!! ऊँ नमश्चण्डिकायै !!
'षष्ठमम् कात्यायनीति च'
भगवती कात्यायनी आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें ! हर माताओं को सौभाग्य प्रदान करें!
कात्यायनी माता : मां दुर्गा का छठा रुप :-
भगवती माँ दुर्गा जी के छठवें स्वरुप का नाम कात्यायनी है ! इनका कात्यायनी नाम पड़ने की कथा इस प्रकार है - कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे ! उनके पुत्र - ऋषि कात्य हुए ! इन्ही कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे ! इन्होने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी ! उनकी इच्छा थी की माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें ! माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली थी ! कुछ काल पश्चात जब दानव महिसासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया तब भगवान् ब्रह्मा , विष्णु , महेश तीनो ने अपने - २ तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया ! महर्षि कात्यायन ने सर्व प्रथम इनकी पूजा की ! इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाई ! ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के यहाँ पुत्री रूप से उत्पन्न भी हुई थी ! आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी , अष्टमी , तथा नवमी तक तीन - दिन इन्होने कात्यायन ऋषि कि पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था ! माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी है ! भगवान् कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी - यमुना के तट पर की थी ! ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित है ! इनका स्वरुप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है !
- आचार्य पण्डित विनोद चौबे
(ज्योतिष, हस्तरेखा, वैदिक वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ) संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांतिनगर, भिलाई, जिला- दुर्ग (छ.ग.) Mobil.no. 987198828 http://ptvinodchoubey.blogspot.in/2017/09/blog-post_25.html?m=1
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