वास्तु की साज-सज्जा हो अनुकूल तो आतीं है लक्ष्मी
वास्तु-विशेषांक का विमोचन करते हुए छ.ग. के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह और ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे (सम्पादक,ज्योतिष का सूर्य)
नए घर के साथ आपके कई सपने जुडे होते हैं। वैसे घर कई तरह का होता है- जमीन खरीद कर बनवाया गया घर, किसी दूसरे व्यक्ति से खरीदा गया घर, एक किराये के घर के बाद लिया गया ऐसा ही कोई दूसरा घर। घर कोई भी हो, उसमें जब आप प्रवेश करें तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। यदि आपका घर बिल्कुल नया बना है तो स्वाभाविक है कि उसमें सभी चीजें नई होंगी, परंतु यदि आप किसी पहले से बने घर में प्रवेश कर रहे हैं तो संभव है कि उसमें पहले से रहने वाले लोगों का आभा मंडल आपके परिवार के आभा मंडल से मेल न खाता हो और भविष्य में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना करना पडे। अत: ऐसे मामले में वास्तु शास्त्र के निम्नलिखित दिशा-निर्देशों को व्यवहार में लाना लाभप्रद होगा :
1. अपने पुराने मकान का समस्त कूडा-कबाड, टूटा-फूटा सामान, चटके शीशे, खंडित मूर्तियां, खराब शो पीस, टूटी घडियां आदि साथ लाने के बजाय कबाडी को दे कर आएं।
2. ऐसे घर प्रवेश करने से पूर्व वहां से पुराने परिवार का बचा-खुचा, टूटा-फूटा सामान, कूडा-कबाड या खराब उपकरण बिल्कुल हटा दें।
3. नए मकान की छत, खिडकियां-दरवाजे व फर्श आदि का निरीक्षण करके देखें। यदि कुछ टूटा-फूटा हो तो उसे ठीक करवा लें। जैसे- जगह-जगह उखडा प्लास्टर, टूटा फर्श, दीवारों की दरारें, सही ढंग से बंद न होने वाले दरवाजे-खिडकियां आदि।
4. कभी-कभी समय की कमी के कारण या छोटी-मोटी बचत के चक्कर में इन्हें ऐसे ही यह सोचकर छोड दिया जाता है कि इसे बाद में ठीक करवा लेंगे परंतु ऐसी टूटी-फूटी व ऊबड-खाबड सतह में पुराने बैक्टीरिया, कीट-पतंगे, जीवाणु व विषाणु मौजूद होते हैं और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते।
5. दीवारों से बेकार कीलें उखाड दें व ध्यान दें कि पूरे घर के भीतर, बाहर, सीढियों पर या छत आदि पर मकडी के जाले बिल्कुल न रहें।
6. दीमक लगी चौखट, अलमारी, दरवाजे, कपबोर्ड या अन्य लकडी के सामान सबसे पहले हटाएं व उनके स्थान पर नया सामान लगवाएं।
7. प्राय: पुराने घर में अकसर विशेष प्रकार की गंध होती है, उसे दूर करने के लिए पूरे घर की धुलाई-सफाई जरूरी होती है।
8. वास्तु के अनुसार किसी भी पुराने मकान की टेलरिक एनर्जी (भूमि की ऊर्जा) में सुधार लाने के लिए उसके कमरों के फर्श को रोज समुद्री नमक मिले पानी से अच्छी तरह धोना व नमक के पानी से पोंछा जाना चाहिए।
9. घर के भीतर हर स्थान पर रंगाई-पुताई या सफेदी जरूर करवाएं क्योंकि चूने या रंग-रोगन द्वारा भी बडी सरलता से घर के भीतर की ऊर्जा तरंगों को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है। परंतु स्मरण रहे कि इंटीरियर में केवल हलके रंगों का ही इस्तेमाल करें। इससे प्रकाश की मात्रा बढती है।
10. घर के भीतर पेस्ट कंट्रोल भी अवश्य करवाएं अन्यथा दीमक आपके अच्छे सामान को भी नष्ट कर सकते हैं। घर में दीमक का होना वास्तु शास्त्र में नकारात्मकता का प्रतीक होता है।
