नाड़ी ज्योतिष में प्रत्येक भाव का फल...
'नवमं सिद्धिदात्री च' आज नवमी है आप सभी को बहुत बहुत बधाई, व मां सिद्धिदात्री आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें !
मित्रों आज 'नाड़ी ज्योतिष' से संबंधित एक आलेख आपके समक्ष रख रहा हुं, उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा ! आप लोगों की प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा रहेगी !
प्रथम भाव यानी लग्न भाव से शरीर, स्वास्थ्य और 12 भावों का संक्षिप्त वर्णन होता है. द्वितीय भाव से धन की स्थिति, पारिवारिक स्थिति व शिक्षा एवं नेत्र सम्बन्धी विषयों का वर्णन किया जाता है. तृतीय भाव से पराक्रम और भाई बहन के विषय में जानकारी मिलती है. चतुर्थ भाव से सुख, ज़मीन जायदाद, मकान एवं वाहन सहित मातृ सुख का भी फलादेश किया जाता है. पंचम भाव संतान का घर होता है जो संतान सम्बन्धी जानकारी देता है. षष्टम भाव से रोग एवं शत्रुओं के विषय में जाना जाता है. सप्तम भाव से जीवनसाथी और विवाह के बारे में पता चलता है. अष्टम भाव आयु एवं जीवन में आने वाले संकट, दुर्घटना के बारे में बताता है. नवम भाव धर्म, पैतृक सुख एवं भाग्य को दर्शाता है. दशम भाव नौकरी एवं कारोबार में मिलने वाली सफलता और असफलता के बारे में जानकारी देता है. एकादश भाव दूसरी शादी के विषय में फलकथन करता है. द्वादश भाव से व्यय, मोक्ष एवं पुनर्जन्म के विषय में ज्ञान मिलता है.
नाड़ी ज्योतिष में चार अतिरिक्त भाव होते हैं जिनमें तरहवें भाव से पूर्व जन्म के कर्म और उनसे मुक्ति का उपाय जाना जाता है. चौदहवें भाव से शत्रु से बचाव के उपाय एवं उपयुक्त मंत्र जप की जानकारी मिलती है. पंद्रहवें भाव से रोग और उनके उपचार के विषय में ज्ञान मिलता है. सोलहवें भाव से ग्रहों की दशा, अर्न्तदशा, महादशा में मिलने वाले परिणाम का विचार किया जाता है.
- आचार्य पण्डित विनोद चौबे
संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य'
राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई
दूरभाष क्रमांक : 09827198828
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