प्रायः समापन्न विपत्ती काले धीयःअपि पुंसाम् मलिनी भवन्ती ।।-
ज्योतिषाचार्यः पं.विनोद चौबे (सम्पादक, ज्योतिष का सूर्य हिन्दी मासिक पत्रिका,भिलाई) ठीक ही कहा गया है...
असम्भवम् हेम मृगस्य जन्म तथापि रामो लुलुभे मृगाय ।
प्रायः समापन्न विपत्ती काले धीयःअपि पुंसाम् मलिनी भवन्ती ।।
भगवान राम जानते ते की सोने का मृग नहीं होता , बावजूद बी सीता के कहने पर कि सोने का मृग-चर्म चाहिए , यह सुनकर राम उस मृग का शिकार करने चले जाते हैं। अतएव प्रायः एेसा देखा गया है कि आपत्ती काल में मनुष्य की बुद्धी मलीन हो जाती है।।
ठीक उसी प्रकार कान्ग्रेस की बुद्धी भ्रष्ट हो गयी है। और बार-बार आम नागरिकों की आवाज को येन-केन प्रकारेण दबाने का काम कर रही है, लेकिन जनता उनको सबक जरूर सिखायेगी क्योंकि भारत की जनता अब जागरूक हो गयी है।
लोकपाल बिल पर सरकार और टीम अन्ना हजारे के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। अन्ना हजारे ने सरकार पर लोगों के साथ छल करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि वे 16 अगस्त से फिर से अनशन शुरू कर देंगे। इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि अनशन के जरिए बिल नहीं बनाया जा सकता। अनशन की धमकी से नहीं डरने का संकेत देते हुए सरकार ने कहा कि धमकी और संवाद दोनों साथ नहीं चल सकते। सरकार ने आरोप लगाया कि सिविल सोसायटी लोकपाल बिल पर गंभीर नहीं है। संसदीय लोकतंत्र में निर्वाचित संस्थाओं की अवहेलना करने का मतलब अराजकता का माहौल बनाना है।
सरकार के तेवरों से साफ है कि इस दफा वह अन्ना को अनशन पर नहीं बैठने देगी। 30 जून तक हर हाल में लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने का एलान करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में बहस और वार्तालाप से कानून बनते हैं, न कि अनशन से।
लोकपाल बिल पर संयुक्त मसौदा समिति सरकार के गले की फांस बन गई है। इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ बात करने के अलावा कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह से भी चर्चा की। महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार के रुख से मीडिया को अवगत कराने के लिए गठित मंत्री समूह ने भी बैठक की।
बाद में संयुक्त मसौदा समिति मे शामिल मंत्रियों पी. चिदंबरम, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 30 जून तक एक सख्त और कारगर लोकपाल बिल का मसौदा तैयार कर लिया जाएगा। हम सिविल सोसायटी से बातचीत जारी रखेंगे। अगर अगली बैठकों 20 और 21 जून तक कोई सहमति नहीं हुई तो कैबिनेट को सहमत और असहमत दोनों मुद्दों पर अलग-अलग नोट भेजे जा सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि असहमति का मतलब संवाद खत्म करके अनशन करना नहीं है। सिब्बल ने कहा कि कई बार हम मंत्रियों के बीच भी कई मुद्दों पर सहमति नहीं होती है। लेकिन इसकी वजह से कामकाज नहीं रोका जा सकता। सरकार की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया कि कैबिनेट को बिल के दो मसौदे नहीं भेजे जाएंगे, बल्कि दो अलग रायें भेजी जा सकती हैं। सिविल सोसायटी के लोकपाल पर टिप्पणी करते हुए सिब्बल ने कहा कि हम सरकार के समानांतर कोई नया ढांचा खड़ा नहीं कर सकते। राजनीतिक प्रक्रिया का सम्मान करना होगा। न्यायपालिका लोकपाल के आधीन होने से संविधान के मूल ढांचे में ही गड़बड़ी पैदा हो जाएगी।
लोकपाल पर सरकार और कांग्रेस ने जनता के बीच जाने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस इस महीने एक देशव्यापी अभियान चलाकर लोगों को बता रहा है कि अन्ना और बाबा रामदेव के पीछे संघ परिवार है। इनकी असली मंशा लोकपाल या भ्रष्टाचार से लड़ना नहीं है , बल्कि सरकार और देश को अस्थिर करना है। सात साल के यूपीए के शासन काल में कांग्रेस और सरकार पहली बार राजनीतिक रूप लाचार दिख रही हैं। इस हताशा में कांग्रेस और सरकार एक दूसरे पर गलतियों की जिम्मेदारियां भी मढ़ने लगीं हैं।
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