ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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रविवार, 6 अगस्त 2017

आसुरी शक्तियों द्वारा निर्माणित चायनीज राखी का परित्याग करें वैदिक राखी अपनाएं...

आसुरी शक्तियों द्वारा निर्माणित चायनीज राखी का परित्याग करें वैदिक राखी अपनाएं...

रक्षाबंधन के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं..
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त :
दिन में 11 बजकर 8 मिनट से पूरा दिन रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है!

कैसे करें वैदिक राखी का निर्माण :
रक्षा सूत्र (मौली धागा) में या मांगलिक रंग के रेशमी वस्त्र में केसर, पीली सरसो, हरा दूब को बांधकर उसमें कुमकुम, चावल से परिपूरीत कर निर्माण कर लें और पूजा कक्ष में अपने अभिष्ट के पास रखें और विधिवत षोडसोपचार पूजन कर सर्वप्रथम पूरोहित के द्वारा विधिवत वैदिक मंत्र से राखी बंधवायें, तत्पश्चात् बहन अपने भाई को राखी बांधे ! इससे वर्ष पर्यन्त सुख, समृद्धि एवं किसी भी प्रकार की आने वाली आकस्मिक आपदाओं से सद्य: छुटकारा मिल जाता है ! मित्रों चायनीज राखियों का निर्माण आसुरी प्रवृत्ति पूर्ण राक्षसी शक्तियों द्वारा किया गया है उस राखी को बांधने का कोई औचित्य ही नहीं है, अत: उन चायनीज राखियों का परित्याग करें, यह मेरा ('ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे,9827198828, भिलाई) भावनात्मक करबद्ध अपील ही नहीं विनम्र निवेदन है, कि आप लोग स्व निर्मित वैदिक राखी को ही नीचे दिये गये वैदिक मंत्रों के साथ धारण करें !
रक्षाबंधन का वैदिक मंत्र :
ऊँ यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।

रक्षासूत्र का पौराणिक मंत्र है :

'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।

इसका अर्थ है- अर्थात् जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा| हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
मित्रों, वैदिक राखी से धर्मशास्त्रों के अनुरुप सभी शुभ फल की प्राप्ति सद्य: होगी ! वंदे मातरम् बोलते हुए देश की रक्षा करने वाले जवानों को एक राखी अवश्य प्रषित करें... वंदे मातरम् !
- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे,
संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई,  मोबाईल नं.9827198828

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