ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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मंगलवार, 22 अगस्त 2017

ऊँ गणानां त्वा गणपतिं... 25 अगस्त शुभ मुहूर्त में करें गणेश स्थापना व पूजन ..(शोधपूर्ण आलेख अवश्य पढ़ें)

25 अगस्त को होगी पंडालों में गणेश-प्रतिमाओं का अनावरण.... ऊँ गणानां त्वा गणपतिं... 25 अगस्त शुभ मुहूर्त में करें गणेश स्थापना व पूजन ..(शोधपूर्ण आलेख अवश्य पढ़ें, शुभ मुहूर्त की पूर्ण जानकारी)

गणेश शब्द की व्युत्पत्ति हुई है गणानां जीवजातानां यः ईशः स्वामी सः गणेशः से। अर्थात,जो समस्त जीव जाति के ईश-स्वामी हैं वह गणेश हैं। इनकी पूजा से सभी विघ्न नष्ट होते हैं।

आईये वेदों में गणेश जी को समझने का प्रयास करते हैं ...

क्या पौराणिक 'गणपति' और 'पूज्य गणपति' में क्या अन्तर है..? क्या ये दोनों गणेश विग्रह अलग अलग हैं ? इस हम समझने का प्रयास कर रहे हैं.....संस्कृत विद्वद्जनेषु द्वारा ज्ञातुम शक्नोमि स्म.... अहो 'अन्तर्नाद व्हाट्सएप 9827198828 ग्रुप' समूहस्य जना: श्रुयताम्....
" गणानां त्वा गनपतिं हवामहे...."(२\२३\१) एवं "विषु सीदा गणपतेः"(१०\११२\९) गणपतेः धारणां जनयन्ति। यद्यपि पौराणिकगणेशस्य वर्तमाने पूज्यमानस्य गणेशस्य च भेदाः सन्ति तथापि नैके विशारदाः मन्यन्ते यत्-"गणपति-ब्रह्मणस्पति"-तः एव "गजवदन-गणेश-विघ्नेश्वर"स्य धारणा विवर्तितास्ति।(Hindu Gods and Goddesses, Swami Harshananda, Sri Ramakrishna Math, Chennai, 1981, p.125)

ऋग्वेदकालिकस्य गणपतेः वृहस्पतिः, वाचस्पतिः इति च अपरनाम आसीत्। गणेशः सर्वदा नृत्यसंगीतकारीसमूहे (यच्च 'गणः’ इत्युच्यते) विराजमानः भवति । तथा देवतानां रक्षकरूपेणैव कल्पितः आसीत्।(Hindu Gods and Goddesses, Swami Harshananda, Sri Ramakrishna Math, Chennai, 1981, p. 125-27)

भिन्नमतानुसारेण, भारतवर्षस्य आदिवासीजनैः पूजिता हस्तिदेवता एवञ्च लम्बोदरयक्षस्य कल्पनायाः मिश्रणेन एव गणेशस्य उद्भवः जातः । इति 'गणपति' 'ब्राह्मणस्पति:' द्वौ विग्रह: संयोज्य भवताम् समक्ष प्रस्तुत कर्तुमीति च!

(उपरोक्त संदर्भ को संस्कृत में रखने का प्रयास किया हुं, उम्मीद है कुछ त्रुटियां सम्भावित है परन्तु हमने पूरी कोशीश की है की शुद्ध, सिद्ध एवं शोधपूर्ण हो सके)