11. शुरू के कुछ दिन जब तक घर में मरम्मत का काम चले, ज्यादा से ज्यादा समय तक यथासंभव सभी दरवाजे व खिडकियां दिन के समय खुली रखें, जिससे कि बाहर की ताजा हवा घर के भीतर प्रवेश कर सके व ऑक्सीजन की ज्यादा से ज्यादा मात्रा भवन में सकारात्मक प्राण ऊर्जा को संतुलित बना सके।
12. घर के भीतर के पानी के नल, सभी पंखे, टयूब-लाइटें, बल्ब, गीजर, एग्जॉस्ट फैन व अन्य बिजली के सामान यथासंभव नए ही प्रयोग करने चाहिए।
13. नए घर में प्रवेश करने के बाद प्रारंभ के कुछ महीनों तक प्राकृतिक व कृत्रिम दोनों ही प्रकार के प्रकाश का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें क्योंकि अंधेरे या कम प्रकाश वाले स्थान मलिनता व शिथिलता लाते हैं व इससे हमारा मन उचट भी सकता है।
14. शाम को सूर्यास्त के समय घर की सभी लाइटें जरूर जलाएं और भगवान से परिवार के सुंदर भविष्य और सुख-समृद्धि की कामना करें।
15.नए घर में लगे सूखे व मुरझाए पेड-पौधों के स्थान पर नए पौधे लगाएं। तुलसी का पौधा घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है।
16. नए घर में रोज सोने से पहले व सुबह उठ कर अपने ईश्वर से सुखद भविष्य की प्रार्थना करें। आने वाले समय में अधिक से अधिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करें। सद्विचार मन में लाएं व सोच को और भी सकारात्मक बनाएं। ऐसा करने से आपका यह नया घर ज्यादा शुभ सिद्ध होगा।
17. सकारात्मक वास्तु ऊर्जा में वृद्धि करने के लिए आप रोज सुबह कपूर जलाएं।
वास्तु-विशेषांक का विमोचन करते हुए छ.ग. के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह और ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे (सम्पादक,ज्योतिष का सूर्य)
नए घर के साथ आपके कई सपने जुडे होते हैं। वैसे घर कई तरह का होता है- जमीन खरीद कर बनवाया गया घर, किसी दूसरे व्यक्ति से खरीदा गया घर, एक किराये के घर के बाद लिया गया ऐसा ही कोई दूसरा घर। घर कोई भी हो, उसमें जब आप प्रवेश करें तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। यदि आपका घर बिल्कुल नया बना है तो स्वाभाविक है कि उसमें सभी चीजें नई होंगी, परंतु यदि आप किसी पहले से बने घर में प्रवेश कर रहे हैं तो संभव है कि उसमें पहले से रहने वाले लोगों का आभा मंडल आपके परिवार के आभा मंडल से मेल न खाता हो और भविष्य में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना करना पडे। अत: ऐसे मामले में वास्तु शास्त्र के निम्नलिखित दिशा-निर्देशों को व्यवहार में लाना लाभप्रद होगा :
1. अपने पुराने मकान का समस्त कूडा-कबाड, टूटा-फूटा सामान, चटके शीशे, खंडित मूर्तियां, खराब शो पीस, टूटी घडियां आदि साथ लाने के बजाय कबाडी को दे कर आएं।
2. ऐसे घर प्रवेश करने से पूर्व वहां से पुराने परिवार का बचा-खुचा, टूटा-फूटा सामान, कूडा-कबाड या खराब उपकरण बिल्कुल हटा दें।
3. नए मकान की छत, खिडकियां-दरवाजे व फर्श आदि का निरीक्षण करके देखें। यदि कुछ टूटा-फूटा हो तो उसे ठीक करवा लें। जैसे- जगह-जगह उखडा प्लास्टर, टूटा फर्श, दीवारों की दरारें, सही ढंग से बंद न होने वाले दरवाजे-खिडकियां आदि।
