मित्रों सुप्रभात ,
खतरे में भारत की संस्कृति
श्रीमद्भगवद् गीता पर राक्षसों की नज़र पड़ गयी है इनको श्री हनुमान की गदा से भगाना होगा। जिस गीता के समक्ष पूरे विश्व को नतमस्तक होने पर विवश कर दिये वे इस देश के सपूत स्वामी विवेकानंद जी को अंतर्मन से उनको शत शत नमन। संयुक्त राष्ट्र संघ भवन न्यूयार्क में पहली बार भारत के तात्कालिन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी जिन्होंने पूरे विश्व का हिन्दी के प्रति ध्यान आकर्षित कराया था , इन्होंने पहली बार हिन्ही में भाषण दिया था। ऐसे महान पुरूष को बारंबार प्रणाम लेकिन आज उसी भारत के एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं मनमोहन सिंह जी जिनके रूस दौरे के दो दिन बाद बोलता है कि मैं गीता को पर रोक लगाउंगा.मित्रों आज हम किस हाल में आ खड़े हो गए हैं और ऐसे में भारतीय संस्कृति का रक्षा कैसे कर पायेंगे यदि बात करते हैं संस्कृति का तो देश के गृहमंत्री पी चिदंबरम बोलते हैं कि यह भगवा आतंक है । आज परिणाम आप सभी के सामने है रूस ने जो लहज़ा अख्तियार किया है।
यदि बात की जाय भगवा की तो भगवा वस्त्र पहन कर भारत के एक युवा संत स्वामी विवेकानंद जी ने ही शिकागो धर्मसम्मेलन में गीता गीता का ध्वज फहराये थे । यदि मान लेते हैं तथाकथित कुछ बहुरूपीये भगवाधारी निन्दनीय कार्यों में लिप्त हैं तो क्या इसका मतलब भगवा रंग ही काला हो गया है। यदि मंत्रीमंडल के दो-चार मंत्री घोटालों में संलिप्त हैं तो क्या पूरा मंत्रीमंडल ही भ्रष्ट है, इस सवाल का उत्तर मैं आप लोगों पर ही छोड़ देता हुं। हां, इतना जरूर है अगर घर में (अपने देश में ) गीता, गंगा, गायत्री, संत और तीर्थों का सम्मान करते तो मजाल था कि रूस जैसे देश कभी इस प्रकार का घटिया कदम उठा पाते। खैर आज जो भी हो रहा है इससे तो यही एहसास हो रहा है कि भारतीय संस्कृति खतरे में है और जिस देश की संस्कृति खतरे में होती है उस देश के विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है अंततः शासक के प्रति लोगों की आस्था खत्म हो जाती है।
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे , 09827198828, भिलाई
खतरे में भारत की संस्कृति
श्रीमद्भगवद् गीता पर राक्षसों की नज़र पड़ गयी है इनको श्री हनुमान की गदा से भगाना होगा। जिस गीता के समक्ष पूरे विश्व को नतमस्तक होने पर विवश कर दिये वे इस देश के सपूत स्वामी विवेकानंद जी को अंतर्मन से उनको शत शत नमन। संयुक्त राष्ट्र संघ भवन न्यूयार्क में पहली बार भारत के तात्कालिन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी जिन्होंने पूरे विश्व का हिन्दी के प्रति ध्यान आकर्षित कराया था , इन्होंने पहली बार हिन्ही में भाषण दिया था। ऐसे महान पुरूष को बारंबार प्रणाम लेकिन आज उसी भारत के एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं मनमोहन सिंह जी जिनके रूस दौरे के दो दिन बाद बोलता है कि मैं गीता को पर रोक लगाउंगा.मित्रों आज हम किस हाल में आ खड़े हो गए हैं और ऐसे में भारतीय संस्कृति का रक्षा कैसे कर पायेंगे यदि बात करते हैं संस्कृति का तो देश के गृहमंत्री पी चिदंबरम बोलते हैं कि यह भगवा आतंक है । आज परिणाम आप सभी के सामने है रूस ने जो लहज़ा अख्तियार किया है।
यदि बात की जाय भगवा की तो भगवा वस्त्र पहन कर भारत के एक युवा संत स्वामी विवेकानंद जी ने ही शिकागो धर्मसम्मेलन में गीता गीता का ध्वज फहराये थे । यदि मान लेते हैं तथाकथित कुछ बहुरूपीये भगवाधारी निन्दनीय कार्यों में लिप्त हैं तो क्या इसका मतलब भगवा रंग ही काला हो गया है। यदि मंत्रीमंडल के दो-चार मंत्री घोटालों में संलिप्त हैं तो क्या पूरा मंत्रीमंडल ही भ्रष्ट है, इस सवाल का उत्तर मैं आप लोगों पर ही छोड़ देता हुं। हां, इतना जरूर है अगर घर में (अपने देश में ) गीता, गंगा, गायत्री, संत और तीर्थों का सम्मान करते तो मजाल था कि रूस जैसे देश कभी इस प्रकार का घटिया कदम उठा पाते। खैर आज जो भी हो रहा है इससे तो यही एहसास हो रहा है कि भारतीय संस्कृति खतरे में है और जिस देश की संस्कृति खतरे में होती है उस देश के विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है अंततः शासक के प्रति लोगों की आस्था खत्म हो जाती है।
रूस द्वारा गीता पर रोक लगाये जाने कस विरोध में ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे ने भी आपने समर्थकों के साथ आपना विरोध जताया ''दैनिक नवभारत'' में प्रकाशित एक रिपोर्ट
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