर का स्वामी केन्द्र (1,4,7,10) स्थान, नौवे, दूसरे तथा पाँचवें घर में बैठा हो, तो स्वर्ण, पन्ना, हीरा इत्यादि अनेक प्रकार के रत्न तथा आभूषणों से युक्त पृथ्वीपति कहलाता है।
अति विचित्र मणि व्रज मण्डितो वसुमतौ
वसुभूषण संयुत:॥
जैमिनी के अनुसार लग्रेश और पंचमेश का योग श्रेष्ठ राजयोग बनाता है. लग्रेश-सप्तमेश का परस्पर योग या सप्तमेश-पंचमेश का संबंध जीवन के उत्तराद्र्ध में राजयोग देता है. भाव प्रकाश ग्रंथ में बताया गया है कि यदि कर्क लग्र मे चन्द्र, शनि, गुरु, सूर्य और मंगल स्वोच्च में स्थित मे हो, तो परस्पर कारक होते हैं. चतुर्थगत या दशम स्थानगत ग्रह लग्रगत ग्रह के लिए कारक होगा. यदि राहु या केतु केन्द्र या त्रिकोण मे ंहो तथा उनका संबंध केन्द्रेश, त्रिकोणेश से हो जाए, तो उत्तम योगकारक बन जाते हैं.
कर्क लग्र में उत्पन्न जातक अधिकांशत: नेतृत्व गुण वाले होते हैं. ये मंत्री, डॉक्टर, राज्याधिकारी, प्राध्यापक , इतिहासज्ञ आदि बनते हैं. इन्हें विदेश यात्राओं के योग मिलते हैं. ज्योतिष मत में जो पंचमहापुरुष योग कहे गए हैं. उनमं से 4 योग इसलग्र में संभाव्य होते हैं. कर्कलग्र में प्रथम भाव में यदि गुरु हो ,तो वह अपनी उच्च राशि में होगा और हंस नामक पंचमहापुरुष योग देगा। चतुर्थ भाव में यदि शुक्र हो, तो वह अपनी तुला राशि में होगा और मालव्य नाम पंचमहापुरुष योग देगा.यदि सप्तम में शनि हो, तो वह अपनी मकर राशि में होगा और शश नामक पंचमहापुरुष योग देगा. इसी प्रकार यदि मंगल सप्तम में हो, तो वह अपनी उच्च राशि में होगा और दशम में हो तो वह अपनी उच्चथ राशि में होगा और दशम में हो तो वह अपनी मेष राशी में होगा. और इस प्रकार रूचक नामक पंचमहापुरुष योग का निर्माण करेगा. यदि कुण्डली में एक भी पंचमहापुरुष योग हो तो कुण्डली के सारे दोष दूर हो जाते हैं.
अधिकांशत: महान राजनीतिज्ञ कर्क लग्र मे ही पैदा हुए हैं. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्री इन्द्र कुमार गुजराल, श्री एच.डी.देवेगौड़ा, कर्क लग्र वाले व्यक्ति हैं. श्रीमती सोनिया गांधी भी कर्क लग्र की है, जो वर्तमान में भारतीय राजनीति की एक धुरी है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन कर्क लग्र के व्यक्ति हैं.अमेरिका के पूर्व राष्टï्रपति बिल क्लिंटन और सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचोव कर्कलग्र वाले हैं. अन्य राजनीतिज्ञों में जयप्रकाश नारायण, नेल्सन मंडेला, अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश, नजमा हेपतुल्ला, मायावती, मेनका गांधी, एम. करूणानिधि आदि कर्क लग्न के जातक है. लोकमान्य तिलक, पं. मदनमोहन मालवीय, धर्माचार्य रामानुजन, मुगल सम्राट शाहजहाँ कर्क लग्र में पैदा हुए थे. भगवान श्रीराम, महात्मा बुद्ध, महाराजा विक्रमादित्य, महाराजा युधिष्ठिïर भी कर्क लग्र मे पैदा हुए थे.
अत: यह स्पष्टï है कि विधाता जिन जीवात्माओं से सफल राजनीति कराना चाहता है. उन्हें संसार में कर्क लग्र में ही भेजता है.
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