अन्ना के सितारें क्या बोलते हैं
15 जून1940 को १७: 30 महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा । पिता मजदूर थे और दादा फौज मे थे। दादा की पोस्टिंग भिंग नगर में ही थी । अन्ना का पुश्तैनी गांव अहमद नगर के रालेगण सिद्धी में था। दादा के मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगण सिद्धी आ गया । अन्ना के छ: भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुंबई ले गयीं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेसन के बाहर एक फूल बेचने वाले के दुकान पर काम करने लगे। उसके बाद वे स्वयं एक माला-फूल की दुकान चालू कर अपने दो भाईयों को भी गांव से बुला लिया।
छठें दशक के आस-पास वह फौज में भर्ती हो गये। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राईवर पंजाब में हुयी। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को मात दिये थे। इसी दौरान वे रेलवे स्टेशन के बुक स्टॉल से स्वामी विवेकानन्द की और संत विनोवा भावे की किताबें लेकर पढऩा आरंभ कर दिये। इससे प्रभावित हो अपने जीवन को समाज के उत्थान में समर्पित करने का फैसला लिया।1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया। मुंबई पोस्टींग के दौरान वह रालेगण आते-जाते रहे, फिर जम्मू पोस्टींग के दौैरान 15 साल फौज में पूरा होने पर वी.आर.एस. ले लिया । कांग्रेस के द्वारा सेना भगोड़ा का आरोप लगाए जाने पर सेना द्वारा 20 अगस्त 2011 को बेदाग एवं निष्ठा से सेवा करने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया । अन्ना जी ने रालेगण की तस्वीर बदलकर रख दी। अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनके पेंसन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं। हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को दिया जाने वाले भोजन स्वयं भी खाते हैं।
सन् 2000 में भी महाराष्ट्र में अन्ना हजारे की भूख हड़ताल के बाद ही सूचना का अधिकार अधिनीयम लागू किया गया। बाद में इसी के आधार पर केन्द्र सरकार ने अधिनीयम 2005 पास किया।
5 अप्रैल 2011 को अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के विरोध में पार्लियामेंट में जन-लोकपाल बिल पास कराने के लिए एक आंदोलन आमरण अनशन के रूप में दिल्ली के जंतर मंतर पर किये जिसमें भारत के कोने-कोने से काफी संख्या में जन समर्थन मिला।
सरकार के वादाखिलाफी से अन्ना ने फिर सरकार के खिलाफ मुहीम छेडऩे का ऐलान किया। 16 अगस्त 2011 को अनशन करने अनुमति न मिलने के बावजूद वे राजघाट में पुष्प अर्पित करने के बाद लोगों का आह्वान कर जे.पी. पार्क दिल्ली में पुन: अनशन करने की घोषणा किए। लेकिन 16 अगस्त के प्रात: 07:30 बजे ही उनको शांति भूषण (पूर्व कानून मंत्री) के फ्लैट नं.204 से गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। लेकिन इस घटना से क्षुब्ध देश करोड़ों समर्थकों ने तिहाड़ जेल के गेट पर ही ऐतिहासिक धरना पर बैठ गये। यह देख कांग्रेस की बैठक राहुल गांधी के अगुवायी में ली गयी और अन्ना को रिहा करने का ऐलान किया गया। बिना किसी शर्त अन्ना अनशन करने की मांग मनवाने के बाद वह तिसरे दिन रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गये। जीवन में दूसरों के लिए कुछ करने का जज्बा और आम जनता की लोकप्रियता हासिल करने के लिए गुरू और शुक्र का बली होना अत्यंतआवश्यक है। अन्ना जी की कुण्डली में सौम्य ग्रह शुक्र गुरू बुध केन्द्र और त्रिकोण स्थान बैठने से इन्हे यश कीर्ति नाम के साथ-साथ भरपूर प्यार भी मिल रहा है। अन्ना जी 1978 से 1998 तक शुक्र की महादशा में भाग्य स्थान में बैठे शुक्र 1986 में प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी जी के द्वारा इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र अर्वाड और 1989 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा कृषि भूषण अवार्ड, 1990 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री एवं 1992 में पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित कि ए गए। अब चन्द्र की महादशा सन् 2004 से शुरू हुई और 2008 मेंं इन्हे वल्र्ड बैंक ने जीव गिल मेमोरियल अवार्ड से नवाजा क्योंकि उन्होने अपने गांव को एक माडल गांव की तरह विकसित किया । चूंकि चन्द्र की महादशा 2014 तक चलेगी। दशमभाव में स्थित चन्द्रमा की महादशा अन्ना जी को एक बार फिर भ्रष्टाचार जैसे कीड़े से मुक्त करवाने में अहम भूमिका निभानेवाला जन लोकपाल बिल पास कराने के लिए सरकार को मजबूर कर देंगे।
- ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे
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