ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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मंगलवार, 29 अगस्त 2017

वेद के पोषक संतों की पवित्र ज्ञान-भूमि भारत को प्रणाम !!


ऋषियों की पवित्र धरती भारत को प्रणाम, प्रणाम उस मां भारती को जिसने ऋषि विश्वामित्र के शिष्य राम और संदिपनी ऋषि के शिष्य श्री कृष्ण को जन्म दिया ! राम ने पूरे विश्व को 'रामराज्य का संदेश' दिया तो वहीं कृष्ण ने 'श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश दिया' ! 

बात बहुत दु:खद है कि कथित व बलात्कारी असंतों के शिष्यों ने हरियाणा के पंचकुला में  हत्या, आगजनी, चरित्र हीनता, अशांति.. और ना जाने क्या क्या नीचताई का संदेश पूरे विश्व को देकर अपने विक्षिप्त व सनकी कथित गुरु रहीम और 'गॉड' भक्त गुरमीत राम रहीम को २० साल के लिये जेल भेजने का काम इन्ही व्यक्तिवादी भक्तों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया क्या ऐसे लोगों को आप शिष्य कहेंगे..? बिल्कुल नहीं यह शिष्य नहीं बल्कि 'फॉलोवर' कहा जाना ही न्यायसंगत होगा ! क्योंकि सनातनी इतिहास में तो शिष्यों ने अपने गुरु, माता-पिता, देश, एवं परिवार की प्रतिष्ठा बढाने का काम किया है ना की रहीम बाबा जैसा उनके शिष्यों द्वारा २० वर्ष की कैद दिलवाने का काम करते हैं ! हां मैने इसलिये यह सुनिश्चित करते चलुं की यह बाबा राम रहीम ना ही संत था, ना ही उनके शिष्य 'शिष्य' ये तो रहीम बाबा वहशी राक्षस था, विधर्मी था और इस व्यक्ति को मानने वाले केवल 'फॉलोवर' ही हो सकते हैं 'शिष्य' नहीं ! हमारे धर्मग्रंथों में 'व्यक्तिवादी' या 'व्यक्ति-भक्ति' को वर्जित किया गया है, लेकिन शॉर्टकट में अमीर बनने की चाहत ही ऐसे कथित बाबाओं को 'ढोंगी व समृद्ध और शोहरत वाला बाबा'' बनाने में सहयोग देते हैं ! ऐसे भोले भाले लोगों के नब्ज पकड़कर इनको बतौर सुरक्षा कवच इस्तेमाल ये बाबा करते हैं, जैसा कि पूर्व के हिन्दुत्व विरोधी कुछ कथित बाबाओं ने किया !

क्योंकि उसके जो परिणाम दिखे उससे  साफ है कुलीन व शास्त्र प्रबुद्ध ऋषि परम्पराओं के शिष्य अपने गुरुजन की ख्याति बढाने का काम करते हैं जैसा की राम ने गुरु वशिष्ठ एवं विश्वामित्र की रामराज्य स्थापना करके ख्याति बढ़ाई तो अर्जुन को महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देकर अपने गुरु संदीपनी का मान बढाया ! स्वामी विवेकानंद जी ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस का मान बढ़ाया, इसी प्रकार इस पवित्र की पहचान गोस्वामी तुलसीदास, कबीरदास,सूरदास, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, आदि शंकराचार्य,  स्वामी नरहर्यादास,  सहित हजारों हजार ऋषियों की वैदिक अवधानों से भारत पूरे विश्व में प्रतिष्ठित है ! ना की आशाराम, निर्मल बाबा, राधे मां ,  गुरमीत सिंह बाबा रहीम जैसे कथित विधर्मियों की वजह से !

हो सकता है कुछ अन्ध भक्त मेरे इस लेख से सहमत ना भी हों, परन्तु मेरा आपसे अनुरोध है कृपया वैदिक परम्परां के संतो के प्रति आप आस्थावान बनिए ! वेद और आध्यात्मिक पवित्र की ज्ञान-भूमि भारत को ऐसे कृत्रिम तलैया में स्वीमिंग करने वाले कथित संतों से भवसागर पार करने की भ्रांति ना पालें ! व्यक्ति-भक्ति  नहीं 'वेद-भक्ति करें ! यदि आप संकल्प लेंगे तो ऐसे कथित बाबा कभी जन्म हीं लेंगे ! सबसे बड़ा गार्हस्थ्य आश्रम है, आप किसी परम्परागत गुरु से शिक्षा व आध्यात्मिक दीक्षा लेकर वेद से वेदांत की यात्रा करें और 'आत्मा परमात्मा चेति' को सिद्ध करें !

- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे,

संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' भिलाई

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