" वैदिक संस्कृति में वर्णित कई ऐसे प्रसंग है जो आज की आधुनिक संस्कृति के वैज्ञानिकों के लिये चुनौती बना हुआ हैं !"
मैं कल एक मांगलिक कार्यक्रम से दोपहर 3 बजे अपने निवास शांतिनगर, भिलाई स्थित कार्यालय पहुंचा ! वैसे भी 17/12/2017 को आयोजित होने वाले 'धर्म-संस्कृति अलंकरण समारोह' की तैयारी को लेकर थोड़ी व्यस्तता अवश्य है पर कभी कभी कुछ विषय होते हैं जिनपर चर्चा होती है तो कुछ ऐसा 'प्रसंग बन जाता है, जिसे आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिये बाध्य हो जाता हुं' ! देखिए ना कल मुझसे एक सज्जन से *वैदिक-वास्तु* के कुछ उद्धरणों को लेकर विस्तृत चर्चा हुई थी ! कुछ विषयों को लेकर मेरा मन वैदिक-भौगोलिक एवं ज्योतिष-खगोलिक ज्ञान सागर में गोता लगा रहा था, उसी समय अचानक मेरा ध्यान *मठाम्नाय (महाअनुशासनम्)* नामक शंकराचार्य जी द्वारा वर्णित पीठाचार्य के अधिकार क्षेत्र के भौगोलिक- क्षेत्र वर्णन पर गया और प्रसंग मिला 'जय और विजय' के राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का, मुझे बेहद आश्चर्य हुआ की आस्ट्रेलिया के उस टापू पर जिसे 'जय और विजय' के राज्य की राजधानी 'वामन' नामक टापू आज भी आधुनिक खोजकर्ताओं की पहुंच से कोषों दूर है, और चुनौति भी ! इस क्षेत्र का आँखो देखा हाल परिमाप सहित प्रस्तुत है श्री आदि शंकराचार्य जी के पीठों के अधिकार क्षेत्र में ! आस्ट्रेलिया के उत्तर में और फिलिपींस के दक्षिण-पूर्व में विद्यमान पापुआ द्वीप पर एक राज्य है जिसका नाम है - "जय-विजय," जिसकी राजधानी का नाम है - "वामन" - आश्चर्य है कि प्राचीन काल में भारतीय वैदिक संस्कृति कैसे इन सुदूर टापुओं तक पहुंची होगी, जिन टापुओं पर आज तक आधुनिक संस्कृति भी नहीं पहुंची है।
संदर्भ- मठाम्नाय (महाअनुशासनम्)
- आचार्य पण्डित विनोद चौबे, (ज्योतिष, वास्तु एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ) भिलाई मोबाईल नं.9827198828
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