हे ! अ'ममता पागलपन छोड़ो, प.बंगाल में नफरत घोलने की बजाय, लोगों को आपस में जोड़ो.... नहीं तो गद्दी छोड़ो....
हे ! भगवान, ममता बनर्जी को सद्बुद्धी दें !
प.बंगाल में ममता द्वारा , 'इस वर्ष दुर्गा पूजा और मुहर्रम एक ही दिन पड़ रहा है। मोहर्रम के 24 घंटों को छोड़कर 2, 3 और 4 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन किया जा सकता है।' ऐसा ममता का तालिबानी आदेश बिल्कुल गलत है, क्योंकि 30 सितम्बर 2017 शनिवार को रात्रि 1:35 तक ही (उत्तराषाढा नक्षत्र के बाद श्रवण नक्षत्र हो जायेगा ) यानी 1अक्टूबर को एकादशी हो जायेगा उसके बाद 2 अक्टूबर से पंचक आरंभ हो जायेगा जिसमें मूर्ति विसर्जन वर्जित है ऐसे में, ममता बनर्जी के मुताबिक 30 सितम्बर को सायंकाल 5: 00 से 6:00 के बाद दुर्गा पंडालों की मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगाया जाना बिल्कुल गलत है, निन्दनीय है, गैर हिन्दुओं के तुष्टिकरण की गहरी व गंदी साजिश है ही प.बंगाल का निक्कमापन है, जो विजयादशमी और मोहर्रम दोनों एक साथ नहीं करा पा रही है ! जबकी कईयो बार भारत में विजयादशमी-मोहर्रम या ईद या अन्य हिन्दु-मुश्लिम त्योहार एक साथ निर्विवाद मनाया जा चुका है, एकाध अपवाद को छोड़ लगभग शांतिपूर्ण ढंग से दोनों समुदाय एक साथ अपने-अपने त्योहार मनाते आये हैं ! किन्तु ऐसी बेहुदगी प्रतिबंध लगाकर क्या जताना चाहती हो ममता बनर्जी ? इसके पिछे ममता बनर्जी की मनसा है हिन्दुओं को नीचा दिखाना एवं अल्पसंख्यक बनाम मुश्लिम तुष्टिकरण करके वोट अपनी झोली में डालने का कुत्सित प्रयास कर रहीं हैं ममता बनर्जी!
ममता तुम्हारी या तो बुद्धी भ्रष्ट हो गई है या पूरी तरह से विकृत हो चुकी है ! तुम्हारी यह तुष्टिकरण का राजनीतिक दंभ तुम्हारा सद्य: नाश कर देगा ! प.बंगाल को साम्प्रदायिक दंगल का अखाड़ा मत बनाओ ! राजधर्म का निर्वाह करो ! तुम्हारी औकात नहीं की तुम हिन्दुत्व-संस्कृति का दमन कर पाओगी !
हे ! अ'ममता पागलपन छोड़ो, प.बंगाल में नफरत घोलने की बजाय, लोगों को आपस में जोड़ो.... नहीं तो गद्दी छोड़ो....
- पण्डित विनोद चौबे, संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य''
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