ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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मंगलवार, 28 जून 2011

पाई की जगह लेगा ‘टाउ’! क्या है पाई का इतिहास



पाई की जगह लेगा ‘टाउ’! क्या है पाई का इतिहास
गणितीय ‘पाई’ के दिन पूरे हो गए लगते हैं। दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण संख्या की जगह गणितज्ञ अब उसके विकल्प ‘टाउ’ के प्रचार में लगे हैं।
डेली मेल की खबर में बताया गया कि गणितज्ञों का दावा है कि वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात के लिए होने वाला स्थिरांक गलत है और उसकी जगह टाउ का इस्तेमाल होना चाहिए।
द टाइम्स अखबार के मुताबिक, पाई का अंकीय मूल्य 3.14159265 होता है जोकि गलत नहीं है लेकिन वृत्त के गुणों के साथ इसे जोड़ना गलत है। उन्होंने इसके लिए टाउ सुझाया है जिसका मूल्य पाई का दोगुना यानी 6.28 है।
 पांच हजार अरब अंकों तक पाई का मान निकाला
लंदन। जापान के एक इंजीनियर ने पाई का पूर्ण मान निकालने की लगातार 90 दिनों तक जी तो़ड मेहनत की लेकिन पाई की गणना खत्म नहीं हुई। इस दौरान उसने दशमलव के बाद पांच हजार अरब अंकों तक पाई का मान निकाला। खाद्य प्रसंस्करण कंपनी में सिस्टम इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे 55 वर्षीय शिगेरू कोंडो ने अपनी इस गणना से 2700 अरब अंकों तक पाई का मान निकालने के पिछले साल बनाए गए एक रिकॉर्ड को तो़ड दिया है। ज्यामिती में किसी वृत्त की परिधि की लंबाई और व्यास की लंबाई के अनुपात को पाई कहा जाता है। प्रत्येक वृत्त में यह अनुपात 3.141 होता है लेकिन दशमलव के बाद की पूरी संख्या का अब तक आंकलन नहीं किया जा सका है इसलिए इसे अनंत माना जाता है।

स्थानीय समाचार पत्र "डेली टेलीग्राफ" ने "क्योडो समाचार एजेंसी" के हवाले से कहा कि कोंडो को पचास खरब अंकों तक पाई के मान की गणना करने में 90 दिन और सात घंटे लगे। कोंडो ने इस गणना के लिए 11,550 पाउंड की लागत से खुद के बनाए कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया इस कंप्यूटर की मेमोरी क्षमता उन्होंने 32 टेराबाइट तक बढ़ाई। कोंडो ने कहा कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम के दौरान कम्प्यूटर की सुरक्षा की पूरी तैयारी कर रखी थी लेकिन एक बार उन्हें बाधा झेलनी प़डी जब उनकी बेटी के हेयर ड्रायर चालू करने पर बिजली आपूर्ति बंद हो गई और 10 मिनिट के पावर बैकअप के जरिए उन्हें प्रोजेक्ट सुरक्षित करना प़डा। कोंडो ने अब पाई का मान एक लाख अरब अंकों तक निकालने का लक्ष्य रखा है।
क्या शानदार संख्या है पाई
दसवीं तक गणित पढ़े हर किसी शख़्स ने कभी न कभी पाई का इस्तेमाल करते हुए वृत्तों का क्षेत्रफल इत्यादि निकालने का काम किया होगा. वही पाई आर स्क्वायर वाले फ़ॉर्मूले से. पाई यानी २२/७ एक विकट संख्या है. गणित, विज्ञान और अभियांत्रिकी के कई महत्वपूर्ण फ़ॉर्मूले इस पर आधारित हैं.

पाई को दशमलव में तब्दील करने पर गणित पढ़ाने वाले गुरुवर एक ग़ज़ब बात बताया करते थे.

π = २२/७ = ३.१४१५९२६५३५८९७९३२३८४६२६४३३.........

यह दशमलव अनन्त तक खींचा जा सकता है और इसके अंक किसी भी नियमित पैटर्न को फ़ॉलो नहीं करते.

क्या पाई कविता का विषय बनाया जा सकता है? हां, अगर शिम्बोर्स्का चाहें तो वे कुछ भी कर सकती हैं:

पाई

क्या शानदार संख्या है पाई:
तीन दशमलव एक चार एक.
आगे के सारे अंक भी शुरुआती हैं
पांच दो नौ क्योंकि कभी खत्म नहीं होना इस संख्या को
एक निगाह में नहीं समझ सकते इसे आप छः पांच तीन पांच
न गणना से आठ नौ
न कल्पना से सात नौ
न तर्कशास्त्र से तीन दो तीन आठ या तुलना से
चार छः या दुनिया की किसी भी चीज़ से
दो छः चार तीन

