ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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बुधवार, 23 अगस्त 2017

अखण्ड सौभाग्य प्रदान करने वाले हरतालिका व्रत (तीजा) महापर्वशुभ मुहूर्त..


आप सभी माता एवं बहनों को मेरी ओर से यानी पण्डित विनोद चौबे 9827198828 की ओर से सादर प्रणाम एवं अभिवादन साथ ही अखण्ड सौभाग्य प्रदान करने वाले हरतालिका व्रत (तीजा) महापर्व पर अनंत शुभकामनाएं....प्रस्तुत है व्रत करने का शुभ मुहूर्त.....एवं संक्षिप्त व्रत विधान.....


 कल यानी 24 अगस्त 2017 को  तड़के सुबह  5:45 बजे से तीज लग जाएगी इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें, क्योंकी निर्जला उपवास रखा जाता है।   इस व्रत को मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिए लगातार तप किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।  

पूजा का शुभ मुहूर्त  
सुबह 05:45 से सुबह 08:18 बजे तक (प्रदोष काल में) सरगी के लिये 
शाम 6:30 बजे से रात 08:27 बजे तक  (प्रदोष काल में) पूजन हेतु 

हरितालिका तीज की पूजन सामग्री
गीली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल, अकांव का फूल, मंजरी, जनैव, वस्त्र व सभी प्रकार के फल एंव फूल पत्ते आदि। पार्वती मॉ के लिए सुहाग सामग्री-मेंहदी, चूड़ी, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध, शहद व गंगाजल पंचामृत के लिए।

हरितालिका तीज की विधि
हरितालिका तीज के दिन महिलायें निर्जला व्रत करते हुए भगवान शिव एवं पार्वती का बालू या मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को स्वच्छ करके तोरण-मंडप आदि सजाया जाता है। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती व उनकी सखी की आकृति बनायें। मैने एक फोटो में इस मूर्ति विग्रह को प्रस्तुत किया है कृपया उसे देखें...तत्पश्चात देवताओं का आवाहन कर षोडशेपचार पूजन करें। इस व्रत का पूजन पूरी रात्रि चलता है। प्रत्येक पहर में भगवान शंकर का पूजन व आरती होती है।

मां पार्वती को प्रसन्न करने के मन्त्र नीचे दिया गया है...
ऊं उमाये नमः। ऊं पार्वत्यै नमः। ऊं जगद्धात्रयै नमः। ऊं जगत्प्रतिष्ठायै नमः। ऊं शांतिरूपिण्यै नमः।

 भगवान शिव को प्रसन्न करने के मन्त्रः
ऊं शिवाये नमः। ऊं हराय नमः। ऊं महेश्वराय नमः। ऊं शम्भवे नमः। ऊं शूलपाणये नमः। ऊं पिनाकवृषे नमः। ऊं पिनाकवृषे नमः। ऊं पशुपतये नमः। 
सर्वप्रथम 'उमामहेश्वरायसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मन्त्र का संकल्प करके भवन को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्रित करें। हरतिालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। प्रदोष काल ( मैंने उपर मुहूर्त के बारे में बताया है) अर्थात् दिन-रात्रि मिलने का समय। संध्या के समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वला वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पार्वती तथा शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन करें। तत्पश्चात सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन सभी वस्तुओं को पार्वती जी को अर्पित करें। शिव जी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तत्पश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राहम्णी को तथा धोती-अंगोछा ब्राहम्ण को दान करें। इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन कर हरितालिका व्रत कथा सुनें।
 








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