ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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गुरुवार, 24 अगस्त 2017

कैसा लायें गणेश प्रतिमा ? गणेश मूर्ति विशेष आलेख

आज गणेश चतुर्थी (25/8/2017) के पावन अवसर पर आप सभी को अनंत. शुभकामनाएं, 

ऋग्वेद में वर्णित गणपति से लेकर भारतीय स्वतंत्रता में अहम भूमिका का निर्वाह करने वाले बाल गंगाधर तिलक जी के गणपति बप्पा मोरया.. तक के इस यात्रा ने धीरे-धीरे मिट्टी से पीओपी और झाल, मजीरा तथा नगाड़ों की थाप से डी.जे. का रुख अख्तियार कर चुकें है ! गौरतलब है कि हम अपनी परंपराओं से जैसे, जैसे विमुख हो रहे हैं वैसे , वैसे स्वयं को नष्ट करने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं ! पीओपी की बनी गणेश प्रतिमाएं पर्यावरण के खतरा हैं वहीं धर्मग्रंथों निषिद्ध हैं, नगाड़ों की थाप से प्रकृति में नवाचारी-प्राण का सञ्चार होता है वहीं डी.जे. ध्वनि प्रदुषण को जन्म देकर कई रोगों को प्रदान करते हैं ! कुल मिलाकर हमें वैदिक व्यवस्थाओं की अनुरुप  स्वयं को चलना चाहिये, ताकी देश, समाज तथा स्वयं का कल्याण हो सके ! तो आईये गणेश पूजन से संबंधित कुछ विशेष बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे.  http://ptvinodchoubey.blogspot.in/2017/08/blog-post_58.html?m=1

1-श्री गणेश की मूर्ति 1फुट से अधिक बड़ी (ऊंची) नहीं होना चाहिए.

2-एक व्यक्ति के द्वारा सहजता से उठाकर लाई जा सके ऐसी मूर्ति हो.

3-सिंहासन पर बैठी हुई, लोड पर टिकी हुई प्रतिमा सर्वोत्तम है

4-सांप,गरुड,मछली आदि पर आरूढ अथवा युद्ध करती हुई या चित्रविचित्र आकार प्रकार की प्रतिमा बिलकुल ना रखें.

5-शिवपार्वती की गोद में बैठे हुए गणेश जी कदापि ना लें. क्येंकि शिवपार्वती की पूजा लिंगस्वरूप में ही किये जाने का विधान है. शास्त्रों में शिवपार्वती की मूर्ति बनाना और उसे विसर्जित करना निषिद्ध है.

6-श्रीगणेश की मूर्ति की आंखों पर पट्टी बांधकर घरपर ना लाएं.

7-श्रीगणेश की जबतक विधिवत प्राणप्रतिष्ठा नहीं होती तब तक देवत्व नहीं आता. अत: विधिवत् प्राणप्रतिष्ठा करें.

8-परिवार मेंअथवा रिश्तेदारी में मृत्युशोक होने पर, सूतक में पडोसी या मित्रों द्वारा पूजा, नैवेद्य आदि कार्य करायें. विसर्जित करने की शीघ्रता ना करें.

9-श्रीगणेश की प्राणप्रतिष्ठा होने के बाद  घर में वादविवाद, झगड़ा, मद्यपान, मांसाहार आदि ना करें.

10-श्रीगणेशजी को ताजी सब्जीरोटी का भी प्रसाद नैवेद्य के रूप में चलता है केवल उसमें खट्टा, तीखा, मिर्चमसाले आदि ना हों.

11-दही+शक्कर+भात यह सर्वोत्तम नैवेद्य है.

12-विसर्जन के जलूस में झांज- मंजीरा,भजन आदि गाकर प्रभु को शांति पूर्वक विदा करें. डी. जे. पर जोर जोर से अश्लील नाच, गाने, होहल्ला करके विकृत हावभाव के साथ श्रीगणेश की बिदाई ना करें.

ध्यान रहे कि इस प्रकार के अश्लील गाने अन्यधर्मावलंबियों केउत्सवों  पर नहीं . ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे 9827198828

13-यदि ऊपर वर्णित बातों पर अमल करना संभव ना हो तो श्रीगणेश की स्थापना कर उस मूर्ति का अपमान ना करें.

अंत में-जो लोग 10दिनों तक गणेशाय की झांकी के सामने रहते हैं, अगर वो नहीं सुधर सकते, तो हम आप भीड़ में धक्के खाकर 2,4 सेकिंड का दर्शन कर सुघर जायेंगे???

कितने अंधेरे में हैं हम लोग.!!
इस अंधेरे में क्षणिक प्रकाश ढूंढने की अपेक्षा, घर में रखी हुई गणेशमूर्ति के सामने 1घंटे तक शांत बैठे. अपना आत्मनिरीक्षण करें, अच्छा व्यवहार करें.. घरपर ही गणेश आपपर कृपा बरसायेंगे.

श्रीगणेशजी एक ही हैं....
उनकी अलग अलग  कंपनियां नहीं होती... अपनी सोच अलग हो सकती है.
एकाग्रचित्त हों, शांति प्राप्त करें...
गणपति बप्पा मोरया.....

- Pandit Vinod Choubey, Astrologer & Editior -'Jyotish Ka Sura' in Bhilai, 9827198828

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