ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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बुधवार, 31 अगस्त 2011

विघ्रहर्ता मूँगा गणेश प्रयोग

विघ्रहर्ता मूँगा गणेश प्रयोग
यदि  आपके कार्यो में रूकावटें आती हो, कार्य होते-होते रूक जाता हो, तो आपको विघ्रहर्ता मूँगा के गणेश की साधना करनी चाहिए. इस साधना के लिए इस वर्ष की अक्षय तृतीया विशेष फलदायी है. गौरी विनायकोपेता मे कहा गया है कि यदि अक्षय तृतीया के दिन चतुर्थी भी आ जाए, तो यह योग शीघ्र एवं अधिक शुभ फलदायी होता है.
अभिजीत मुहूर्त में विघ्रहर्ता मूँगा गणेश की घर के पूजा कक्ष में स्थापना करें तथा उनकी विधिपूर्वक पूजा करें. पूजा के उपरान्त निम्रलिखित स्तोत्र का ग्यारह बार पाठ करें.
परं धाम परं ब्रम्ह परेशं परमेश्वरम।
विघ्र-निघ्र करं शान्तं पुष्टं कान्तं-अनंतकम॥
सुरासुरइन्द्रै: सिद्ध-इन्द्रै: स्तुतं स्तौमि परात्परम॥
सुर पद्म दिनेशं च गणेशं मंगलायनम।
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्र-शोक हरं परम्।
य: पठेत् प्रात:-उत्थाय सर्व विघ्नात् प्रमुच्यते॥
प्रत्येक दिन मूँगा गणेशजी की धूप-दीप से पूजा करने के उपरान्त विघ्रहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें. आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि कार्यो में आने वाली बाधाएँ समय के साथ-साथ दूर होती जा रही है. चारों ओर आपको सफलता मिल रही है।