करीब चालीस फ़ीट के बाद दुनिया का सबसे बड़ा सांप
इस से हार मान लेता है.
इसी तरह किया करते हैं गाथाओं में आने वाले सांप -
अलबत्ता वे थोड़ा ज़्यादा देर तक ठहर पाते होंगे
पाई संख्या बनाने वाले अंकों का नृत्य
पृष्ठ के कोने पर पहुंच कर भी नहीं थमता
वह मेज़ से होता, हवा से गुज़रता हुआ
दीवार पर से, एक पत्ती, चिड़िया के घोंसले और बादलों से होता
सीधा आसमान में जा पहुंचता है
तमाम अतल स्वर्गों से गुज़र कर.
ओह, कितनी छोटी होती है पुच्छलतारे की पूंछ -
किसी चूहे या सूअर की पूंछ जितनी
कितनी कमज़ोर होती है एक तारे की किरण
जो शून्य में टकराते ही मुड़ जाती है!
जबकि यहां हमारे पास हैं - दो तीन पन्द्रह तीन सौ उन्नीस
मेरा फ़ोन नम्बर
तुम्हारी कमीज़ का साइज़
साल
उन्नीस सौ तिहत्तर और छ्ठी मंज़िल
लोगों की संख्या पैंसठ सैंट
कूल्हों की नाप, दो उंगलियां
एक गीत के बोल
एक कोड जिसमें हमें मिलते हैं "तुम्हारा स्वागत ओ फ़रिश्ते"
"चिड़िया तुम कभी नहीं थीं"
और इनकी बग़ल में "देवियो और सजानो, डरने की ज़रूरत नहीं"
और साथ ही "धरती और स्वर्ग दोनों ही गुज़र जाएंगे"
लेकिन पाई नहीं गुज़रेगी.
ना जी, कोई मतलब ही नहीं होता.
वह बनाए रखती है अपने उल्लेखनीय पांच को
अपने ख़ास आठ को
जो दूर रखता है आख़िरी सात को
कोहनी मारता
जारी रखता हुआ
एक अलसाई अनन्तता को.


यूँ तो इस अनुपात की आवश्यकता और इससे संबंधित शोध तो काफी पूर्व से होते आ रहे थे किन्तु इसके इस चिह्न (π) का प्रयोग सर्वप्रथम 1706 में विलियम जोन्स द्वारा किया गया, लेकिन इसे लोकप्रियता 1737 में स्विस गणितज्ञ लियोनार्ड यूलर द्वारा प्रयोग में लाना आरंभ करने के बाद मिली.
‘पाई दिवस’ का विचार सर्वप्रथम 1989 में लैरी शौ (Larry Shaw ) द्वारा प्रतिपादित किया गया.
2009 के पाई दिवस पर यू. एस. हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स ने इस तिथी को ‘राष्ट्रीय पाई दिवस’ के रूप में स्वीकार किया.
2010 में गूगल ने इस तिथी पर वृत्त और पाई के चिह्नों को प्रदर्शित करता एक डूडल अपने होम पेज पर प्रस्तुत कर इस आयोजन में अपनी स्वीकृति और भागीदारी भी सुनिश्चित कर दी.
इस तिथी के समीपवर्ती एक और तिथी है 22 जुलाई या 22/7 जो कि ‘पाई एप्रोक्सिमेशन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है जो कि फ्रैक्शन पद्धति में पाई के मान के सदृश्य ही है.
गणित के रोचक तत्वों की श्रृंखला में ‘पाई मिनट’ को भी शामिल कर लिया जाता है जब 14 मार्च को 1:59:26 AM / PM पर पाई के सात दशमलवीय मान प्राप्त हो जाते हैं यानि 3.1415926.
समस्त विश्व में इस अवसर पर पाई के प्रयोग, महत्त्व आदि पर चर्चा - परिचर्चा का आयोजन करने की परंपरा स्थापित होती जा रही है. 
तो आइये हम भी के स्वागत करें गणित के इस महत्वपूर्ण और रोचक सहचर को समर्पित इस तिथी का.

[जबकि संयोग से आज प्रख्यात भौतिकविद और चिन्तक अलबर्ट आइंस्टाइन का जन्मदिवस (14 मार्च 1879 – 18 अप्रैल 1955) भी है. जिस परमाणु उर्जा के रचनात्मक उपयोग का उन्होंने स्वप्न देखा था, आज के परिदृश्य में उससे जुड़ी विनाशकारी संभावनाओं को देखते हुए उनकी मनःस्थिति की हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं. विज्ञान की उस महान विभूति को नमन.]
 
स्वागत पाई (π) दिवस का
आज मार्च 14 है, 3/14. अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें भला ऐसी क्या खास बात है जो मैं इस तिथी  पर इतना जोर दे रहा हूँ. अजी बिलकुल खास है यह तारिख विशेषकर गणितप्रेमियों के लिए, क्योंकि आज की यह विशिष्ट तिथी प्रतिनिधित्व करती है गणित के एक विशेष चिह्न π (3.14) का. π जो कि अनुपात प्रदर्शित करता है वृत्त की परिधि और इसके व्यास का.

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