4. कभी-कभी समय की कमी के कारण या छोटी-मोटी बचत के चक्कर में इन्हें ऐसे ही यह सोचकर छोड दिया जाता है कि इसे बाद में ठीक करवा लेंगे परंतु ऐसी टूटी-फूटी व ऊबड-खाबड सतह में पुराने बैक्टीरिया, कीट-पतंगे, जीवाणु व विषाणु मौजूद होते हैं और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते।
5. दीवारों से बेकार कीलें उखाड दें व ध्यान दें कि पूरे घर के भीतर, बाहर, सीढियों पर या छत आदि पर मकडी के जाले बिल्कुल न रहें।
6. दीमक लगी चौखट, अलमारी, दरवाजे, कपबोर्ड या अन्य लकडी के सामान सबसे पहले हटाएं व उनके स्थान पर नया सामान लगवाएं।
7. प्राय: पुराने घर में अकसर विशेष प्रकार की गंध होती है, उसे दूर करने के लिए पूरे घर की धुलाई-सफाई जरूरी होती है।
8. वास्तु के अनुसार किसी भी पुराने मकान की टेलरिक एनर्जी (भूमि की ऊर्जा) में सुधार लाने के लिए उसके कमरों के फर्श को रोज समुद्री नमक मिले पानी से अच्छी तरह धोना व नमक के पानी से पोंछा जाना चाहिए।
9. घर के भीतर हर स्थान पर रंगाई-पुताई या सफेदी जरूर करवाएं क्योंकि चूने या रंग-रोगन द्वारा भी बडी सरलता से घर के भीतर की ऊर्जा तरंगों को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है। परंतु स्मरण रहे कि इंटीरियर में केवल हलके रंगों का ही इस्तेमाल करें। इससे प्रकाश की मात्रा बढती है।
10. घर के भीतर पेस्ट कंट्रोल भी अवश्य करवाएं अन्यथा दीमक आपके अच्छे सामान को भी नष्ट कर सकते हैं। घर में दीमक का होना वास्तु शास्त्र में नकारात्मकता का प्रतीक होता है।
11. शुरू के कुछ दिन जब तक घर में मरम्मत का काम चले, ज्यादा से ज्यादा समय तक यथासंभव सभी दरवाजे व खिडकियां दिन के समय खुली रखें, जिससे कि बाहर की ताजा हवा घर के भीतर प्रवेश कर सके व ऑक्सीजन की ज्यादा से ज्यादा मात्रा भवन में सकारात्मक प्राण ऊर्जा को संतुलित बना सके।
12. घर के भीतर के पानी के नल, सभी पंखे, टयूब-लाइटें, बल्ब, गीजर, एग्जॉस्ट फैन व अन्य बिजली के सामान यथासंभव नए ही प्रयोग करने चाहिए।
13. नए घर में प्रवेश करने के बाद प्रारंभ के कुछ महीनों तक प्राकृतिक व कृत्रिम दोनों ही प्रकार के प्रकाश का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें क्योंकि अंधेरे या कम प्रकाश वाले स्थान मलिनता व शिथिलता लाते हैं व इससे हमारा मन उचट भी सकता है।
14. शाम को सूर्यास्त के समय घर की सभी लाइटें जरूर जलाएं और भगवान से परिवार के सुंदर भविष्य और सुख-समृद्धि की कामना करें।
15.नए घर में लगे सूखे व मुरझाए पेड-पौधों के स्थान पर नए पौधे लगाएं। तुलसी का पौधा घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है।
16. नए घर में रोज सोने से पहले व सुबह उठ कर अपने ईश्वर से सुखद भविष्य की प्रार्थना करें। आने वाले समय में अधिक से अधिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करें। सद्विचार मन में लाएं व सोच को और भी सकारात्मक बनाएं। ऐसा करने से आपका यह नया घर ज्यादा शुभ सिद्ध होगा।
17. सकारात्मक वास्तु ऊर्जा में वृद्धि करने के लिए आप रोज सुबह कपूर जलाएं।
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