ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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रविवार, 12 नवंबर 2017

आसमान में होगी खूबसूरत खगोलीय घटना, शुक्र व गुरु के मिलन का होगा दीदार

आसमान में होगी खूबसूरत खगोलीय घटना, शुक्र व गुरु के मिलन का होगा दीदार

आज सोमवार की सुबह आसमान में खुबसूरत खगोलीय घटना होने जा रही है। इस घटना में हमारे सौर परिवार के दो खूबसूरत ग्रह शुक्र व बृहस्पति इतने करीब होंगे कि एक दूसरे को स्पर्श करते महसूस होंगे। इस दौरान इन दोनों के बीच की दूरी करीब आधा डिग्री रह जाएगी। पूर्व दिशा में सूर्योदय से लगभग एक घंटा पहले क्षितिज से कुछ ही ऊपर देखा जा सकेगा।

भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलूरू के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक प्रो. आर. सी. कपूर के अनुसार यह दोनों ग्रह हमारे सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह हैं। जिन्हें आसमान में चमक बिखेरते नग्न आंखो से आसानी से देखा जा सकता है। जिस कारण यह दोनों ग्रह वैज्ञानिकों समेत खगोल प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।
13 नवंबर को अपनी कक्षा में सफर करते हुए एक दूसरे के बेहद करीब पहुंच रहे हैं। जब यह दोनों सर्वाधिक नजदीक होंगे तो इनके बीच की आभाषीय दूरी आधा डिग्री से भी कम रह जाएगी। इस दुर्लभ संयोग को पूर्व के आसमान में क्षितिज से 12 डिग्री उपर देखा जा सकेगा। भोर होने से लगभग एक घंटा पहले यह दोनों ग्रह उदय होंगे और सूर्योदय होने के बाद नजरों से ओझल हो जाएंगे। इस खगोलीय घटना को वैज्ञानिक भाषा में कंजक्शन यानि अच्छादन नाम दिया गया हैं।
भले ही इस खगोलीय घटना में यह दोनों ग्रह धरतीवासियों को एक दूसरे को स्पर्श करते नजर आएंगे, लेकिन हकीकत में इनके बीच दूरी करोड़ो किलोमीटर होगी। धरती से शुक्र की दूरी 1.64 एयू यानी खगोलीय इकाई होगी, जबकि बृहस्पति 6.4 एयू की दूरी पर होगा। एक खगोलीय इकाई में 14 करोड़ 95 लाख 97 हजार 871 किमी होते हैं। इतनी दूरी तय करने में सूर्य से प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8.3 मिनट का समय लगता है।
यह भी जान लें कि भले ही शुक्र देखने में बेहद चमकीला नजर आता हो, लेकिन वास्तव में यह हमारे सौर मंडल का सर्वाधिक गर्म ग्रह है। यह कई गैसों से ढका रहता है और इस ग्रह में तेजाबी वर्षा होती है। जिस कारण यह अधिक  चमकदार नजर आता है। कहा जाता है कि शुक्र कभी पृथ्वी के समान ही ग्रह था। वैज्ञानिक आशंका जताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण इसका वातावरण बेहद गरम हो गया। वहीं बृहस्पति हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा गैसीय ग्रह है।
!!साभार, आदरणीय श्री नाग बाबा जोशी!!

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