ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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मंगलवार, 21 जून 2011

आखिरकार कब लगेगी नौकरी या नौकरी योग है ही नहीं....

 आखिरकार कब  लगेगी नौकरी या नौकरी योग है ही नहीं....
नौकरी का कारक ग्रह वैसे तो शनि होता है । लेकिन जन्म कुन्डली में अगर शनि नीच का है तो नौकरी करवायेगा,और शनि अगर उच्च का है तो नौकरों से काम करवायेगा। तुला का शनि उच्च का होता है और मेष का शनि नीच का होता है। मेष राशि से जैसे जैसे शनि तुला राशि की तरफ़ बढता जाता है उच्चता की ओर अग्रसर होता जाता है,और तुला राशि से शनि जैसे जैसे आगे जाता है नीच की तरफ़ बढता जाता है,अपनी अपनी कुन्डली में देख कर पता किया जा सकता है कि शनि की स्थिति कहां पर है। और जिस स्थान पर शनि होता है उस स्थान के साथ शनि अपने से तीसरे स्थान पर,सातवें स्थान पर और दसवें स्थान पर अपना पूरा असर देता है। इसके साथ ही शनि पर राहु केतु मन्गल अगर असर दे रहे है तो शनि के अन्दर इन ग्रहों का भी असर शुरु हो जाता है,मतलब जैसे शनि नौकरी का मालिक है,और शनि वृष राशि का है,वृष राशि धन की राशि है और भौतिक सामान की राशि है,वृष राशि से अपनी खुद की पारिवारिक स्थिति का पता किया जाता है। वृष राशि में शनि नीच का होगा लेकिन उच्चता की तरफ़ बढता हुआ होगा,इसके प्रभाव से जातक धन और भौतिक सामान के संस्थान के प्रति काम करने के लिये उत्सुक रहेगा,इसके साथ ही शनि की तीसरी निगाह कर्क राशि पर होगी,कर्क राशि चन्द्रमा की राशि है,और कर्क राशि के लिये माता मन मकान पानी पानी वाली वस्तुयें चांदी चावल जनता और वाहन आदि के बारे में जाना जाता है,तो जातक का ध्यान काम करने के प्रति भौतिक साधनों तथा धन के लिये इन क्षेत्रों में सबसे पहले ध्यान जायेगा। उसके बाद शनि की सातवीं निगाह वृश्चिक राशि पर होगी,यह भी जल की राशि है और मंगल इसका स्वामी है। यह मृत्यु के बाद प्राप्त धन की राशि है,जो सम्पत्ति मौत के बाद प्राप्त होती है उसके बारे में इसी राशि से जाना जाता है। किसी की सम्पत्ति को बेचकर उसके बीच से प्राप्त किये जाने वाले कमीशन की राशि है,तो जातक जब नौकरी करेगा तो उसका ध्यान इन कामों की तरफ़ भी जायेगा। इसके बाद शनि का असर दसवें स्थान में जायेगा,वृष राशि से दसवीं राशि कुम्भ राशि है,इसका मालिक शनि ही है और अधिकतर मामलों में इसे यूरेनस की राशि भी कहा जाता है। कुम्भ राशि को मित्रों की राशि और बडे भाई की राशि कहा जाता है,जातक का ध्यान उपरोक्त कामों के लिये अपने मित्रों और बडे भाई की तरफ़ भी जाता है,अथवा वह इन सबके सहयोग के बिना नौकरी नही प्राप्त कर सकता है,यह राशि संचार के साधनों की राशि भी कही जाती है,जातक अपने कार्यों और जीविकोपार्जन के लिये संचार के अच्छे से अच्छे साधनों का प्रयोग भी करेगा। अगर इसी शनि पर मंगल अपना असर देता है तो जातक के अन्दर तकनीकी भाव पैदा हो जायेगा,वह चन्द्रमा की कर्क राशि का प्रयोग मंगल के असर के कारण भवन बनाने और भवनों के लिये सामान बेचने का काम करेगा,वह चन्द्रमा से खेती और मंगल से दवाइयों वाली फ़सलें पैदा करने का काम करेगा,वह खेती से सम्बन्धित औजारों के प्रति नौकरी करेगा।
