ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 2 सितंबर 2017

आपके कुण्डली के मंगल दोष का क्या है शुभाशुभ प्रभाव : ?

आपके कुण्डली के मंगल दोष का क्या है शुभाशुभ प्रभाव : ?

साथियों, 
आज मांगलिक दोष पर कुछ गहरी व्याख्या करेंगे। यह एक ऐसा दोष है या कह सकते है मांगलिक होना एक ऐसा योग है जिस जातक की कुंडली में होती है उसके अंदर एक अलग तरह की ऊर्जा होती है।ये जातक दृढ होते है।आपने लक्ष्य को किसी भी तरह पाना चाहते है।मंगल के गुण होने के कारण इनका जीवन एक योद्धा की तरह भी होता है पर इसके लिए कुंडली में कुछ और भी योग होने जरूरी है।

बहुत आवश्यक है कि आप अपने मन से यह भ्रांति निकाल दें की : (ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे 0927198828)
जन्म कुंडली में मंगली होना अथवा मंगल दोष होना किसी जातक के लिये अमंगलकारी ही होता हैं. मंगली होना कोई दोष नहीं हैं यह एक विशेष योग होता हैं जो कुछ विषेश जन्म कुंडली में पाये जाते हैं. मंगला/मंगली जातक प्रतिभा संपन्न होते हैं. मै यहां स्पष्ट  कर दूं की हमारा उद्देश्य यहां मंगल दोष के प्रभाव को नकारना नहीं हैं, उससे जुडे भ्रम को दूर कर, उससे जुड़े परिचित कराना और कुंडली के अनुसार उसके निवारण के उपाय बताना हैं।

मंगली दोष विचार कैसे किया जाता हैं. इससे जुडे शास्त्रोक्त नियम इस प्रकार हैं.
धने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजे.
भार्या भर्तु विनाशाय भर्तुश्च स्त्री विनाशनम्।

लग्ने व्यये सुखे वापि सप्तमे वा अष्टमे कुजे.
शुभ दृग् योग हीने च पतिं हन्ति न संशयम्.।।
उपरोक्त श्लोकों का भावार्थ है कि जन्म लग्न से प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश स्थान मे मंगल स्थित होने पर मंगल दोष या कुज दोष बनता हैं. कुछ आचार्यों के अनुसार लग्न के अतिरिक्त मंगली दोष चन्द्र लग्न, शुक्र या सप्तमेश से इन्हीं स्थानो में मंगल स्थित होने पर भी होता हैं.
मंगली दोष वैवाहिक जीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है - मे विवाह विघ्न, विलम्ब, व्यवधान या धोखा, विवाहोपरान्त दम्पति मे से किसी एक अथवा दोनाको शारीरिक, मानसिक अथवा आर्थिक कष्ट, पारस्परिक मन - मुटाव, वाद - विवाद तथा विवाह - विच्छेद. अगर दोष अत्यधिक प्रबल हुआ तो दोना। अथवा किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।
कुंडली में यदि मंगली दोष हो तो उस्से भयभीत या आतंकित नहीं होना चाहिये. प्रयास यह करना चाहिये कि मंगली जातक का विवाह मंगली जातक से ही हो क्याकि मंगल - दोष साम्य होने से वह प्रभावहीन हो जाता हैं।
यदि वर और कन्या के जन्मांग मे मंगल लग्न, द्वादश, चतुर्थ, सप्तम अथवा अष्टम भाव मे, चंद्रमा अथवा शुक्र से समभाव मे स्थित हो तो समता का मंगल दोष होने के कारण वह प्रभावहीन हो जाता है लग्न. परस्पर सुख, धनधान्य, संतति, स्वास्थ्य एवं मित्रादि की उपलब्धि होती हैं.इस
मंगल दोष वाली कन्या का विवाह मंगल दोष वाले वर के साथ करने से मंगल का अनिष्ट दोष नहीं होता तथा वर - वधू के मध्य दांपत्य - सुख बढ़ता है।परंतु अगर मांगलिक लड़के या लड़की की शादी बिना मांगलिक के करवाई जाए योह कृपया उचित उपाय करके करवाते अन्यथा जीवन कष्टमय हो जाता है।कुंडली के अनुसार उचित उपाय अवश्य करे।
मंगल के प्रभाव वाले जाताक आकर्षक, तेजस्वी, चिड़चिड़े स्वाभाव, समस्याओं से लडऩे की शक्ति विशेष रूप से प्रभावमान हैं होता. विकट से विकट समस्याओं में घिरे होने के बावजूद जातक अपना धैर्य नहीं छोड़ते हैं. ज्योतिष ग्रथो में मंगल को भले ही क्रूर ग्रह बताया गया हैं, मंगल केवल अमंगलकारी हि नहीं हैं यह मंगलकारी भी होता हैं।
- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांतिनगर, भिलाई, मोबा. नं. 9827198828

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