 गणेश जन्म की कई कथायें हैं, हर युग में अलग अलग अवतार की बात कही गई है ! मैं उस मत-मतांतर में नहीं जाना चाहता लेकिन मां पार्वती ने अपनी शरीर में लगाई उवटन के झल्लियों (मैल) से एक पुतले का निर्माण कर उसमें प्राण का समावेश किया और उसे द्वार पर बैठाकर स्वयं स्नानागार में स्नान करने चलीं गईं, और मां पार्वती ने कहा था उस बालक से तुम किसी को अन्दर प्रविष्ट मत होने देना. उसी समय शिव जी का आगमन होता है और वे अन्दर जाने का हठ करते हैं, वह बालक उनसे युद्ध करने की चुनौति देता है, और कहता है मां का आदेश है मैं आपको घर के अन्दर प्रवेश नहीं करने दूंगा ! उसी युद्ध में भगवान शिव ने उस बालक का सर धड़ से अलग कर दिया.. बाद में उसी बालक के धड़ पर पुन: हाथी के सर को जोड़ा गया ! वही बालक गणेश हुए ! अब इसी क्रम को  आगे बढाते हुए...*अन्तर्नाद* व्हाट्सएप ग्रुप के साथियों... गणेश जी प्रथम पूज्य गणेश की आराधना सनातनी-संस्कारों, मांगलिक कार्यों सहित कामनापरक हो या निष्काम अनुष्ठानादिक यज्ञ सभी उत्सवों, महोत्सवों में प्रथम पूजन व अर्चन गणेश जी की होती है ! इसके पिछे एक पौराणिक प्रसंग है ! एक बार पूरे ब्रह्माण्ड का परिक्रमा करने की बात भगवान शिव ने कही, साथ में शर्त थी स्कन्द और गणेश दोनों मे प्रथम परिक्रमा जो लगाकर आयेगा उसका विवाह ऋद्धि- सिद्धी से होगा ! मयूर वाहन पर सवार होकर षडानन कार्तिकेय स्कन्द ब्रह्माण्ड परिक्रमा करने निकल पड़े, वहीं गणेश जी मूषक वाहन पर सवार होकर कैलाश पर्वत पर बैठे अपने माता-पिता का परिक्रमा कर गणेश जी ने कहा पूरे ब्रह्माण्ड में सर्वाधिक पूज्य माता-पिता हैं ! यह देख प्रशन्न होकर भगवान शिव ने गणेश को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया ! कुल मिलाकर 'मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव:' की परिकल्पना केवल भारतीय संस्कृति के सनातन-संविधान-सूत्र ग्रंथो में ही की गई है ! 

गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतर्दर्शी तक यानी दस दिनों तक चलती है। इस बार ये 11 दिन चलेगी।

 वरद गणेश चतुर्थी  24/8/2017 को रात्रि 9:15 बजे आरंभ होकर 

चतुर्थी तिथि समाप्ति = 25 / अगस्त / 2017 बजे 9:22 बजे 09:01

गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:

*गणेश प्रतिमा स्थापन का विशेष मुहूर्त*

11:00 से 13:30 अवधि = 2 घंटे 30 मिनट !

(धर्म शास्त्रों में 'तजऊ चौथि चंद की नाईं' यानी भाद्रपद सुदी गणेश चौथ को चन्द्र दर्शन वर्जित है, इससे प्रसेनजीत के स्यमन्तक मणी एवं श्रीकृष्ण से जुड़ी कथा है स्यमन्तक मणी के चोरी करने का कृष्ण पर कलंक लगा था ! - ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, 9827198828)

वर्जित चन्द्र दर्शन का समय = 24/8/2017 को रात्रि  8:27 बजे से  8:35 तक यानी केवल 8 मिनट तक ही चन्द्र दर्शन वर्जित है !

वर्जित चन्द्र दर्शन का समय :

25/8/2017 को  प्रात: 0 9: 01 से रात्रि 09 :15 अवधि = 12 घंटे 13 मिनट तक चन्द्र दर्शन वर्जित है !

दिन की चौघड़िया मुहूर्त :

चर     09:31:19 - 11:06:19
लाभ     11:06:19 - 12:41:19
अमृत     12:41:19 - 14:16:20
शुभ       15:51:20 - 17:26:20

रात की चौघड़िया मुहूर्त:

लाभ     20:26:20 - 21:51:20
शुभ     23:16:20 - 24:41:19

25 / 8/ 2017 को गणेश प्रतिमा की स्थापना होगी और 11 वें दिन (अनंत चतुर्दशी) गणेश विसर्जन 5 सितंबर, 2017 को होगा।
कुछ लोग गणेश चतुर्थी के अगले दिन गणेश विसर्जन करते हैं, हालांकि कुछ लोग गणेश चतुर्थी के बाद 3, 5, 7, 10 वें और 11 वें दिन पर गणेश विसर्जन करते हैं।
 विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||

-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे,
''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका 9827198828

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