!! 'कालाधन विरोध दिवस' बनाम 'काला दिवस' है सियासत मौकापरस्ती का !!
नोटबंदी पर हाय तौबा मचाने वालों में उन लोगों की भींड़ तो कहीं नहीं दीख रही, जो नोटबंदी के दौरान एटीएम में लाईन लगाये खड़े थे ! मतलब साफ है, आज भी समर्थन निवर्तमान सरकार के पक्ष में ही जाता दीख रहा है ! और रहा सवाल जीएसटी का तो यह कोई वज्रपात नहीं है, क्योंकि आम लोगों को जीएसटी से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकी उनकी सोच कभी 'कच्चे बिल, पक्के बिल' रही ही नहीं है ! बल्कि एक आम नागरिक के द्वारा दिये गये 'कर' की ही चोरी कर उनका शोषण इन ''कच्चे,पक्के बिल धारी'' लोगों द्वारा किया जाता था ! ऐसे में अब केवल ''पक्के बिल मे ही काम करने की मानसिकता बनायें, और मौकारस्ती नियत, नीतियों को खत्म कर मोदी के नेतृत्व में 'नयी सोच, युवा सोच और नव भारत का निर्माण करें !! वंदे मातरम !!
- पण्डित विनोद चौबे,,
संपादक 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई
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