इसी तरह से अन्य भावों का विवेचन किया जाता है। शनि के द्वारा नौकरी नही दी जाती है तो शनि पर किसी अन्य ग्रह का प्रभाव माना जाता है। अन्य ग्रहों के द्वारा दिये जाने वाले प्रभावों से और शनि की कमजोरी से अगर नौकरी मिलती है तो शनि को मजबूत किया जा सकता है,
वैदिक ज्योतिषानुसार समय की गणना आज से 2068साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने उज्जैन नगरी से शुरु की थी,और उन्ही के नाम से आज भी विक्रमी संवत चल रहा है,एक भी गणना आज तक गलत नहीं हुयी है,उसी समय पर सूर्य उदय होता है और उसी समय पर सूर्य अस्त होता है,प्रत्येक ग्रह उसी चाल के अनुसार चलता चला जा रहा है,एक सेकेण्ड का फ़र्क नहीं दिखाई दे रहा है,जो बातें आज से 2068साल पहले लिख दीं गयीं थीं,वे आज भी चल रहीं है,जिन स्थानों के लिये बढने और घटने का प्रभाव उस समय बताया गया वह आज भी फ़लीभूत हो रहा है।
नौकरी के लिये शनि के उपायनौकरी का मालिक शनि है लेकिन शनि की युति अगर छठे भाव के मालिक से है और दोनो मिलकर छठे भाव से अपना सम्बन्ध स्थापित किये है तो नौकरी के लिये फ़लदायी योग होगा,अगर किसी प्रकार से छठे भाव का मालिक अगर क्रूर ग्रह से युति किये है,अथवा राहु केतु या अन्य प्रकार से खराब जगह पर स्थापित है,अथवा नौकरी के भाव का मालिक धन स्थान या लाभ स्थान से सम्बन्ध नही रखता है तो नौकरी के लिये फ़लदायी समय नहीं होगा। आपके पास बार बार नौकरी के बुलावे आते है और आप नौकरी के लिये चुने नहीं जाते है,तो इसमे इन कारणों का विचार आपको करना पडेगा:-
   (1) यह कि नौकरी की काबलियत आपके अन्दर है,अगर नहीं होती तो आपको बुलाया नहीं जाता।
 (2) यह कि नौकरी के लिये परीक्षा देने की योग्यता आपके अन्दर है,अगर नहीं होती तो आप सम्बन्धित नौकरी के लिये पास की जाने वाली परीक्षायें ही उत्तीर्ण नहीं कर पाते।
 (3) नौकरी के लिये तीन बातें बहुत जरूरी है,पहली वाणी,दूसरी खोजी नजर,और तीसरी जो नौकरी के बारे में इन्टरव्यू आदि ले रहा है उसकी मुखाकृति और हाव भाव से उसके द्वारा प्रकट किये जाने वाले विचारों को उसके पूंछने से पहले समझ जाना,और जब वह पूंछे तो उसके पूंछने के तुरत बाद ही उसका उत्तर दे दे।
   (4) वाणी के लिये बुध,खोजी नजर के लिये मन्गल और बात करने से पहले ही समझने के लिये चन्द्रमा।
    (5) नौकरी से मिलने वाले लाभ का घर चौथा भाव है,इस भाव के कारकों को समझना भी जरूरी है,चौथे भाव में अगर कोई खराब ग्रह है और नौकरी के भाव के मालिक का दुश्मन ग्रह है तो वह चाह कर भी नौकरी नहीं करने देगा,इसके लिये उसे चौथे भाव से हटाने की क्रिया पहले से ही करनी चाहिये। जैसे अगर मन्गल चौथे भाव मे है और नौकरी के भाव का मालिक बुध है तो मन्गल के लिये शहद चार दिन लगातार बहते पानी में बहाना है,और अगर शनि चौथे भाव में है, और नौकरी के भाव का मालिक सूर्य है तो चार नारियल लगातार पानी मे बहाने होते है,इसी प्रकार से अन्य ग्रहों का उपाय किया जाता है।
ग्रह क्या नौकरी करवाने के लिये मजबूर करता है

शनि कर्म का दाता है,और केतु कर्म को करवाने के लिये आदेश देता है,लेकिन बिना गुरु के केतु आदेश भी नही दे सकता है,गुरु भी तभी आदेश दे सकता है जब उसके पास सूर्य का बल है,और सूर्य का बल भी तभी काम करता है जब मंगल की शक्ति और उसके द्वारा की जाने वाली सुरक्षा उसके पास है,सुरक्षा को भी दिमाग से किया जाता है,अगर सही रूप से किसी सुरक्षा को नियोजित नही किया गया है तो कहीं से भी नुकसान हो सकता है,इसके लिये बुध का सहारा लेना पडता है,बुध भी तभी काम करता है जब शुक्र का दिखावा उसके पास होता है,बिना दिखावा के कुछ भी बेकार है,दिखावा भी नियोजित होना जरूरी है,बिना नियोजन के दिखावा भी बेकार है,जैसे कि जंगल के अन्दर बहुत बढिया महल बना दिया जाये तो कुछ ही लोग जानेंगे,उसमे बुध का प्रयोग करने के बाद मीडिया में जोड दिया जाये तो महल को देखने के लिये कितने ही लोग लालियत हो जावेंगे,अगर वहां पर मंगल का प्रयोग नही किया है तो लोग जायेंगे और बिना सुरक्षा के देखने के लिये जाने वाले लोग असुरक्षित रहेंगे और उनके द्वारा यह धारण दिमाग में पैदा हो जायेगी कि वहां जाकर कोई फ़ायदा नही है वहा तो सुरक्षा ही नही है। शुक्र वहां पर आराम के साधन देगा,शुक्र ही वहां आने जाने के साधन देगा,शुक्र से ही आने जाने के साधनों का विवेचन करना पडेगा,जैसे राहु शुक्र अगर हवा की राशि में है तो वाहन हवाई जहाज या हेलीकाप्टर होगा,शुक्र अगर शनि के साथ है,और जमीन की राशि में है तो रिक्से से या जानवरों के द्वारा खींचे जाने वाले अथवा घटिया वाहन की तरफ़ सूचित करेगा। ग्रह कभी भी नौकरी करवाने के लिये मजबूर नही करता है,नौकरी तो आलस से की जाती है,आलस के कारण कोई रिस्क नही लेना चाहता है,हर आदमी अपनी सुरक्षा से दालरोटी खाना चाहता है,और चाहता है कि वह जो कर रहा है उसके लिये एक नियत सुरक्षा होनी चाहिये,जैसे के आज के युवा सोचते है कि शिक्षा के बाद नौकरी मिल जावे और नौकरी करने के बाद वे अपने भविष्य को सुरक्षित बना लें,जिससे उनके लिये जो भी कमाई है वह निश्चित समय पर उनके पास आ जाये। यह एक गलत धारणा भी हो सकती और सही भी,जैसे कि हर किसी के अन्दर दिल मजबूत नही होता है,चन्द्रमा अगर त्रिक भाव मे है तो वह किसी प्रकार से रिस्क लेने में सिवाय घाटे के और कोई बात नही सोच पायेगा,किसी के लगनेश अगर नकारात्मक राशि में है तो वह केवल नकारात्मक विचार ही दिमाग में लायेगा। नकारात्मक विचारों को भी सकारात्मक किया जा सकता है,खराब को भी सही तरीके से प्रयोग करने के बाद फ़ायदा लिया जा सकता है,जब गेंहूं को खाने के बाद मल बनाया जा सकता है तो सडे गोबर को भी खाद बनाकर फ़सल को पैदा किया जा सकता है,जो बिजली करन्ट मारती है और जान लेने के लिये काफ़ी है उसी बिजली को तरीके से प्रयोग करने के बाद सभी सुख सुविधाओं का लाभ लिया जा सकता है,इस तरह के विचार दिमाग में पैदा करने के बाद कुछ से कुछ किया जा सकता है।-
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ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे महाराज (अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त)
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